गया: ईटीवी भारत की खबर 'कैद में जीवनदायिनी' का बड़ा असर हो रहा है. गया के सांसद के बाद अब बिहार के पूर्व मंत्री सह नगर विधायक प्रेम कुमार (Prem Kumar) ने मामले पर संज्ञान लेते हुए जल्द से जल्द एम्बुलेंस (Ambulance) को चालू करवाने के लिए सिविल सर्जन को फोन किया है. सिविल सर्जन ने बातचीत के दौरान ये कभी नहीं माना कि उनके घर पर भी एक एंबुलेंस लगी है, जो एक मिनी अस्पताल जैसी है.
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पूर्व मंत्री प्रेम कुमार ने लिया संज्ञान
दरअसल, गया के पूर्व सांसद हरि मांझी ने अपने सांसद कार्यकाल में तीन एम्बुलेंस दी थी. ये एम्बुलेंस इन दिनों कोविड अस्पताल, सिविल सर्जन आवास और शेरघाटी अनुमंडल (Sherghati Subdivision ) अस्पताल में है. तीनों जगह करोड़ों की एम्बुलेंस सड़ रही हैं. ईटीवी भारत ने इस खबर को प्रमुखता से दिखाया है. जिसका जिले में अब बड़ा असर हो रहा है. सांसद के बाद बिहार सरकार के पूर्व मंत्री सह नगर विधायक प्रेम कुमार ने भी संज्ञान लेते हुए सिविल सर्जन से बात की.
''ईटीवी भारत के माध्यम से मुझे एम्बुलेंस के बारे में जानकारी हुआ. जिसके बाद मैंने तुरंत इस संबंध में सिविल सर्जन से बात की. सिविल सर्जन को मैंने कहा कि समीक्षात्मक रिपोर्ट तैयार कर जल्द से जल्द इन तीनों अस्पतालों में एम्बुलेंस को जनता के सेवा में समर्पित की जाए''-प्रेम कुमार, नगर विधायक
पूर्व मंत्री प्रेम कुमार ने लिया संज्ञान क्या है पूरा मामला?
गया में जिला स्वास्थ्य विभाग ने मिनी हॉस्पिटल जैसे एम्बुलेंस को सड़ने के लिए छोड़ दिया है. एक कोविड अस्पताल के समीप है, तो वहीं, दूसरी सिविल सर्जन के आवास में खड़ी है और एक शेरघाटी अनुमंडल अस्पताल में है. तीनों ही आधुनिक मशीनों से लैस एम्बुलेंस चालक के अभाव में सड़ती रहीं. इन एम्बुलेंसों को पूर्व सांसद हरि मांझी ने दिया था. लेकिन एक एम्बुलेंस महज एक आदेश के लिए कोविड अस्पताल में सड़ रही है और दूसरी सिविल सर्जन आवास की शोभा की वस्तु बनी हुई है.
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जिला स्वास्थ्य समिति को सौंपी थी एम्बुलेंस
पूर्व सांसद हरि मांझी ने सुदूर क्षेत्रों में मिनी अस्पताल जैसी दो एम्बुलेंसों को जिला स्वास्थ्य समिति को सौंपा था. जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में महामारी या आपदा में इलाज हो सके. लेकिन एक आदेश की वजह से ये एम्बुलेंस सालों से सड़ रही हैं. जिस पर पूर्व सांसद हरि मांझी ने कहा था कि मेरा जो दायित्व था उसे मैंने पूरा कर दिया था. इसे जिला स्वास्थ्य समिति को संचालित करना था. लेकिन सालों बीतने पर भी एक किलोमीटर भी नहीं चली हैं.