गया: बिहार का मगध क्षेत्र के सबसे बड़े जिले गया में गेहूं की फसल बड़े पैमाने पर होती है. धान की कटाई के बाद अब किसान गेहूं की फसल की बुआई कर रहे हैं. इस साल 80 हजार हेक्टेयर में गेहूं की फसल लगाने की योजना है. गेहूं की फसल के लिए सरकार बीज पर सब्सिडी देती है और जिरोटिलेज यंत्र के लिए प्रोत्साहन राशि भी देती है. सरकार की योजनाओं का लाभ किसानों तक पहुंचता है या नहीं इसकी ईटीवी भारत ने पड़ताल की.
ईटीवी भारत ने की किसानों से बातचीत
ईटीवी भारत ने टिकारी प्रखण्ड के कई गांव के दर्जनों किसानों से बात की. टिकारी प्रखण्ड के अधिकांश किसानों को सरकार की इन योजनाओं के बारे में जानकारी तक नहीं है. जिन्हें जानकारी है वो लेटलतीफी के कारण योजनाओं का लाभ नहीं ले पाते हैं.
ETV भारत की ग्राउंड रिपोर्ट सरकारी योजनाओं से महरूम किसान
जिले के टिकारी प्रखण्ड के शेरपुरा गांव के युवा किसान विनोद यादव ने बताया कि वो अपने गांव में पांच एकड़ में गेहूं की खेती कर रहे हैं. गेहूं के बीज बाजार से खुद खरीदते हैं क्योंकि सरकार से बीज लेने पर सब्सिडी देने में लेटलतीफी होती है. सिंचाई के लिए बगल में मोरहर नदी है लेकिन नदी के पानी से सिंचाई नहीं हो पाती है. सभी किसान भूमिगत जल स्त्रोत से सिंचाई करते हैं. हम लोगों को गेंहू की खेती करने के लिए सरकार की तरफ से कोई लाभ नहीं मिलता है.
सिंचाई के लिए कोई व्यवस्था नहीं 'गेहूं की बुआई के लिए किसानों को सब्सिडी के तहत बीज मुहैया कराया गया है. जिरोटिलेज यंत्र के लिए किसानों को भाड़ा भी दिया जा रहा है. प्रखण्ड में सिंचाई के लिए कोई व्यवस्था नहीं है सभी किसान भूमिगत जल स्त्रोत पर आश्रित हैं'- गोपाल रंजन, प्रखण्ड कृषि पदाधिकारी
80 हजार हेक्टेयर में गेहूं की बुआई बता दें कि जिले के 24 प्रखंड के 336 पंचायत में 80 हजार हेक्टेयर में गेहूं की खेती की जाएगी. जिसमें उत्पादन का लक्ष्य 2 लाख 40 हजार मिलयन टन रखा गया है. सबसे ज्यादा गया जिले के टिकारी प्रखण्ड के 5714 हेक्टेयर में खेती की जाएगी. गया जिले में सभी नदियां बरसाती हैं, जिससे रबी की फसलों की सिंचाई नहीं हो पाती है. गेहूं की फसल में सिंचाई के लिए बुआई के वक्त अगर खेती में नमी नहीं है, तो पटवन किया जाता है, उसके बाद 21-21 दिन के अंतराल पर पटवन किया जाता है.