बिहार

bihar

By

Published : Sep 20, 2019, 10:19 AM IST

Updated : Sep 20, 2019, 12:35 PM IST

ETV Bharat / state

पितरों को भाता है जौ, चावल या खीर का गोलाकार पिंड, जानिए क्या है इसका महत्व

पिंड का आकर गोलाकार होता है. बिल्कुल जैसे मां की कोख में भ्रूण रहता है. जब मृत्यु होती है तो आत्मा उसी गोलाकार आकार में शरीर से बाहर निकलती है. यह धार्मिक और वैज्ञानिक स्तर पर प्रमाणित है.

पितृपक्ष मेला

गयाःजिले में पितृपक्ष मेला का आज आठवां दिन है. जहां काफी संख्या में लोग अपने पितरों को पिंड दान करने के लिए पहुंच रहे हैं. लेकिन इन सबके बीच आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि पितृपक्ष का महत्व क्या है और पितरों को पिंड क्यों देते हैं? आपके मन में उठ रहे इस सवाल का जवाब देंगे मेले में मौजूद पुरोहित राजाचार्य, जिनसे हमारे संवाददाता ने खास बातचीत की.

पिंडदान के लिए पहुंचे लोग

'पृथ्वी लोक पर आते हैं पितर'
पुरोहित राजाचार्य ने बताया कि श्राद्ध पक्ष या पितृपक्ष को कनागत और महालय के नाम से जानते हैं. सनातन धर्म में पितृपक्ष पितरों का पक्ष कहा जाता है. पितृ इस पक्ष में मोक्ष की प्राप्ति के लिए अन्य लोक से पृथ्वी लोक पर आते हैं. उनका पुत्र उनको पिंड अर्पित कर उन्हें मोक्ष दिलाता है. पितृपक्ष में गया जी में पिंडदान इसलिए किया जाता है क्योंकि ये पितरों की नगरी है. जिसे मोक्षधाम कहा जाता है. लेकिन पितृपक्ष में पूरे भारत में कहीं भी अपने पितरों के लिए पिंडदान किया जा सकता है.

पिंडदान करते लोग

क्या है पितृपक्ष का महत्व
पितृपक्ष भागीरथ के जरिए 64 हजार पुरखों की मुक्ति के लिए कठोर तपस्या करना और भगवान शिव को प्रसन्न करके गंगा को पृथ्वी पर लाकर उनका उद्धार करने की कथा है. वहीं, श्री राम ने भी यहां अपने पिता महाराजा दशरथ की असामयिक मृत्यु के बाद महर्षि वशिष्ठ के निर्देशानुसार उनका पिंडदान किया था. महाभारत के युद्ध में जब सारे कौरव मारे गए तब श्रीकृष्ण के सानिध्य में युधिष्ठिर ने उनका तर्पण किया था. ये सारी कथाएं पितृपक्ष के महत्व को दर्शाती हैं.

'अदृश्य रूप में पृथ्वी पर आते हैं पूर्वज'
पुरोहित राजाचार्य ने बताया कि अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से श्राद्ध पक्ष शुरू होता है. भारत में श्राद्ध पक्ष को हिंदू विशेष रूप से मनाते हैं. श्राद्ध पक्ष में हमें इहलोक एवं परलोक दोनों के ही अस्तित्व का आभास कराता है. हमारे पितृ श्राद्ध पक्ष में वायु में मिलकर अधिक अदृश्य रूप में पृथ्वी पर आते हैं. अपनी आत्मा की शांति के लिए पिंडदान तर्पण करते हुए देख तृप्त और प्रसन्न होते हैं और उसके बाद अपने गंतव्य अर्थात मोक्ष धाम को चले जाते हैं.

पितृपक्ष मेले की जानकारी देते पुरोहित राजाचार्य

पितरों को इसलिए दिया जाता है गोलाकार पिंड
पुराण में उल्लेखित है कि पितृ पिंड की कामना करते हैं. गेंहू, जौ, चावल या खीर के पिंड उनको भाते हैं. पिंड का आकर गोलाकार होता है, बिल्कुल जैसे मां की कोख में भ्रूण रहता है. जब मृत्यु होती है तो आत्मा उसी गोलाकार आकार में शरीर से बाहर निकलती है. ये धार्मिक और वैज्ञानिक स्तर पर प्रमाणित है. जिल आकार में पितृ ने जन्म लिया था उसी आकार में इस लोक से चले जाते हैं. इसलिए उनको गोलाकार पिंड भाता है. गया जी में कई पिंडवेदी पर हर दिन अनेकों सामग्री का गोलाकार पिंडदान अर्पित किया जाता है.

Last Updated : Sep 20, 2019, 12:35 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details