गयाः बिहार के गया में इस साल मोटे अनाज की फसलें यानी मिलेट क्रॉप को करीब 2 हजार एकड़ में लगाए जाने की योजना तैयार कर ली गई है. फिलहाल मोटे अनाज की फसल मड़वा की खेती की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. बीज की निकाई होने शुरू हो गई हैं. वहीं कई इलाकों में रोपनी भी शुरू हो गई है. कम पानी के बीच मड़वा की खेती संभव हो जाती है. ऐसे में किसान उत्साहित होकर मिलेट में दिलचस्पी दिखा रहे हैं.
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2 हजार एकड़ में मिलेट फसल की खेतीः कभी पुराने दौर में मोटे फसलों की खेती होती थी, लेकिन अब यह लुप्तप्राय हो चुकी है. लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी के आह्वान के बाद अब मिलेट फसलों का दौर वापस लौटता नजर आ रहा है. गया जिले में 2 हजार एकड़ में मिलेट फसल वर्ष 2023 में लगाई जाएगी. फिलहाल मिलेट फसल के रूप में मड़वा की खेती शुरू की गई है. किसान अपने खेतों में बीज निकाई करने में जुटे देखे जा सकते हैं. किसानों का कहना है कि 480 एकड़ में मड़वा की खेती की जाएगी.
30 एकड़ में मड़वा की खेती शुरूः गया जिले के मानपुर में करीब 30 एकड़ में मड़वा की खेती होगी. वहीं, इसके अलावा जिले के अन्य प्रखंडों में भी सैकड़ों एकड़ में खेती की जानी है. जिले में कुल मिलाकर 500 एकड़ में मड़वा की खेती कराने का लक्ष्य कृषि विभाग के द्वारा रखा गया है और इसके लिए उसमें मड़वा के बीज का वितरण कर दिया गया है. गया जिले में कुछ स्थानों पर मड़वा बीज का निकाई किया जा रहा है, वहीं कुछ स्थानों पर इसकी खेती भी शुरू कर दी गई है.
सेहत के लिए फायदेमंद है मड़वाःमड़वा की खेती में जुटे किसान नवलेश कुमार सिंह बताते हैं कि जिसे हम लोग रागी कहते हैं, यह पुराना अनाज है. मोटे अनाज को शिफ्ट करना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे श्री अन्न योजना के नाम से लांच किया है. नए उम्र के किसान पुरानी खेती को अपना रहे हैं. नवलेश ने बताया कि बीज गिराए गए हैं और उसकी निकाई कर रहे हैं. इधर के लोग मड़वा की खेती नहीं करते हैं, लेकिन अब शुरुआत हुई है. सेहत के हिसाब से भी बहुत फायदेमंद है और पूरी संभावना कि इसकी डिमांड आने वाले दिनों में काफी होगी और हम जैसे किसानों की आर्थिक स्थिति दुरुस्त होगी.