गया: प्रदेश में हुई भारी बारिश किसानों के लिए आफत लेकर आई. इस सीजन में किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ी है. पहले तो सूखा के कारण धान की बुआई प्रभावित हुई. वहीं, जिन किसानों ने किसी तरह से बुआई कर लिया था, उनके फसल तैयार होने के पहले ही बारिश की भेट चढ़ गये. जिले में कृषि विभाग ने प्राथमिक सर्वे में 617 हेक्टेयर भूमि को चिन्हित किया है, जिसमें बारिश की वजह से धान या नकदी फसल को नुकसान पहुंचा है.
प्रकृति की दोहरी मार
इस बार हुई तेज गर्मी ने खेतों से शुरुआती बरसात के पानी को सोख लिया था. फिर मॉनसून में बारिश नहीं हुई. जिससे किसान धान की रोपनी ठीक से नहीं कर पाए. जिले के आमस प्रखंड के कई पंचायतों में महज दस प्रतिशत तक ही रोपनी हो पाई थी. वहीं, जिन किसानों ने धान की बुआई की भी थी, उन्होंने बिजली या ईंधन की मदद से भूमिगत जलस्त्रोत से खेतों तक पानी पहुंचाया था. फसल में अब दाने आने शुरू ही हुए थे कि आफत की बारिश ने उसे भी नष्ट कर दिया. प्रकृति के सताए किसान अब सरकार की तरफ उम्मीद की नजर से देख रहे हैं.
सरकार से उम्मीद
किसान नेता रामवृक्ष प्रसाद ने बताया कि, गया में किसान प्रकृति की मार से हताश और सरकार के उदासीनता से आक्रोशित हैं. खेत में धान के फसल मरणासन्न अवस्था में है. नगदी फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गये हैं. किसानों की पूंजी डूब गई है. अब वो दलहन और गेहूं की खेती कैसे करेंगे? उन्होंने कहा कि सरकार से जो मदद मिलती है, वो महज खानापूर्ती करने की कोशिश होती है. इससे किसानों के लागत मूल्य भी नहीं निकलते. उन्होंने सरकार से मांग की है कि किसानों की स्थिति को देखते हुए मुआवजे की राशि तय की जाये.
बारिश से खेतों में धान की फसल को भारी नुकसान हुआ है किया जा रहा है क्षति का आंकलन
जिलाधिकारी अभिषेक सिंह ने बताया कि असामान्य बारिश से क्षति के आंकलन के लिए कृषि विभाग की तरफ से सर्वे कराया गया है. जिसमें 617 हेक्टेयर जमीन चिन्हित की गई है. इसकी रिपोर्ट सरकार को भेज दी गई है. साथ ही सूखा से प्रभावित इलाकों में भी किसानों के नुकसान के आंकलन का निर्देश मिला है. इसका सर्वे भी करा कर जल्द ही सरकार को रिपोर्ट भेज दी जाएगी, ताकि किसानों को अनुदान और कृषि सहायता का लाभ मिल सके.