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अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा से पहले गया के विष्णु पद के नीर और फल्गु के बालू में निवास करेंगे रामलला, जानें महत्व

अयोध्या में प्रभु रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तिथि नजदीक आती जा रही है. इसे लेकर देशभर में उत्साह है ही, साथ ही गया में भी खास उल्लास है. ऐसा इसलिए क्योंकि गया की नगरी भगवान राम से जुड़ी हुई है. भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी गया पहुंचे थे. जब भगवान राम को 14 वर्ष के वनवास पर थे तो गया जी की इसी धरती पर आए थे. यहीं अपने पिता राजा दशरथ का पिंडदान किया था.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 15, 2024, 7:35 PM IST

गया जी आए थे श्री राम और माता सीता, किया था पिंडदान

गया : 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. इस दिन को लेकर पूरे देश का वातावरण राममय बना हुआ है. इसके बीच गया की बड़ी महता भी जुड़ी हुई है. गया की महता इसलिए है, क्योंकि यहां भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी आए थे. यहां आकर उन्होंने अपने पिता राजा दशरथ का पिंडदान किया था. इसे लेकर कई पौराणिक कहानियां जुड़ी हुई है. शास्त्रों पुराणों में भी इस घटनाक्रम का जिक्र है. भगवान श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण जी से जुड़ी मान्यताओं को लेकर ही यहां से भगवान विष्णु के चरण का नीर और फल्गु नदी के जल और बालू को अयोध्या मंगाया गया है.

गया पहुंचे थे श्री राम सीता और लक्ष्मण : यहां से जुड़ी मान्यताओं के अनुसार 14 वर्ष के वनवास पर भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी थे. इस बीच में राजा दशरथ परलोक सिधार गए थे. उनके दूसरे लोक के गमन की खबर के बाद वनवास के दौरान भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी गया जी की ओर आए. यहां आकर पिंडदान किया. कई पौराणिक कथाएं इसे लेकर हैं.

श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण की मूर्ति

पिता दशरथ का श्राद्धकर्म करने गए थे गया: जब भगवान राम, सीता माता और लक्ष्मण जी आए थे तो पिंड दान करने की सामग्री लाने भगवान राम-लक्ष्मण जंगल की ओर चले गए. इस बीच अचानक आकाशवाणी हुई. यह आकाशवाणी राजा दशरथ की थी. उन्होंने कहा हमें जल्दी से पिंडदान कर दो. राजा दशरथ की इस आकाशवाणी के बाद माता सीता ने कहा कि पिंडदान की सामग्री लाने भगवान राम और लक्ष्मण जी जंगल की ओर गए हैं. इसी बीच आकाशवाणी हुई कि सूर्यास्त के बाद पिंडदान नहीं होता है. ऐसे में मुहूर्त निकला जा रहा है.

माता सीता ने किया बालू से पिंड दान : यह आकाशवाणी सुनकर माता सीता ने बालू का ही पिंड बनाकर राजा दशरथ का पिंंडदान कर दिया. आज भी गया के सीता कुंड मंदिर में राजा दशरथ के हाथ में पिंड की प्रतिमा बनी हुई है. वही दो पिंड माता सीता ने माता कुल और पिता कुल के लिए भी किया. अपने समस्त कुलों का पिंडदान कर उन्होंने उद्धार किया. वहीं भगवान राम और लक्ष्मण जी जब पिंड की सामग्री लेकर लौटे तो उन्होंने पूछा तो माता सीता ने उन्हें बताया कि पिंडदान उन्होंने कर दिया है. इस पर उन्हें विश्वास नहीं हुआ तो साक्षी को सामने लाने की बात कही.

फल्गु को दिया श्राप, अक्षयवट को मिला वरदान : इसी क्रम में फल्गु, गाय, तुलसी, पंडा और अक्षयवट से पूछा गया तो अक्षयवट को छोड़कर सभी मुकर गए. इसके बाद माता सीता ने अक्षयवट को अमरत्व का वरदान दिया. वहीं फल्गु नदी को अंत सलिला यानी कि अंदर ही अंदर बहने का श्राप दे दिया. इसके बाद से फल्गु श्रापित है. सूखी फल्गु में पानी रखने को गयाजी डैम बनाया गया है. गयाजी डैम के एरिया को छोड़ दें तो इसके बाद से फल्गु अतः सलिला ही नजर आती है.

रामकुंड में फिर किया आटे का किया पिंडदान : सीता कुंड में जब माता सीता ने पिंडदान किया था. भगवान राम लक्ष्मण को फल्गु, तुलसी, गौ और पंडा में झूठ बोल दिया तो रामकुंड में राम और सीता ने मिलकर फिर से पिंडदान किया. इसके साक्षी के रूप में भगवान ब्रह्मा जी मौजूद रहे. आज भी भगवान ब्रह्मा जी का यहां चरण चिह्न मौजूद है. वहीं रामकुंड भी है.

विष्णु पद का नीर, फल्गु का बालू भेजा गया अयोध्या: इस तरह गया जी भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी से जुड़ी है. यहां भगवान राम जी आए थे. माता सीता और लक्ष्मण जी भी आए थे, इसके प्रमाण मौजूद है. शास्त्र पुराणों में यह वर्णित है. एक ओर जब अयोध्या में भगवान राम लला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होनी है, तो ऐसे में गया जी से जुड़ी मान्यताएं बड़ी अहमियत रखती हैं. जानकारी हो कि बीते दिन ही भगवान विष्णु के चरण का नीर, फल्गु का पानी और बालू अयोध्या भेजा गया है. भगवान विष्णु पद के नीर और फल्गु के पानी में ही प्रभु जल निवास करेंगे और उसके बाद प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी.

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