गया:जिले में 12 सितंबर से पितृपक्ष मेला शुरु होने वाली है. लेकिन फल्गु नदी की हालत ऐसी है कि जो लोग उसमें पिंडदान करेंगे उनके आस्था को ठेस पहुंचेगा. इस नदी के रास्ते में मनसरवा नाले ने कब्जा कर लिया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस दृश्य को देखकर चिंता जतायी है. उन्होंने आने वाले पितृपक्ष मेला तक मनसरवा के पास डैम बनाने का निर्देश दिया है. ताकि नाली का पानी नदी से कुछ दूर गिराया जाए.
तीन नदियों से बनी हैफल्गु नदी
दरअसल, मान्यता है कि तीन नदियों निरंजना, मोहना और मधुश्रवा नदी के संगम से फल्गु नदी का जन्म हुआ है. लेकिन अब मधुश्रवा नदी की पहचान खत्म हो चुकी है. इस नदी ने अब नाले का रुप ले लिया है. वहीं इसको अब मनसरवा नाले के नाम से जाना जाता है. वहीं मनसरवा नाले का गंदा पानी फल्गू नदी को भी बर्बाद कर रही है. नदी की हालत ऐसी है कि इस बार के पृतपक्ष के लिए पिंडदान के लिए भी पानी नही बची है. नदी पूरी तरह से सूख चुकी है.
पितृपक्ष से पहले ही सूख चुकी है नदी
12 सिंतबर से शुरु होने वालेपितृपक्षमेला का जायजा लेने आये मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इसको लेकर चिंता जताई है. उन्होंने मनसरवा के पास डैम बनावाने का निर्देश दिया. ताकि मनसरवा का पानी नदी से कुछ दूर गिराया जा सके. इस संबंध में उपमेयर मोहन श्रीवास्तव ने बताया कि मनसरवा नाला काम करना आसान नहीं है. यह एक बड़ा प्रोजेक्ट है. इसके लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया था. अभी तक प्रस्ताव पर मुहर नहीं लगी है. पितृपक्ष मेला के दौरान पिंडदानी को नाले के पानी से मुक्ति के लिए अस्थायी रूप से मनसरवा का इंडिग पॉइंट पर डैम बनाया जा रहा है. हमलोग चाहते है कि मनसरवा नाला का स्थायी समाधान निकले पर नहीं निकल रहा है. इसके लिए हम प्रयास में जुटे हैं.
खत्म हो रही है फल्गु नदी की पहचान
आपको बता दें कि फल्गु नदी की महत्ता गंगा नदी से अधिक समझी जाती है. कहा जाता है कि भगवान विष्णु और राम-सीता का जुड़ाव फल्गु नदी से ही हुआ था. फल्गु की उत्पत्ति की मान्यता है कि स्वयं भगवान विष्णु फल्गु के रूप में प्रकट हुए थे. बात जो भी हो लेकिन अब फल्गु नदी धीरे- धीरे अपनी पहचान खोने लगी है.