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भगवान राम के अस्तित्‍व पर उठाए गए सवाल को लेकर मांझी का फूंका गया पुतला, जमकर लगाए गए नारे - गया में मांझी का पुतला दहन

भगवान राम पर दिए गए विवादास्पद बयान को लेकर हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनराम मांझी इन दिनों चर्चाओं में हैं. गया के इमामगंज विधानसभा क्षेत्र में लोगों ने आक्रोश मार्च निकालकर मांझी का पुतला फूंका है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Oct 4, 2021, 10:43 AM IST

गया: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनराम मांझी (Jitan Ram Manjhi) के माध्यम से भगवान श्रीराम के अस्तित्व पर उठाए गए सवाल को लेकर लोगों में आक्रोश व्याप्त है. वहीं, बिहार के गया जिले में आक्रोशित लोगों ने आक्रोश मार्च निकालकर मांझी का पुतला फूंका है.

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मांझी के बयान को लेकर इन दिनों सियासत गरमायी हुई है. वहीं, मांझी के विधानसभा क्षेत्र इमामगंज में जमकर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. लोग सोशल मीडिया से लेकर सड़क पर उतरकर विरोध जता रहे हैं. आक्रोशित लोगों ने टाउन हॉल से आक्रोश मार्च निकालकर पूरे बाजार में भ्रमण कराया है. इसके साथ ही कोठी मोड़ पर मांझी का पुतला दहन किया गया. इस दौरान मांझी के बयान को लेकर जमकर नारेबाजी भी की गई. मांझी के बयान पर एनडीए नेताओं से लेकर आम नागरिकों ने भी विरोध जताया है.


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बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने राम को भगवान मानने से इनकार करते हुए कहा था कि वह तो काल्पनिक व्यक्ति हैं. मांझी ने प्रभु राम के अस्तित्व को काल्पनिक बताते हुए कहा कि श्रीराम कोई जीवित और महापुरुष थे, ऐसा मैं नहीं मानता हूं. हालांकि रामायण कहानी में जो बातें बताई गई है, वो सीखने लायक है. महिलाओं की बात हो या फिर अपने से बड़ों के आदर और सम्मान की बात हो, रामायण हमें शिक्षा देती है.

उन्होंने कहा था कि रामायण को पाठ्यक्रम में शामिल करने में कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन मैं व्यक्तिगत रूप से मानता हूं कि यह एक काल्पनिक पुस्तक है. मुझे नहीं लगता है कि राम एक महान और जीवित व्यक्ति थे. मांझी के इस बयान के बाद से ही लोगों में आक्रोश व्याप्त है. इसके साथ ही उन्होंने रामायण की ऐतिहासिकता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं. वहीं, सहयोगी बीजेपी ने भी इस पर कड़ी आपत्ति जताई है.

यहां ये बताना जरूरी हो जाता है कि हाल ही में मध्य प्रदेश की सरकार ने रामायण को सिलेबस में शामिल करने का फैसला लिया है. इसके बाद से बिहार में भी रामायण को सिलेबस में शामिल करने की मांग उठी है. ऐसे में मांझी के बयान से सियासत और गरमा गई है.

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