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गोबरधन योजना से बदलने वाली है गया के इस गांव की सूरत, मिलेगी मुफ्त रसोई गैस - Etv Bharat News

बिहार के गया जिले के बतसपुर गांव को लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान फेज-2 (Lohia Swachh Bihar Campaign Phase 2) के तहत गोबरधन योजना के लिए चयनित किया गया है. गोबर और पराली के बदले ग्रामीणों के रसोई घर तक मुफ्त कुकिंग गैस पहुंचेगी,पराली और गोबर से तैयार होगी बायोगैस.

Gobardhan Yojna Implementation In Bataspur Gaya
Gobardhan Yojna Implementation In Bataspur Gaya

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Published : Dec 4, 2022, 4:22 PM IST

Updated : Dec 4, 2022, 4:30 PM IST

गया: बिहार के गया जिले के बोधगया प्रखंड के बतसपुर गांव की सूरत निकट भविष्य में बदलने वाली है. बतसपुर गांव कोलोहिया स्वच्छ बिहार अभियान के तहत गोबरधन योजना के लिए चयनित (Gobardhan Yojna Implementation In Bataspur Gaya) किया गया है. स्वच्छ बिहार अभियान फेज 2 के तहत गांव के घरो में पाइपलाइन से मुफ्त रसोई गैस मिलेगी. बदले में किसानों को अपने गाय-भैस का गोबर और कचरा देना होगा. खेतों की पराली और अन्य बेकार की चीजें भी सौंपनी होगी. पराली जलाने की समस्या सरकार के लिए सिरदर्द बन चुकी है. ऐसे में इस योजना के तहत पराली और गोबर से बायोगैस बनेगी.

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50 लाख की लागत से बनी है यह योजना:दरअसल बतसपुर गांव को लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान फेज-2 के तहत गोबरधन योजना के लिए चयनित (Bataspur Selected For gobaradhan yojana) किया गया है. जिसके लिए पिछले 7 नबंवर को राज्य के कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत के द्वारा भूमिपूजन किया गया था. लगभग 50 लाख की लागत की यह योजना ग्रामीणों के लिए अपार सहूलियत लेकर आने वाली है. फिलहाल गांव के बाहर चैंबर का निर्माण हो रहा है. इसके बाद पाइप लाइन बिछाने का काम शुरू होगा.

Gobardhan Yojna Implementation In Bataspur Gaya

प्रथम चरण में 50 घरों तक कुकिंग गैस पहुंचाने की तैयारी:इस संबंध में स्थानीय उप मुखिया मनोरंजन प्रसाद समदर्शी बताते हैं कि गया जिला का यह पहला गांव होगा, जहां के लोगों को गोबर के बदले बायोगैस के रूप मे कुकिंग गैस उनके घरों तक आपूर्ति की जाएगी. गोबर और जैविक कचरे से बायोगैस का निर्माण होगा. उसके बाद चैंबर से निकलने वाले वेस्ट मटेरियल को जैविक खाद के रूप में उपयोग किया जाएगा. उन्होंने कहा कि जो किसान गोबर उपलब्ध कराएंगे उन्हें रसोई गैस निशुल्क दी जाएगी, लेकिन जो किसान गोबर नहीं देंगे उन्हें आधे दाम में कुकिंग गैस दी जाएगी. जिससे उनको फायदा होगा. लेकिन सबसे बड़ी निजात पराली से मिलने वाली है.

पराली जलाने की समस्या का निराकरण: आज पराली सबसे बड़ी समस्या हो गई है. यहां पर पराली और कृषि अपशिष्ट को मिलाकर बायोगैस का निर्माण होगा और किसानों को उनके घर तक कुकिंग गैस पहुंचाई जाएगी. प्रथम चरण में 50 घरों तक कुकिंग गैस पहुंचाने को लेकर योजना तैयार हो गई है आने वाले समय में बतसपुर गांव के सभी साढ़े 5 सौ घरों को कुकिंग गैस उपलब्ध कराई जाएगी. इस योजना पर लगभग 50 लाख की राशि खर्च हो रही है.

"अब किसानों को जहां-तहां गोबर फेंकने की जरूरत नहीं है. किसानों को हम लोग डस्टबिन उपलब्ध कराएंगे. वहीं पर गोबर को इकट्ठा किया जाएगा. साथ ही पराली को भी हमलोग लेंगे. इसके बाद गोबर को किसानों से खरीद कर बायोगैस का निर्माण किया जाएगा और बदले में उनके घरों तक कुकिंग गैस पहुंचाई जाएगी. उन्होंने कहा कि गया में बतसपुर गांव में एकमात्र इस योजना का कार्य चल रहा है. इसके अलावा अन्य जिलों में भी शुभारंभ किया गया है. आने वाले समय में बिहार के सभी 38 जिलों में यह योजना शुरू की जाएगी. इसका सबसे बड़ा लाभ किसानों को गोबर और पराली से तैयार बायोगैस एवं जैविक खाद के रूप में मिलेगी." :- मिलन पासवान, सुपरवाइजर

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Last Updated : Dec 4, 2022, 4:30 PM IST

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