गया:बिहार सरकार राज्य में पर्यटन की नई-नई संभानवाएं तलाश रही है. लेकिन जो विरासत यहां पहले से मौजूद है उसके संरक्षण में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही है. आलम ये है कि नए-नए पर्यटक स्थलों को बढ़ावा देने और इतिहास के पन्नों में अहम स्थान रखने वाले स्थलों को उपेक्षित किए जाने के कारण सरकार पर जातिगत भेदभाव का आरोप लगने लगा है. लोगों की मानें तो सरकार वाहवाही लूटने और अपना वोट बैंक बनाने के लिए जबरन स्थलों को पर्यटक स्थल घोषित कर रही है.
गया के बेलागंज प्रखंड क्षेत्र में कई ऐसे स्थल हैं जो पर्यटन की असीम संभावनाओं को समेटे इतिहास के पन्नों में दबकर रह गए हैं. इन धरोहरों में अघोषित राष्ट्रीय धरोहर नेयामतपुर आश्रम भी एक है. यह आश्रम उस समय स्वतंत्रता संग्राम और किसान आंदोलन का मुख्य केंद्र बिंदु रहा था. स्वामी सहजानंद सरस्वती और देश के महान स्वतंत्रता सेनानी प. यदुनंदन शर्मा इस आश्रम के संस्थापक थे. इसके अलावा देश के दूसरे सबसे बड़े किसान नेता प. यदुनंदन शर्मा जिन्होंने अपना सर्वस्व देश और किसानों के नाम कर दिया था.
इतिहास के पन्नों में दर्ज है अहमियत
उस समय इस आश्रम का महत्व कुछ ऐसा था कि जवाहर लाल नेहरू, राजेन्द्र प्रसाद, स्वामी सहजानन्द सरस्वती जैसे बड़े-बड़े नेताओं का दरबार यहां सजता था. फिरंगियों और जमींदारी हुकूमत के खिलाफ रणनीति तैयार होती थी. अंग्रेजों ने कई बार यहां गोलियां बरसाई. कई लोग शहीद हुए. प. यदुनंदन शर्मा को जेल हुई. अंत मे यहीं उनका स्वर्गवास हुआ और इसी आश्रम में दाह संस्कार भी किया गया. तब इस आश्रम को लोगों ने बिहार का जलियांवाला बाग की उपाधि दी थी.
सरकारी उपेक्षा से लोगों में गुस्सा
इस ऐतिहासिक धरोहर की उपेक्षा को लेकर स्थानीय लोगों में जिला प्रशासन और सरकार के प्रति काफी आक्रोश है. आश्रम कर बदहाली पर क्षेत्र के वरिष्ठ जदयू नेता सह शिक्षाविद् सिया शरण सिंह कहते हैं कि इस आश्रम में आज भी भारतीय स्वतंत्रता और किसान आंदोलन के अध्ययनरत छात्र देश के कोने कोने से आते हैं. लेकिन समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण वे निराश लौट जाते हैं. बिहार का सबसे महत्वपूर्ण स्थलों में शुमार यह आश्रम आज भी उपेक्षा का शिकार है. युवा समाजिक कार्यकर्ता सह पं यदुनन्दन शर्मा किसान विकास मोर्चा के संयोजक रविशंकर कुमार ने कहा कि सरकार सबकुछ जानकर भी एक साजिश के तहत इसका विकास नहीं करना चाहती है.