गया : बिहार के गया के इमामगंज का गांव 'भगहर' जो चारों ओर से नदियों से घिरा है. लगभग 800 की आबादी वाला ये गांव टापू पर बसे होने की वजह से किसी अभिशाप से कम नहीं. यही वजह है कि गांव में विकास का रफ्तार थम सी गई है. नदी में पानी रहने के कारण बच्चे स्कूल जाने को भी तरस जाते हैं. इस गांव के लोगों को कोई अपनी लड़की की शादी नहीं करना चाहता.
सड़क नहीं तो शादी नहीं: घर तक लड़की वाले आएं इसके लिए गांव के लोग चंदा करके सड़क बनाते हैं. पैसा कम होने पर गांव के लोग खुद श्रमदान करके रास्ता निकालते हैं. ये काम इस गांव के लोगों का हर साल रहता है. कोई मरीज है तो उसे अस्पताल तक ले जाना काफी मुश्किल होता है. ग्रामीण ने बताया कि बरसात में सीरियस मरीजों को यहां मरना ही पड़ता है. कोई भी बाप अपनी बेटी की शादी इस गांव के लोगों से नहीं कराना चाहता.
''हमारे गांव तक कोई सड़क नहीं है. हम लोग चंदा इकट्ठा करके सड़क बनाते हैं. स्थानीय डॉक्टर से ही इलाज कराना हमारी मजबूरी है. बरसात में तो मरीज को यहीं पर मरना पड़ता है. हम अस्पताल तक नहीं जा पाते. एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंच पाती.'' - ग्रामीण
पुल की डिमांड कर रहे ग्रामीण: गया का भगहर गांव गया जिला मुख्यालय से 80-85 किलोमीटर दूर है. इसकी भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि चारों ओर से चार-पांच नदियां बहकर आती हैं. बारिश के दिनों में महीनों तक गांव में सब कुछ ठप रहता है. ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें इस नदी पर एक पुल चाहिए, लेकिन नीतीश सरकार और मोदी सरकार सुन नहीं रही है.
''हमें पुल की जरूरत है. हमारा गांव काफी पिछड़ चुका है. यहां कोई शादी के लिए नहीं आता. उसके लिए हम लोगों को सड़क बनानी पड़ती है. तब जाकर कोई हमारे द्वार तक आता है. हमारी सरकार से मांग है कि गांव में पुल बने''- देवंती देवी, ग्रामीण