भगवान कृष्ण ने कराया था रुक्मिणी तालाब का निर्माण गया: बिहार के गया में एक ऐसा तालाब है जहां की धार्मिक आस्था काफी बड़ी है. जिले के माड़नपुर में स्थित रुक्मिणी तालाब में स्नान करने के लिए देश के विभिन्न राज्यों से महिलाएं आती है. यहां की आस्था है कि रुक्मिणी तालाब में स्नान करने से संतान सुख से वंचित महिलाओं की मन्नत पूरी होती है और उनकी गोद भर जाती है. यहां स्नान से कुष्ठ और चर्म रोग भी दूर होते हैं. कहा जाता है कि इस तालाब को द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने बनवाया था.
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रुक्मिणी तालाब में स्नान से संतान सुख की प्राप्ति: यहां की धार्मिक आस्था है कि इस तालाब में स्नान करने से संतान सुख से वंचित महिलाओं की मन्नत पूरी होती है. यही वजह है कि देश के विभिन्न राज्यों से ऐसी महिलाएं यहां आती है और संतान प्राप्ति के लिए मन्नत रखती हैं. यहां स्नान के बाद कपड़े छोड़ जाने का रिवाज है. यहां स्नान के बाद माता सीता साक्षी अक्षयवट से महिलाएं लिपटती हैं. इस तरह इस तलाब में स्नान की अनोखी आस्था बरकरार है.
सुपारी और सिक्का आंचल में बांधकर करती हैं स्नान: संतान सुख की मन्नत मांगने वाली महिलाएं अपने वस्त्र के आंचल में सुपारी और सिक्का बांंधती हैं, इसके बाद स्नान करती है. स्नान करने के बाद वस्त्र को यहीं छोड़ देती है. आस्था के अनुसार महिलाएं अक्षयवट को के पास जाती हैं और वहां सीता साक्षी अक्षयवट से परंपरा के अनुसार लिपटती हैं और फिर पूजन करती है. धार्मिक मान्यता है कि रुक्मिणी तालाब में स्नान और फिर अक्षयवट में पूजन के बाद मन्नत पूरी होती है. यही वजह है कि देश के अन्य हिस्सों से महिलाएं ऐसी मन्नत को लेकर गया को पहुंचती है.
चर्म रोग से मिलती निजात: रुक्मिणी तालाब की कई मायनों में महता है. बड़ी बात यह है कि इस तालाब में स्नान से चर्म और कुष्ठ रोग भी ठीक हो जाने की बात कही जाती है. रुक्मिणी तालाब पहाड़ के किनारे है. यहां पहाड़ का पानी इस तालाब में गिरता है. इस तरह से कोई वैज्ञानिक पहलू यहा हो सकता हैं कि पहाड़ से औषधीय तत्व पानी के साथ बहकर रुक्मिणी तलाब में गिरते हों. यही कारण है कि यहां चर्म रोग और कुष्ठ रोग भी ठीक हो जाते हैं.
द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने कराया था निर्माण: इस संबंध में रुक्मिणी मंदिर के पुजारी मिथिलेश बाबा बताते हैं कि रुक्मिणी सरोवर द्वापर युग से है. भगवान श्री कृष्ण ने अपनी पत्नी रुक्मिणी के स्नान के लिए इसे बनवाया था. यहां की मान्यता है कि जो महिलाएं निसंतान हो या मृत बच्चा होता हो, तो रुक्मिणी तालाब में स्नान के बाद फिर सीता साक्षी अक्षयवट से लिपटती हैं. आस्था है कि उनकी संतान प्राप्ति की मन्नत पूरी होती है. यहां स्नान से चर्म और कुष्ठ रोग भी दूर होते हैं. सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. यहां लोग पंजाब, दिल्ली, मुंबई, बिहार, झारखंड समेत अन्य राज्यों से आते हैं स्नान करते हैं और मन्नत रखते हैं.
"रुक्मिणी सरोवर द्वापर युग से है. तब भगवान श्री कृष्ण ने अपनी पत्नी रुक्मिणी के स्नान के लिए इसे बनवाया था. यहां की मान्यता है कि जो महिलाएं निसंतान हो या मृत बच्चा होता हो, तो रुक्मिणी तालाब में स्नान के बाद फिर सीता साक्षी अक्षयवट से लिपटती हैं. आस्था है कि उनकी संतान प्राप्ति की मन्नत पूरी होती है. यहां स्नान से चर्म और कुष्ठ रोग भी दूर होते हैं." -मिथिलेश बाबा, पुजारी, रुक्मिणी मंदिर
मनोकामना होती है पूरी: वहीं पुजारी अशोक लाल टइया बताते हैं कि सुपारी, कपड़ा सिक्का यहां छोड़ते हैं. मन्नत पूरी होने के बाद महिला फिर से गया आती हैं और अपने बच्चे का मुंडन मन्नत के अनुसार करवाती है. इस तरह मन्नत पूर्ण होने के बाद मन्नत उतारने की भी परंपरा है. अशोक लाल टइया बताते हैं कि यहां रुक्मिणी तालाब में स्नान से कई तरह के कष्ट दूर होते हैं और मनोकामना की प्राप्ति होती है.
"सुपारी, कपड़ा सिक्का यहां छोड़ते हैं. मन्नत पूरी होने के बाद महिला फिर से गया आती हैं और अपने बच्चे का मुंडन मन्नत के अनुसार करवाती है. इस तरह मन्नत पूर्ण होने के बाद मन्नत उतारने की भी परंपरा है."-अशोक लाल टइया, पुजारी
रुक्मिणी तालाब का महत्व: वहीं इस संबंध में टिकारी जिला परिषद के चिकित्सा प्रभारी डॉ नागेंद्र सिंह ने बताया कि रुक्मिणी तालाब का दो रूपों में महत्व है. पहला कि यहां संतान प्राप्ति के लिए महिलाएं मन्नत मांगती है, तो दूसरा कि यहां चर्म और कुष्ठ रोग ठीक होते हैं. इस तरह यह धार्मिक और औषधीय दोनों रूप से महत्वपूर्ण है. मेडिकल साइंस के अनुसार सल्फर कुष्ठ और चर्म रोग के लिए अचूक दवा के समान है. रुक्मिणी तालाब में ब्रहमयोनि पहाड़ से पानी गिरता है, जिससे तालाब में सल्फर की मात्रा बनी रहती है और यही वजह है कि यहां स्नान से चर्म और कुष्ठ रोग दूर होते हैं. इस तरह रुक्मिणी तालाब का धार्मिक के अलावा औषधीय महत्व भी है.
"रुक्मिणी तालाब का दो रूपों में महत्व है. पहला कि यहां संतान प्राप्ति के लिए महिलाएं मन्नत मांगती है, तो दूसरा कि यहां चर्म और कुष्ठ रोग ठीक होते हैं. इस तरह यह धार्मिक और औषधीय दोनों रूप से महत्वपूर्ण है. मेडिकल साइंस के अनुसार सल्फर कुष्ठ और चर्म रोग के लिए अचूक दवा के समान है. रुक्मिणी तालाब में ब्रह्मयोनि पहाड़ से पानी गिरता है, जिससे तालाब में सल्फर की मात्रा बनी रहती है और यही वजह है कि यहां स्नान से चर्म और कुष्ठ रोग दूर होते हैं."-डॉ. नागेंद्र सिंह, चिकित्सा प्रभारी, जिला परिषद टिकारी