गया:बिहार के गया में फाइलेरिया उन्मूलनके लिए 10 फरवरी से मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (Mass Drug Administration) के तहत दवा का सेवन कराया जायेगा. फाइलेरिया एक गंभीर रोग है, जिससे व्यक्ति के हाथ, पैर या जननांग में सूजन आ जाती है. सूजन के कारण हाथीपांव हो जाता है. हाथीपांव से प्रभावित व्यक्ति उम्रभर के लिए विकलांगता का शिकार हो जाता है. उसके प्रभावित अंगों में हमेशा दर्द रहता है और वह सामान्य व्यक्ति की तरह काम नहीं कर पाता.
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चलाया जा रहा है एमडीए अभियान :जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ एमई हक ने फाइलेरिया उन्मूलन अभियान से पूर्व वृहस्पतिवार को सदर अस्पताल स्थित सिविल सर्जन कक्ष में कार्यशाला का दौरा किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि- "फाइलेरिया उन्मूलन के लिए एमडीए अभियान चलाया जाता है. इस अभियान के दौरान फाइलेरिया संभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को दवा दी जाती है. जिले में चलने वाले इस अभियान के दौरान लोगों को दो प्रकार की दवा दी जाएगी, जिसमें अल्बेंडाजोल और डीईसी शामिल हैं. इन दवाओं की शरीर में मौजूद फाइलेरिया परजीवी को समाप्त करने में अहम भूमिका होती है."
2030 तक फाइलेरिया उन्मूलन का है लक्ष्य : केंद्र सरकार के फाइलेरिया उन्मूलन के लक्ष्यों को देखते हुए बिहार में एमडीए अभियान की शुरुआत की गई है. वर्ष 2030 तक फाइलेरिया उन्मूलन के लक्ष्य निर्धारित किया गया है. दवा सेवन के लिए 48 लाख से अधिक आबादी लक्षित है. जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी ने बताया कि जिला में दो हजार टीम तैयार की गयी है. इसमें दो स्वास्थकर्मी दवा सेवन कराने का काम करेंगे. अभियान के दौरान 200 सुपरवाइजर होंगे.
करीब 7.5 लाख घर होगें कवर :मिली जानकारी के अनुसार अभियान के दौरान जिला के 7 लाख 71 हजार 313 घरों को कवर किया जाएगा. दवा सेवन के लिए योग्य लाभार्थियों की संख्या 48 लाख 44 हजार 936 आबादी को लक्षित किया गया है. अभियान 14 दिनों तक चलेगा. दवा सेवन से किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता है. यदि दवा सेवन के बाद सरदर्द, उल्टी और बुखार जैसी परेशानियां होती है, तो यह फाइलेरिया संक्रमण का संकेत है. फाइलेरिया से बचाव के लिए आशा कार्यकर्ता दवा देंगी.