गया: केसर एक आयुर्वेदिक वरदान है. केसर को 'लाल सोना' भी कहा जाता है, जो कई तरह की बिमारियों में रामबाण साबित होता है. आमतौर पर केसर की खेती कश्मीर में की जाती है, लेकिन अब इसकी शुरुआत बिहार में भी हो गई है. बिहार के गया में कश्मीरी केसर की खेती हो रही है. गया के टिकारी प्रखंड के गुलरिया चक में इसकी शुरुआत हुई है.
कश्मीरी केसर की गया में खेती:बिहार में पहली बार गया जिले में कश्मीरी केसर की खेती हो रही है. गया के किसान आशीष कुमार सिंह इसकी खेती कर रहे हैं. इन्होंने कश्मीर से केसर के फूल मंगवा कर करीब 300 बल्ब (पौधा) लगाए हैं, जिससे फूल भी निकलने शुरू हो गए हैं. बता दें कि कश्मीरी केसर की बाजारों में अनुमानित कीमत 5 लाख रुपए प्रति किलो के करीब है. फिलहाल ट्रायल के तौर पर खेती की शुरुआत की गई है.
केसर की खेती के लिए ठंडे तापमान की जरूरत:कश्मीरी केसर की खेती कर रहे किसान आशीष कुमार सिंह बताते हैं कि 5 डिग्री से लेकर 20 डिग्री तक के तापमान में केसर की अच्छी खेती होती है. उन्होंने 31 अक्टूबर को केसर की फसल लगाई थी. करीब 300 बल्ब खेतों में लगाए गए हैं, जिसके फूल अब निकलने लगे हैं. बताया कि अगर वे 15 दिन पहले ही पौधे लगा देते, तो दिसंबर के पहले सप्ताह से ही फूल आ जाते.
केसर की खेती का तरीका:किसान ने बताया कि केसर का बल्ब जमीन में लगाने के बाद एक-डेढ़ महीने तक नीचे जमीन के अंदर ही उसका काम होता रहता है. सही समय और सही तापमान मिलने पर इसके पत्ते और फूल एक साथ निकल जाते हैं. और दो दिन में फूल को अगर हारवेस्ट नहीं किया जाए तो ये खत्म भी हो जाते हैं. इसलिए इसे तुरंत हारवेस्ट कर छाया में सुखाना होता है. खेती के लिए पानी की आवश्यकता नहीं होती, सूखी मिट्टी में भी हो जाती है.
ट्रायल के तौर पर किया है शुरू: आशीष ने बताया कि फिलहाल ट्रायल के तौर पर इसकी शुरुआत की गई है. अभी 300 बल्ब लगाए गए हैं. एक से डेढ़ महीने में केसर का फूल निकल जाता है.ट्रायल सक्सेस रहा तो आने वाले दिनों में पांच कट्ठे में केसर के बल्ब लगाए जाएंगे. अभी लगे 300 बल्ब से एक हजार फूल निकलेंगे. केसर के एक फूल में तीन पंखुड़ियां होती है. उसे निकाल लिया जाता है, वही केसर होता है. 300 बल्ब में करीब 100 ग्राम के आसपास केसर के फूल निकलेंगे.