गया:बोधगया के समन्वय आश्रम की अपनी एक अलग पहचान है और यहां का वीआईपी कुआं हमेशा चर्चाओं में बना रहता है. बोधगया के दूसरे बुद्ध के रूप में प्रसिद्धभाई द्वारिको सुन्दरानी के आश्रम में यह कुआं है. इस कुएं की चर्चा समन्वय आश्रम के संचालक दिवंगत द्वारिको भाई सुंदरानी के निधन के बाद काफी तेज हो गई है. इस कुएं को लोग वीआईपी कुंआ कहते हैं क्योंकि विनोबा भावे के आग्रह पर जवाहरलाल नेहरु ने इसे बनवाया और राजेंद्र बाबू ने इसका उद्धाटन किया था. कई बड़ी हस्तियों के प्रयासों के कारण यह कुआं अस्तित्व था.
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बड़ी राजनीतिक हस्तियों से कुएं का कनेक्शन
बोधगया में स्थित समन्वय आश्रम के संस्थापक भाई द्वारिको सुन्दरानी थे. भाई द्वारिको सुन्दरानी की निधन के बाद उनसे जुड़ी चीजों की चर्चा होने लगी. इसी चर्चा में वीआईपी कुआं की चर्चा होने लगी है. इलाके में तेजी से चर्चा होने लगी कि गया में एक कुएं का संबंध राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री से है.
'इस कुआं को बनते हमने नहीं देखा है लेकिन इसके बारे में भाई द्वारिको सुन्दरानी ने बताया था. बोधगया के अमवा में ऑल इंडिया सर्वोदय सम्मेलन हुआ था, उसमें देश के प्रधानमंत्री, विनोबा भावे सहित अन्य देश के नामचीन राजनीतिक लोग थे. विनोबा भावे ने बोधगया के पास एक जमीन का टुकड़ा मांगा था. बोधगया आश्रम ने जमीन दान में दिया था. इस जमीन पर विनोबा भावे के आग्रह पर देश के प्रथम प्रधानमंत्री ने अपने निजी राशि से आश्रम में कुआं बनवाया था.'- विमला दीदी, व्यवस्थापिका, समन्वय आश्रम
पं. नेहरु और राजेंद्र बाबू का जुड़ा है नाम
इस वीआईपी कुआं का शिलान्यास से लेकर उद्घाटन तक देश के प्रथम राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के हाथों से हुआ था. 1954 में बनकर तैयार हुए इस कुएं का उद्घाटन देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने किया था. यह कुआं एक साल के अंदर 80 फीट गहरा और 20 फीट चौड़ा बनाया गया था. विनोबा भावे चाहते थे कि पक्का कुआं बनवाकर उसके पास एक आम का पेड़ लगा दिया जाए ताकि भगवान बुद्ध के दर्शन करने आए लोग पानी पीकर पेड़ की छांव में विश्राम कर सकें.