बिहार

bihar

ETV Bharat / state

अनदेखी: होलिका दहन में भी गोबर के लकड़ी की डिमांड नहीं, शो पीस बनी कंडे बनाने वाली मशीन

होलिका दहन में प्रदूषण ना हो इसे लेकर पिछले साल गया के मानपुर स्थित गौरक्षणी में मशीन द्वारा कंडे बनाने शुरू किए गए थे. तत्कालीन पशुपालन मंत्री प्रेम कुमार की पहल पर इसी कंडे से होलिका दहन किया गया था. लेकिन इस साल यह मशीन शो पीस बनकर रह गई है.

holika dahan in gaya
holika dahan in gaya

By

Published : Mar 27, 2021, 8:51 PM IST

Updated : Mar 27, 2021, 10:23 PM IST

गया:होलिका दहन में प्राय लकड़ी और अन्य सामग्री का प्रयोग किया जाता है. पिछले साल तत्कालीन पशुपालन मंत्री प्रेम कुमार की पहल पर गया शहर के मानपुर स्थित गौरक्षणी में मशीन के द्वारा गोबर के कंडे बनाने शुरू हुए थे. इसी गोबर के कंडे से कई स्थानों पर होलिका दहनभी किया गया था. लेकिन इस साल प्रेम कुमार मंत्री नहीं हैं तो गौरक्षणी में गोबर से कंडे बनना भी बन्द हो गया है.

यह भी पढ़ें-आखिर इस गांव के लोग क्यों नहीं मनाते हैं होली, पुआ-पकवान पर भी है पाबंदी

मशीन बनी शोभा की वस्तु
गौरक्षणी में गोबर के कंडे और इसकी मशीन शो पीस बनकर रह गयी है. दरअसल गौरक्षणी की गौशाला में 100 के करीब गाय हैं. पहले गौशाला में प्रतिदिन निकलने वाले गोबर को यूं ही फेंक दिया जाता था. पिछले साल पशुपालन मंत्री के निर्देश पर गौरक्षणी गौशाला प्रशासन की ओर से पहल की गई थी. पंजाब से गोबर के कंडे बनाने वाली मशीन खरीद कर लाई गई थी. मशीन से गोबर के कंडे बनाये जाते थे.

'पिछले साल मशीन से गोबर के कंडे बनाये गए थे. इस साल मशीन का प्रयोग नहीं हो रहा है. गोबर के कंडे पिछले साल बने थे लेकिन बिक्री नहीं हो सकी थी. इसलिए इस बार कोई पहल नहीं की गई.'-भौरी यादव, कर्मचारी, गौरक्षणी गौशाला

ईटीवी भारत, gfx

प्रदूषण को नियंत्रित करने में सहायक
कंडों को आम बोलचाल की भाषा में लोग गोबर की लकड़ी भी कहते हैं. पिछले साल होलिका दहन के पूर्व भारी मात्रा में मशीन के द्वारा गोबर के कंडे बनाये गए थे. लेकिन इस साल गोबर के कंडे बनाने वाली मशीन शो पीस बन कर रह गई है. होलिका दहन में कंडों के इस्तेमाल से प्रदूषण कम होता है. इससे पर्यावरण को कम नुकसान होता. लेकिन इस बार होलिका दहन में कंडे नहीं जलाए जा रहे हैं, जिसका सीधा असर पर्यावरण पर पड़ने वाला है.

'पिछले साल पायलट प्रोजेक्ट के तहत इसकी शुरुआत की गई थी. कई होलिका दहन वाले जगह पर गौरक्षणी गौशाला ने खुद से जाकर मुफ्त में कंडे दिये थे. बहुत प्रयास करने पर भी गया में गोबर के कंडे की मांग नहीं हुई. जिसके कारण यहां गोबर के कंडे बनाना बंद हो गया है. दूसरी वजह है कि यहां स्टाफ की भारी कमी है.'- उपेन्द्र उपाध्याय, प्रंबधक, गौरक्षणी गौशाला

ईटीवी भारत, gfx

गौरक्षणी गौशाला की अनदेखी
गौरतलब है कि, गया गौरक्षणी गौशाला का निर्माण 1988 में हुआ था. पिछले साल तक 200 के करीब गाय थी. इस वर्ष 100 के करीब गाय हैं. पिछले साल तत्कालीन पशुपालन मंत्री ने पहल करते हुए गौरक्षणी गौशाला में गोबर से कंडे बनाने वाला मशीन मंगवाया था. पूर्व पशुपालन मंत्री ने गोबर के कंडे का उपयोग विष्णुपद श्मशान घाट पर शवदाह के लिए हो यह भी प्रयास करवाया था. लेकिन उसमें सफलता नहीं मिली. उसके बाद पर्यावरण संरक्षण को लेकर होलिका दहन में प्रयोग किया गया. लेकिन गोबर की लकड़ी की डिमांड किसी ने नहीं की. इस तरह एक अच्छी पहल लोगों की लापरवाही से टूट गई.

यह भी पढ़ें-कोरोना के दूसरे वेव ने होली के रंग में डाला भंग, रंग-पिचकारी का धंधा हुआ मंदा

Last Updated : Mar 27, 2021, 10:23 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details