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कोरोना से सावधान: बाजारों में कमी हुई तो सिलाई सीख रही लड़कियों ने बनाना शुरू किया मास्क - सिद्धार्थ कैम्पेशन ट्रस्ट के निदेशक विवेक कल्याण

इस संस्था में सिलाई सीख रही 20 लड़कियों ने बोधगया में मास्क की कमी को देखते हुए मास्क बनाना शुरू कर दिया है. ये मास्क संस्था से जुड़े लोग गरीब लोगों में निःशुल्क वितरण करते हैं. वहीं, छात्रा ने कहा हम लोगों का समय किसी की जान बचा दे ये सबसे महत्वपूर्ण हैं.

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Published : Mar 20, 2020, 5:29 PM IST

गयाः कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए अधिकतर लोग मास्क का इस्तेमाल कर रहे हैं. अचानक अधिक लोगों के मास्क का उपयोग करने से बोधगया के बाजारों से मास्क का स्टॉक खत्म हो गया है. इस खबर की जानकारी जैसे ही वियतनामी संस्था में सिलाई सीख रही लड़कियों को हुआ, उन्होंने सूती के कपड़े से तीन लेयर का हेडमैड मास्क बनाकर तैयार कर दिया.

बोधगया के बाजारों में मास्क का स्टॉक खत्म
आपको बता दें कि बोधगया को अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की वजह से कोरोना वायरस के लिए अति संवेदनशील माना जा रहा है. बोधगया के बाजारों से इन दिनों मास्क भी खत्म हो गया है, अगर कहीं मास्क मिल भी रहा है, तो उसके लिए दोगुने नहीं चार गुने अधिक पैसे देने पड़ रहे हैं. ऐसे में गरीब लोग पैसे के अभाव में बिना मास्क लगाए बोधगया के भीड़भाड़ वाली जगहों पर घूम रहे हैं.

मास्क बनाती लड़कियां

संस्था सिद्धार्थ कैम्पेशन ट्रस्ट की लड़कियां बना रही मास्क
बोधगया में संचालित संस्था सिद्धार्थ कैम्पेशन ट्रस्ट गरीब लड़कियों को निःशुल्क सिलाई सिखाता है. इस संस्था में सिलाई सीख रही 20 लड़कियों ने बोधगया में मास्क की कमी को देखते हुए मास्क बनाना शुरू कर दिया है. वहीं, संस्था से जुड़ी एक छात्रा ने बताया कि बोधगया में मास्क की कमी हो गई है. पैसे वाले लोगों को मास्क नहीं मिल रहा है. ऐसे में गरीबों को बिल्कुल मास्क नहीं मिलेगा. कोरोना वायरस की महामारी से गरीबों को बचाने के लिए हम लोग सूती कपड़ों के तीन लेयर का मास्क तैयार कर रहे हैं. ये मास्क संस्था से जुड़े लोग गरीब लोगों में निःशुल्क वितरण करते हैं. वहीं, छात्रा ने कहा हम लोगों का समय किसी की जान बचा दे ये सबसे महत्वपूर्ण हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

एक मास्क को बनाने में लगता है 5 से 6 मिनट
सिद्धार्थ कैम्पेशन ट्रस्ट के निदेशक विवेक कल्याण ने बताया कि मुझे न्यूज से पता चला कि बाजार में मास्क की कमी है. जिसके बाद हम सभी ने ये निर्णय लिया कि हमलोग खुद से मास्क बनायेंगे. वहीं, सभी लड़कियां तैयार हो गई और उनको समान लाकर दिया. उन लोगों ने निःस्वार्थ भाव से हर दिन हजारों मास्क बना ले रही है. वहीं, उन्होंने कहा कि हमलोग उस मास्क को गरीबों के बीच बांटते हैं. एक मास्क बनाने में 5 से 6 मिनट लगता हैं.

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