गया:बिहार के गया जिले के किसान आशीष कुमार ने काला आलू यानी ब्लैक पोटैटो की खेती शुरू की है. आशीष ने अमेरिका से काले आलू के बीज मंगवाएं और इसकी खेती शुरू की. ट्रायल सफल रहा, तो इस बार 2024 के नवंबर महीने में इन्होंने काला आलू की खेती को बढ़ावा दिया और इस बार कई कटठों में काले आलू की खेती लगानी शुरू कर दी है.
बिहार के गया में काले आलू की खेती : गया जिले के टिकारी प्रखंड क्षेत्र के गुलरियाचक गांव के किसान आशीष ने अपने साथ कई दूसरे प्रदेश के किसानों को भी जोड़ा हैं. मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र तक के किसानों को उनकी मांगों पर बीज भेजे हैं, ताकि वे भी अपने राज्यों में कल आलू की खेती कर सकें. काले आलू में एंथोसाइएनिन की मात्रा ज्यादा होती है. वही, शर्करा की मात्रा इसमें कम होती है. सेहद के लिए काला आलू फायदेमंद माना जाता है. काला आलू को बैगनी आलू भी कहा जाता है.
अमेरिका से मंगवाया बीज, ट्रायल सफल रहा : गया के किसान आशीष कुमार सिंह ने पहली दफा पिछले साल अमेरिका से काले आलू के बीज मंगाए थे. उन्होंने ट्रायल के तौर पर मात्र 14 किलो बीज मंगवा कर इसकी खेती लगाई थी. ट्रायल सफल रहा 1000 किलोग्राम से अधिक आलू का सफल उत्पादन कर लिया गया. इसके बाद अगले साल के लिए इन्होंने कोल्ड स्टोरेज में बीज सुरक्षित रख दिए थे.
इस आलू की कीमत जान रह जाएंगे हैरान : इस बार जब सीजन आया तो एक बार फिर से किसान आशीष कुमार सिंह ने काले आलू की खेती शुरू की है. इस बार खेती का रकवा काफी बढ़ा दिया है. कई कट्टों में काले आलू की फसल लगाई गई है. पिछली बार 14 किलोग्राम में इन्होंने तकरीबन हजार किलो काले आलू का उत्पादन किया था. यह काला आलू 200 से 300 किलो प्रति किलोग्राम के हिसाब से बाजारों में बेचे गए थे. आशीष बताते हैं कि कभी-कभी तो इसका भाव 500 रुपये प्रति किलो तक पहुंच जाता हैं.
अमेरिका के बाजार में 3-4 डालर प्रति किलो :बीज मंगवाने में करीब 15 सौ रुपए खर्च हुए थे, पर आमद काफी ज्यादा रही थी. अमेरिका के बाजार में काले आलू की बीज की कीमत करीब तीन से 4 डलर प्रति किलो है. इस बार वर्ष 2023 में भी इन्होंने काले आलू की फसल लगाने की ठानी और इस वर्ष नवंबर महीने में इन्होंने काले आलू की फसल लगाने की शुरुआत कर दी है. ब्लैक पोटैटो यानी काला आलू को बैगनी आलू भी कहा जाता है.
सफेद-लाल आलू से काफी बेहतर है काला आलू : किसान आशीष कुमार सिंह बताते हैं कि इन्होंने इस बार टिकारी के गुलरिया चक में काले आलू की खेती लगाई है. खेती लगाने का काम जारी है. इसकी शुरुआत कर दी गई है. लाल आलू और सफेद आलू की तुलना में काला आलू स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से बेहतर है. सबसे बड़ी बात यह है कि काले आलू में एंथोसाइएनिन काफी मात्रा में पाए जाते हैं. वहीं दूसरी ओर शर्करा कम पाया जाता है.
''काले आलू में शर्करा की मात्रा 77 है, लेकिन लाल आलू में शर्करा की मात्रा जीआई 83 है. वही, सफेद आलू में यह मात्रा काफी ज्यादा 93 है. हालांकि 70 जीआई से ऊपर को उच्च माना जाता है, लेकिन फिर भी काले आलू में मात्र 77 जीआई है, तो इस पैरामीटर में काला आलू बेहतर है.''- आशीष कुमार सिंह, किसान
सेहत के लिए फायदेमंद काला आलू : एक्सपर्ट की माने तो काला आलू सेहत के लिए रामबाण है. वैसे तो मधुमेह (डायबिटीज) के मरीजों के लिए सफेद आलू नुकसानदायक है, लेकिन काला आलू उनके लिए कम नुकसान करता है. काले आलू में फ्लोरिक एसिड और ऑक्सीडेंट पाया जाता है, जो लीवर, फेफड़ा, कैंसर और हृदय रोग के लिए फायदेमंद है. साथ ही जिन मरीजों में खून की कमी होती है, उनके लिए भी यह रामबाण का काम करता है.
देश में कुछ ही जगहों पर काले आलू की खेती : गया के किसान आशीष कुमार सिंह का किसानों के साथ अच्छा नेटवर्क है. देश भर के किसानों से भी जुड़े रहते हैं. यही वजह है, कि उन्होंने नेटवर्क से ही काले आलू की खेती का आईडिया लिया था और फिर उसके बीज अमेरिका से बीच मंगाकर इसकी खेती ट्रायल के तौर पर शुरू की थी. इस बार कई कट्ठा में यह खेती लगा रहे हैं. सबसे बड़ी बात है कि देश में गिने-चुने स्थान पर ही काले आलू की खेती होती है.