गया : 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. इस दिन को लेकर पूरे देश का वातावरण राममय बना हुआ है. इसके बीच गया की बड़ी महता भी जुड़ी हुई है. गया की महता इसलिए है, क्योंकि यहां भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी आए थे. यहां आकर उन्होंने अपने पिता राजा दशरथ का पिंडदान किया था. इसे लेकर कई पौराणिक कहानियां जुड़ी हुई है. शास्त्रों पुराणों में भी इस घटनाक्रम का जिक्र है. भगवान श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण जी से जुड़ी मान्यताओं को लेकर ही यहां से भगवान विष्णु के चरण का नीर और फल्गु नदी के जल और बालू को अयोध्या मंगाया गया है.
गया पहुंचे थे श्री राम सीता और लक्ष्मण : यहां से जुड़ी मान्यताओं के अनुसार 14 वर्ष के वनवास पर भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी थे. इस बीच में राजा दशरथ परलोक सिधार गए थे. उनके दूसरे लोक के गमन की खबर के बाद वनवास के दौरान भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी गया जी की ओर आए. यहां आकर पिंडदान किया. कई पौराणिक कथाएं इसे लेकर हैं.
पिता दशरथ का श्राद्धकर्म करने गए थे गया: जब भगवान राम, सीता माता और लक्ष्मण जी आए थे तो पिंड दान करने की सामग्री लाने भगवान राम-लक्ष्मण जंगल की ओर चले गए. इस बीच अचानक आकाशवाणी हुई. यह आकाशवाणी राजा दशरथ की थी. उन्होंने कहा हमें जल्दी से पिंडदान कर दो. राजा दशरथ की इस आकाशवाणी के बाद माता सीता ने कहा कि पिंडदान की सामग्री लाने भगवान राम और लक्ष्मण जी जंगल की ओर गए हैं. इसी बीच आकाशवाणी हुई कि सूर्यास्त के बाद पिंडदान नहीं होता है. ऐसे में मुहूर्त निकला जा रहा है.
माता सीता ने किया बालू से पिंड दान : यह आकाशवाणी सुनकर माता सीता ने बालू का ही पिंड बनाकर राजा दशरथ का पिंंडदान कर दिया. आज भी गया के सीता कुंड मंदिर में राजा दशरथ के हाथ में पिंड की प्रतिमा बनी हुई है. वही दो पिंड माता सीता ने माता कुल और पिता कुल के लिए भी किया. अपने समस्त कुलों का पिंडदान कर उन्होंने उद्धार किया. वहीं भगवान राम और लक्ष्मण जी जब पिंड की सामग्री लेकर लौटे तो उन्होंने पूछा तो माता सीता ने उन्हें बताया कि पिंडदान उन्होंने कर दिया है. इस पर उन्हें विश्वास नहीं हुआ तो साक्षी को सामने लाने की बात कही.