गया: बिहार में साल 2019 से नीरा का उत्पादन करवाया जा रहा है. 2016 में पूर्ण शराबबंदी के बाद नीतीश सरकार यह योजना लेकर आई थी. पारंपरिक रूप से ताड़ी के उत्पादन में लगे लोगों को वैकल्पिक रोजगार से जुड़ने का मौका मिला. सरकार की कोशिश थी की लोग शराब छोड़ नीरा का सेवन करें. सरकार की यह कोशिश रंग लाई और आज जीविका समूहों के माध्यम से सर्वेक्षण कर जिले में 91 नीरा उत्पादक समूह का गठन (Gaya will become hub of Neera) हुआ. इसी के साथ इन समूहों के माध्यम से करीब 2500 नीरा टैंपर को जोड़ा गया.
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गया जिले में 400 नीरा बिक्री केंद्र : सरकार की कोशिश है कि बिहार के गया जिले में नीरा से पहली तिलकुट, लाई, पेड़ा और लड्डू बनाया जा रहा है. बोधगया प्रखंड के इलरा गांव में कुछ परिवार नीरा से तिलकुट बनाने के काम में जुटे है. बताया जाता है कि जिले में 400 अस्थाई एवं स्थाई नीरा बिक्री केंद्रों के माध्यम से 11 लाख लीटर नीरा का उत्पादन एवं बिक्री की गई. गया डीएम डॉ. त्यागराजन की माने तो ताड़ी के विकल्प के रूप में नीरा एक बेहतर पेय पदार्थ है और इससे नीरा के उप्तादन को जरूर बढ़ावा मिलेगा.
''नीरा उत्पादन एवं बिक्री में जिला का स्थान राज्य में प्रथम रहा है. सतत जीविकोपार्जन योजना के माध्यम से पारंपरिक रूप से ताड़ी के उत्पादन एवं बिक्री में जुड़े अत्यंत निर्धन परिवारों को वैकल्पिक रोजगार उपलब्ध कराया गया.''- डॉ त्यागराजन एसएम, जिलाधिकारी, गया
दुकानों को भी नीरा के साथ जोड़ने की योजना :बताया जाता है कि गया में लगभग 14 लाख 57 हजार ताड़, 3 लाख 53 हजार खजूर एवं 2134 नारियल के पेड़ हैं. खजूर के और ताड़ के पेड़ों का नीरा उत्पादन किया जा सकता है. गया जिलाधिकारी की माने तो नीरा उत्पादन और नीरा से बनने वाले खाद्य पदार्थों की बिक्री में बढ़ोतरी हुई है. साथ ही इसका दायरा बढ़े इसके लिए लोगों को ट्रेनिंग भी दी जाएगी. साथ ही, जिले में छोटे छोटे दुकानों को भी इस योजना से जोड़ने की कोशिश की तैयारी है.
नीरा से तिलकुट बनाने की योजना :उन्होंने कहा कि जीविका द्वारा ताड़ के पत्तों से तैयार किए जा रहे टोकरी बनाने और उसका प्रयोग करने की भी तैयारी है. उन्होंने बताया कि गया का तिलकुट विश्व प्रसिद्ध है, अब यहां नीरा से तिलकुट बनाने की योजना है. तिलकुट का गया में बड़ा बाजार है.
तिलकुट की पैकेजिंग के लिए टोकरी का प्रयोग : जीविका के माध्यम से नीरा से तिलकुट निर्माण Qj नीरा से अन्य खाद्य पदार्थों के निर्माण हेतु प्रशिक्षण करवाया जाएगा. तिलकुट उत्पादक को कहा कि तिलकुट के बिक्री में जो पैकेजिंग दी जाती है, उसमे भी टोकरी का प्रयोग किया जाएगा.