गया(टिकारी)जिले केटिकारी का नाम आते ही हर किसी के जुबां पर ऐतिहासिक टिकारी किला का जिक्र सबसे पहले होता है. किले का गौरवशाली अतीत वर्तमान में किले का बुनियाद इसकी गवाही देता है. लेकिन इसके वंशज, सरकार किले को संजो नहीं पाए और किला अतिक्रमण का शिकार हो गया. चुनाव नजदीक आते ही किला और इलाके की विकास के लिए जनता स्थानीय विधायक से सवाल कर रहे हैं. जबकि विधायक के अपने दावे हैं.
टिकारी विधायक अभय कुशवाहा युवा जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष के साथ-साथ सीएम नीतीश कुमार के प्रिय विधायक में से एक है. मुख्यमंत्री के करीबी विधायक के विधानसभा में क्षेत्र में विकास कार्यों की जानकारी लेने के लिए ईटीवी भारत संवाददाता ने ग्राउंड रिपोर्टिंग की. वहीं, स्थानीय विधायक का पक्ष भी जाना. विधायक अभय कुशवाहा ने बताया टिकारी विधानसभा क्षेत्र को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सोच की के मुताबिक ही हर तरफ विकास कार्य किए गए है. सिंचाई के लिए कई पईन का जीर्णोद्धार किया गया है. मुख्य सड़क पथ से लेकर लिंक रोड का पक्कीकरण हुआ है.
विधायक ने विकास कार्य का किया दावा
जेडीयू विधायक ने कहा कि सीएम के न्याय के साथ विकास की सोच को धरातल पर उतारा गया है. उन्होंने कहा कि उनसे पहले भी दस सालों तक टिकारी विधानसभा क्षेत्र के विधायक जेडीयू कोटे से थे. लेकिन उन्होंने जातिवाद और व्यक्तिगत काम किया लेकिन उन्होंने सीएम के सोच न्याय के साथ विकास पर कार्य किया. ईटीवी भारत की टीम चुनावी बिगुल फूंकने के पहले टिकारी विधानसभा के किला इलाके में पहुंची. वहां की मौजूद एक भी जनता विकास की बात नहीं कहा. एक राहगीर ने बताया कि विकास तो नहीं हुआ स्थिति पहले के जैसे ही है मौजूदा विधायक सड़क का मरम्मती भी नहीं करा सके.
टिकारी विधायक अभय कुशवाहा किसानों का विधायक पर आरोप
वहीं, एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि रेल मार्ग के लिए दर्जनों बार आवेदन दिया लेकिन विधायक की तरफ से कोई पहल नहीं किया गया. युवा वर्ग की बात करे तो उन्होंने भी साफ तौर अभय कुशवाहा के कार्यों को लगभग नकार दिया. एक किसान ने बताया कि लाव पंचायत में मुख्यमंत्री आये थे. उन्होंने ने कहा था सिंचाई के लिए बियर बांध बनाया जाएगा लेकिन आज तक नहीं बन सका जबकि स्थानीय विधायक सिर्फ आश्वासन देते रहे.
2015 में पहली बार विधायक बने अभय कुशवाहा
बता दें कि गया के टिकारी विधानसभा क्षेत्र से पहली बार अभय कुशवाहा ने किस्मत अपनाया था और उन्होंने सफलता हासिल की. 2015 विधानसभा चुनाव में जेडीयू का आरजेडी के साथ गठबंधन था. पिछले विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के जरिए अभय कुशवाहा की नैया पार हो गयी थी. ऐसे में देखना है कि इस बार एनडीए में रहते हुए 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में स्थानीय विधायक अपनी कुर्सी बचा पाते हैं या नहीं.