गया: पहले जहां महाबोधि मंदिर परिसर में 'बुद्धं शरणं गच्छामि' के स्वर गूंजा करते थे, वहीं दूसरी ओर पिंडवेदियों पर मोक्ष के मंत्रों का उच्चारण होता था. इसबार कोरोना वायरस महामारी के चलते सब शांत है. पितृपक्ष 2020 का आज चौथा दिन है. ऐसे में यहां होने वाले पिंडदान के महत्व को जानना बेहद जरूरी हो जाता है.
महात्मा बुद्ध की ज्ञानस्थली बोधगया क्षेत्र में ऐसे तो पांच पिंडवेदियां हैं, परंतु तीन पिंडवेदियां धर्मारण्य, मातंगवापी और सरस्वती प्रमुख हैं. पुरखों के मोक्ष की कामना लेकर आने वाले श्रद्धालु भगवान बुद्ध को विष्णु का अवतार मानते हुए महाबोधि मंदिर में भी पिंडदान के विधान को कालांतर से निभाते आए हैं. इसी पौराणिक मान्यता के चलते यहां पिंडदान किया जाता है.