गया: शुक्रवार को नक्सली संगठन के सक्रिय सदस्य समीर उर्फ शशि रंजन ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया. वरीय पुलिस अधीक्षक राजीव मिश्रा और नक्सल अभियान अरुण कुमार सिंह के सामने आत्मसमर्पण किया. मौके पर पुलिस अधिकारियों ने सरेंडर करने वाले नक्सली के भीतर हुए बदलाव को सराहा. साथ ही उसे दैनिक सामग्रियां भी उपलब्ध कराई.
'वहां बहुत शोषण होता था'
वहीं, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली समीर उर्फ शशि रंजन ने बताया कि 2017 के दिसंबर महीना में मोबाइल खरीदने के लिए घरवालों से पैसा ना मिलने पर नक्सलियों के बहकावे में आकर माओवादी संगठन के दस्ते में शामिल हो गया था. उसने कहा कि दिसंबर 2017 से अक्टूबर 2018 तक जोनल कमांडर अभिजीत उर्फ संदीप यादव के साथ रहा. उसने बताया कि वहां बहुत शोषण होता था इसलिए उसने सरेंडर करने का फैसला लिया.
'विरोध करने पर पीटा जाता था'
सरेंडर करने वाले नक्सली ने बताया कि संगठन के अंदर अत्याचारों का विरोध करने वालों को बुरी तरह से पीटा जाता है. साथ ही कई दिनों तक खाना नहीं दिया जाता. इन सभी बातों से तंग आकर उसने संगठन छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल होने का फैसला किया. बता दें कि समीर प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी से जुड़ा हुआ था.
आत्मसमर्पण के बाद बोला नक्सली पुलिस अधीक्षक ने दी जानकारी
मौके पर वरीय पुलिस अधीक्षक राजीव मिश्रा ने कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली को सरकार की नीति के तहत मिलने वाली सभी सामग्री जल्द दिए जाएंगे. सरेंडर रिहैबिलिटेशन योजना के तहत इनके खाते में प्रतिमाह 4 हजार रुपये के दर से 3 साल तक कुल 1 लाख 44 हजार जमा किए जाएंगे. साथ ही कौशल विकास के तहत प्रशिक्षण एवं स्वरोजगार के लिए साधन भी मुहैया कराया जाएगा.