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शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल: गया के इस स्कूल में 2 कमरों में लगती हैं 8 क्लास, शिक्षक भी परेशान

गया में एक ऐसा स्कूल है, जिसमें मात्रा दो कमरे ही हैं। मोहनपुर प्रखंड के राजकीय मध्य विद्यालय में दो कमरों में ही किसी तरह से आठवीं तक की पढ़ाई होती है (Eight class Running In Two Rooms In Gaya). शिक्षक किसी तरह से बच्चों को पढ़ाते हैं. पढ़ें पूरी खबर.

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Published : Dec 18, 2022, 8:55 AM IST

Updated : Dec 18, 2022, 9:23 AM IST

गया में दो कमरे में संचालित हो रही आठवीं तक की कक्षा

गया: बिहार के गया में कई सरकारी विद्यालयों की स्थिति खराब (Bad Condition of Government Schools) है. शहरी हो या ग्रामीण क्षेत्र, ऐसे सरकारी विद्यालय मिल जाते हैं, जहां विद्यालय संचालित करने की बस खानापूर्ति होती है. इसी तरह की स्थिति के बीच गया के मोहनपुर प्रखंड के राजकीय मध्य विद्यालय में बच्चे पढ़ रहे हैं. यहां छात्र और उनके अभिभावक के साथ-साथ शिक्षक भी परेशान हैं.

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सुदूरवर्ती इलाके में है यह सरकारी विद्यालय:जिले के मोहनपुर प्रखंड का राजकीय मध्य विद्यालय बिहिया सुदूरवर्ती इलाके में स्थित है. इस विद्यालय के छात्र-अभिभावक के साथ-साथ शिक्षक भी परेशान हैं. इस विद्यालय में तीन दशकों से जो समस्या बनी हुई है, वह बरकरार है. यहां छात्रों की स्थिति सरकार के शिक्षा नीति के मजबूत दावे को खोखला साबित करने के लिए काफी है. यहां एक कमरे में 3 कक्षाएं संचालित होती हैं. एक कक्षा के छात्रों की पढ़ाई होती है, तो 2 कक्षाओं के छात्रों को चुपचाप रहना पड़ता है. यहां की स्थिति सरकारी दावे को आईना दिखाने के लिए काफी है.

दो कमरे में चल रही 8वीं तक की कक्षा:राजकीय मध्य विद्यालय बिहिया में पढ़ने वाले छात्र कितने परेशान हैं, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है. इस विद्यालय में सिर्फ 2 कमरे हैं, लेकिन कक्षाएं 8 हैं. समझ से परे ही है, कि 8 कक्षाओं का संचालन दो छोटे-छोटे कमरों में कैसे हो सकता है. यही स्थिति छात्र, अभिभावक के साथ-साथ शिक्षकों के लिए भी परेशानी का सबब बनी हुई है. शिक्षकों द्वारा संबंधित विभाग को कई बार लिखा जा चुका है. लेकिन अबतक इस समस्या को हल करने वाला कोई भी अधिकारी सामने नहीं आ रहे है.

आधे बच्चे स्कूल के अंदर बैठकर करते हैं पढ़ाई: स्कूल में इसी स्थिति के बीच छात्रों को शिक्षा किसी प्रकार दी जा रही है. आधे छात्र बाहर तो आधे छात्र अंदर बैठकर शिक्षा अर्जित करते हैं. एक छोटे कमरे में एक सौ छात्रों को ठूंस-ठूंसकर कर बैठाया जाता है. एक बेंच पर आमतौर पर तीन बच्चे बैठते हैं, लेकिन यहां तो एक बेंच पर पांच से छह बच्चों को बैठाया जा रहा है. इस तरह आधे बच्चे कमरे में तो आधे बच्चे बाहर बरामदे या फिर खुले परिसर में पढ़ने को विवश हैं.

"यहां पढ़ाई में काफी दिक्कतें होती हैं, पर इसे लेकर हम सभी छात्र-छात्राएं मजबूर हैं. सरकार और प्रशासन से मांग करते हैं कि हमारी मुश्किलों को दूर किया जाए. हम एक कमरे में तीन कक्षा के बीच पढ़ने को विवश हैं. एक कक्षा के छात्र पढ़ते हैं तो दो कक्षा के छात्र को चुपचाप रहना पड़ता है. वहीं कमरे के अभाव में एक बेंच पर 5 को बैठाया जाता है."-शीला कुमारी, छात्रा

इस तरह होती है पढ़ाई:इस विद्यालय में 1 से लेकर 8 तक कक्षा संचालित होते हैं. यह विद्यालय प्राथमिक विद्यालय से उत्क्रमित होकर राजकीय मध्य विद्यालय बना है. 1 से 8 कक्षा के संचालन के लिए सिर्फ दो कमरे ही हैं, जो कि छोटे छोटे हैं. वहीं, मध्यान भोजन बनाने के लिए किचन की भी व्यवस्था नहीं है. यहां विद्यालय में पढ़ाई वन और टू के छात्र को बाहर में और कुछ को बरामदे में तो इसी तरह तीसरी, चौथी और पांचवीं कक्षा की पढ़ाई एक कमरे में और छठी, सातवीं और आठवीं कक्षा की पढ़ाई शेष एक कमरे में होती है. विद्यालय में 300 के करीब नामांकित छात्र हैं, जिसमें से ढाई सौ के करीब छात्र औसतन उपस्थित होते हैं. एक कमरे में 3 कक्षाएं संचालित हो रही है, जो कि सरकारी शिक्षा नीति पर एक तमाचे के समान है.

"हमारे समक्ष बड़ी समस्या है. बच्चे रोज डर-डरकर पढ़ाई कराने आते हैं. बच्चे कुछ अंदर बैठते हैं, तो कुछ रोड के किनारे. डर बना रहता है, कि मध्यान भोजन में कुछ गिर ना जाए. खुले में इसका ज्यादा डर रहता है. खुले में सड़क किनारे पढ़ रहे बच्चे दुर्घटना का शिकार न हो जाएं, इसे भी देखना पड़ता है. काफी परेशानी के बीच किसी तरह यहां शिक्षा व्यवस्था का संचालन किया जा रहा है. गन मांग करते हैं कि जल्द ही इस व्यवस्था को सुधारा जाए."- जितेंद्र कुमार, शिक्षक मध्य विद्यालय बिहिया

"दो ही कमरे हैं. बाकी बाहर का सहारा है. एक कमरे में 3 कक्षाएं संचालित करने को विवश हैं. इस तरह दो कमरे में 6 कक्षाएं चलती हैं, तो दो अन्य कक्षाओं का संचालन खुले आसमान में सड़क के नजदीक की जाती है. इससे काफी परेशानी छात्रों को हो रही है. उनसे ज्यादा हम शिक्षकों को मुश्किलें आ रही है. इससे पढ़ाई में भी बाधाएं आती है. बरसात और गर्मी के दिनों में तो स्थिति एकदम से बदतर हो जाती है."- अख्तर हुसैन, प्रभारी प्रधानाध्यापक, राजकीय मध्य विद्यालय बिहिया

Last Updated : Dec 18, 2022, 9:23 AM IST

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