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गया जी में आज 'पितरों की दीपावली', ब्राह्मणों को खीर खिलाने से पूर्वजों को मिलती है मुक्ति - pitru paksha 20149

आश्विन कृष्ण पक्ष त्रयोदशी को यमराज अपने लोक को खाली कर कर सभी को मनुष्य लोक में भेज देते हैं. मनुष्य लोक में आए प्रेत एवं पितर भूख से दुखी अपने पापों का कीर्तन करते हुए अपने पुत्र एवं पौत्र से मधु युक्त खीर खाने की कामना करते हैं.

गया जी से खास रिपोर्ट

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Published : Sep 26, 2019, 7:12 AM IST

Updated : Sep 26, 2019, 1:05 PM IST

गया:मोक्ष की नगरी गया जी में पितृपक्ष मेले के 14वें दिन फल्गु नदी में स्नान करके दूध तर्पण करने का विधान है. 14वें दिन शाम यहां शाम को पितृ दीपावली मनायी जाती है. इसमें पितरों के लिए दीप जलाया जाता है और आतिशबाजी की जाती है.

ऐसा कहा जाता है कि वर्षा ऋतु के अंत में आश्विन कृष्ण पक्ष त्रयोदशी को यमराज अपने लोक को खाली कर कर सभी को मनुष्य लोक में भेज देते हैं. मनुष्य लोक में आए प्रेत एवं पितर भूख से दुखी अपने पापों का कीर्तन करते हुए अपने पुत्र एवं पौत्र से मधु युक्त खीर खाने की कामना करते हैं. अतः उनके नियमित ब्राह्मणों को खीर खिलाकर तृप्त करना चाहिए.

गया जी से खास रिपोर्ट

दीपदान का महत्व...
त्रयोदशी को संध्या काल मे पितरों को नदी एवं मंदिर में दीपदान कर पितरों की दीपावली मनाते हैं. श्रद्धापूर्वक श्राद्ध देशों में दीपदान करने से उतर नेत्र प्राप्त कानितमान हो जाता है. दीप प्रकाश है और प्रकाश उत्तम ज्ञान है. अतः श्राद्ध में दीपदान करने से व्यक्ति ज्ञानवान हो जाता है.

ऐसे करें कर्मकांड
सुबह नित्यकर्म कर फल्गु नदी में स्नान कर नदी में दूध से तर्पण करना चाहिए. तर्पण के बाद विष्णुपद मंदिर स्थित गदाधर भगवान को पंचामृत से स्नान करवाना चाहिए. उसके विष्णुपद की पूजा कर. फिर संध्या बेला में दीप दान कर चाहिए.

Last Updated : Sep 26, 2019, 1:05 PM IST

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