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गया का एक ऐसा गांव, जहां मस्जिद-मजार की देखरेख और पूजा करते हैं हिंदू समुदाय के लोग

गया जिले के केंदुई गांव में एक मस्जिद है, जहां 300 साल से अधिक पुराना हजरत अनवर शाह शहीद का मजार है. खास बात यह है कि इस गांव में मुस्लिम समाज का एक भी परिवार नहीं रहता. हिंदू परिवार के लोग ही इस मजार और मस्जिद की देखभाल और हिफाजत करते (Hindu Families Take Care Of Tomb In Gaya) हैं. मान्यता है कि मजार में माथा टेककर मन्नत मांगने वाले कभी निराश नहीं लौटते. ऐसे में यह मजार लोगों के बीच आस्था महत्वपूर्ण केन्द्र बन गया है. पढ़ें पूरी खबर....

गया में हिंदू परिवार करते हैं मजार की देखरेख
गया में हिंदू परिवार करते हैं मजार की देखरेख

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Published : Aug 9, 2022, 4:51 PM IST

गया:बिहार के गया में एक ऐसा गांव है, जहां मस्जिद की देखभाल हिंदू करते हैं. इतना ही नहीं हर पर्व चाहे वह हिंदू का हो या मुस्लिम का. हिंदू परिवार के लोग यहां अकीदत भी करते हैं. स्थानीय लोगों का मानना है कि इस मस्जिद में जिस फकीर की मजार है, उनकी अकीदत करने से मन्नतें पूरी होती है और कष्ट भी दूर होते हैं. जबकि इस गांव में एक भी मुस्लिम परिवार नहीं है. 500 हिंदू घरों के बीच में यह मस्जिद स्थित है. जिसमें हजरत अनवर शाह शहीद का 300 साल से (Tomb of Hazrat Anwar Shah Shaheed) अधिक पुराना मजार है.

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सांप्रदायिक सौहार्द की अनोखी मिसाल:गया में बसे इस गांव का नाम केंदुई है, जो जिला मुख्यालय से करीब चार किलोमिटर दूर है. यह गांव सांप्रदायिक सौहार्द की अनोखी मिसाल पेश कर रहा है. हिंदू गांव में स्थित मस्जिद का यहां बसे सभी परिवार मिलजुल कर देखभाल करते हैं. पर्व-त्यौहार पर भी लोग मस्जिद में पहुंचकर मजार पर माथा टेकते हैं और श्रद्धानुसार अकीदत भी करते है. गांव के आसपास लोगों के बीच यह मान्यता है कि इस मजार पर सच्चे दिल से जो मांगो वह पूरा हो जाता है. ऐसे में दूसरे जगहों से भी लोग यहां आते है.

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सुबह-शाम मजार की साफ-सफाई:केंदुई गांव के लोग दोनों पहर सुबह और शाम मस्जिद और मजार की साफ-सफाई करते हैं. नियम से अगरबत्ती जलाकर दुआएं भी मांगते हैं. खास बात यह है कि हिंदुओं के पूजा समारोह में भी मस्जिद को सजाया जाता है. होली हो या दीपावली लोग यहां पूजा-अर्चना करना नहीं भूलते. इस मजार से केंदुई गांव के लोगों की गहरी आस्था और विश्वास जुड़ी हुई है. स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मजार सैकड़ों साल पुराना है. हजरत अनवर शाह शहीद को लोग भगवान के समान मानते है.

मजार को लेकर क्या है मान्यता:इस मस्जिद और मजार को लेकर कई मान्यताएं और उनसे जुड़ी कहानियां है. जिसमें से एक यह है कि गांव मेंएक बार जब भयानक अकाल पड़ा था तो हजरत अनवर शाह शहीद बाबा ने लोगों को निराश नहीं होने को कहा. उन्होंने लोगों को कहा किलाठा कुड़ी में आटा रख दो, आटा गिला होगा तो उसी का रोटी खाएंगे. उनके कहे अनुसार जब लोगों ने ऐसा किया गया था तो कुछ देर बाद मूसलाधार बारिश शुरू हो गई . ऐसे ही हजरत शहीद बाबा केंदुई के लोगों की हर कष्टों को दूर किया करते थे.

यहां हजरत अनवर शाह बाबा के अलावा उनके शिष्य और चेले भी साथ में यहां रहा करते थे. उनकी मृत्यु के बाद शव को हिंदू परिवारों ने उनके ठहरने वाले स्थान पर ही मस्जिदनुमा मंजिला तैयार कर दफना दिया, जो बाद में मजार का रूप ले लिया.



"गांव में हजरत अनवर शाह शहीद का मजार है, जो कि सैकड़ों सालों से है. यह 500 घर हिंदुओं की बस्ती है और मुस्लिम का कोई व्यक्ति इस गांव में नहीं है. हमलोग भगवान के समान हजरत अनवर शाह शहीद बाबा की पूजा पाठ करते हैं. साफ सफाई की सारी व्यवस्था की जाती है. यह जर्जर और एक तरह से ढह गया था, जिसे मेरे पिता विनोद सिंह मुखिया के वेलफेयर सोसाइटी के द्वारा जर्जर हुए मस्जिद का जीर्णोद्धार कराया गया था. यह हिंदू मुस्लिम एकता की बड़ी मिसाल है"- राजेश कुमार, केंदुई गांव निवासी

"हमारा गांव राजपूत बाहुल्य है. यहां मस्जिद नुमा मंजिला में एक मजार स्थापित है, जो कि हजरत अनवर शाह शहीद का है. बाबा हजरत अनवर शाह बहुत पहुंचे हुए फकीर थे. उनके पास दुआ मांगने से हम लोगों के कष्ट दूर होते हैं. उनके यहां मजार पर हमलोगों का पूरा परिवार पूजा पाठ करता है. गांव के लोग इसकी देखभाल करते हैं. यहां हर मन्नत पूरी होती है. दूर-दूर से लोग भी यहां आते हैं"-दिनेश कुमार सिंह, केंदुई गांव निवासी

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