बिहार

bihar

ETV Bharat / state

Gaya Pitru Paksha Mela: पितृपक्ष मेले के 17वें और अंतिम दिन अक्षय वट के नीचे होता है श्राद्ध, पितरों को होती है अक्षय लोक की प्राप्ति

गया में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला (Pitru Paksha Mela 2023 In Gaya) का आज अंतिम दिन है. अंतिम दिन आश्विन कृष्ण अमावस्या को अक्षय वट के नीचे श्राद्ध करने का विधान है. इस दिन ब्राह्मण भोजन कराया जाता है. आगे पढ़ें पूरी खबर...

Etv Bharat
Etv Bharat

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 14, 2023, 1:33 PM IST

गया: बिहार के गया में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला का आज अंतिम दिन है. पितृपक्ष मेले के अंतिम दिन आश्विन कृष्ण अमावस्या को पितरों के निमित्त श्राद्ध किया जाता है. इस दिन ब्राह्मण भोजन भी कराया जाता है. यहीं से गयापाल पंडा द्वारा तीर्थयात्री को सफल विदाई दी जाती है. पितृपक्ष मेले के अंतिम दिन अक्षय वट के नीचे श्राद्ध और ब्राह्मण भोजन से पितरों को अक्षय लोक की प्राप्ति होती है.

पढ़ें-Pitru Paksha 2023: जर्मनी से गया पहुंची 11 महिलाएं, फल्गु नदी के किनारे पूर्वजों का किया तर्पण, बोलीं- यहां आकर शांति मिली

गयापाल पंडा को दिया जाता है दान: पितरों के मोक्ष की कामना के निमित्त अंतिम दिन अक्षय वट के नीचे श्राद्ध, ब्राह्मण भोजन के उपरांत सेजिया दान की परंपरा है. सेजिया दान में सोने चांदी से लेकर पलंग, बर्तन, कपड़े और अन्य सामान होते हैं, जो कि गयापाल पंडा को दान किए जाते हैं. इस दिन तीर्थ यात्री अपने सामर्थ्य के अनुसार दिल खोलकर सेजिया दान करते हैं, ताकि उनके पितृ को मोक्ष की प्राप्ति हो सके और वो देवलोक, ब्रह्मलोक और विष्णु लोक को प्राप्त हो सकें.

गया में विश्व प्रसिद्ध पितृ पक्ष मेला
पितरों के लौटने से पहले करते हैं अनुष्ठान: पितृ पक्ष मेला वर्ष 2023 इस बार 28 सितंबर से शुरू हुआ था और आज 14 अक्टूबर को समाप्त हो जाएगा. आश्विन कृष्ण अमावस्या को पितृपक्ष मेले की समाप्ति तिथि है और इस दिन पितरों के वापस लौटने के पूर्व तीर्थयात्री अपने पितरों के निमित अलग-अलग अनुष्ठान करते हैं. जैसा कि धर्म पुराण में वर्णन है, कि पितृ पक्ष अवधि के दौरान पितर सांसारिक लोक में आते हैं.
पितृ पक्ष मेले का अंतिम दिन
क्या है आश्विन शुक्ल प्रतिपदा की परंपरा: आश्विन शुक्ल प्रतिपदा को गायत्री घाट पर दही अक्षत का पिंड देकर गया श्राद्ध समाप्त किया जाता है. हालांकि इसे लेकर गयापाल पंडा बताते हैं कि अधिकांश तीर्थयात्री आश्विन कृष्ण अमावस्या को ही अपने पितरों के निमित गायत्री घाट पर दही अक्षत का पिंड देकर गया श्राद्ध को पूरा कर लेते हैं. गायत्री घाट पर नाना- नानी का श्राद्ध करने का विधान है. जो तीर्थयात्री आश्विन कृष्ण अमावस्या को गायत्री घाट का कर्मकांड पूरा नहीं कर पाते हैं. वे शेष यात्री ही आश्विन शुक्ल प्रतिपदा को वहां पहुंचते हैं और नाना -नानी का श्राद्ध अक्षत -दही के पिंड से करते हैं.
गया में पितृपक्ष मेला पर श्रद्धालुओं की भीड़

ABOUT THE AUTHOR

...view details