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गयाः जो थी 'जीवनदायिनी' नदी, आज उसी को जीवन की दरकार

बिहार की धर्मनगरी गया में फल्गु नदी प्रवाहित होती है. फल्गु नदी को सनातन परंपरा में 'मोक्षदायिनी' कहा गया है. विडंबना है कि अब तक शहर से निकलने वाले नालों में सीवरेज सिस्टम नहीं लगाया गया है. जिससे शहर की नाली का गंदी पानी सीधे फल्गु नदी में जाकर गिरता है. जिससे फल्गु नदी दूषित हो गयी है. साथ ही नदी के दोनों छोर में पिछले दो दशक से भूमिगत जलस्त्रोत तेजी से घट रहा है.

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Published : Dec 15, 2020, 9:48 PM IST

फल्गु नदी में कचरा
फल्गु नदी में कचरा

गयाः देश के सबसे प्राचीन शहरों में गया का नाम भी आता है. इस शहर की पहचान मोक्षनगरी से होती है. इस शहर से मोक्षदायिनी फल्गु नदी गुजरती है. लोग इसे कभी जीवनदायिनी भी कहते थे. गया शहर की वर्तमान आबादी 5 लाख से अधिक है. पांच लाख की आबादी वाले शहर से पांच बड़े नाले का पानी बिना किसी ट्रीटमेंट प्लांट के फल्गु नदी में प्रवाहित हो रहा है. जिससे फल्गु नदी का पानी इतना दूषित हो गया है कि इसका पानी पीने के लिए उपयुक्त नहीं माना जा रहा है.

हाईकोर्ट ने दिया था आदेश

प्रतिज्ञा संस्था के संस्थापक बृजनंदन पाठक बताते हैं, फल्गु का पानी काफी दूषित हो गया है. कोई पीए तो बीमार पड़ जाए. मानपुर क्षेत्र के एक किलोमीटर के दायरे में पानी जैसे जहरीला सा हो गया है. मेरी संस्था प्रतिज्ञा ने बिहार प्रदूषण बोर्ड को पत्र लिखकर इसकी जानकारी दी है. प्रतिज्ञा संस्था की अपील पर ही हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि फल्गु नदी में नाले की पानी प्रवाहित नहीं किया जाए. इसके बावजूद कई नालियों का पानी अब भी फल्गु नदी में गिर रहा है.

फल्गु नदी में कचरा

गंगा से भी ज्यादा दूषित हो गई फल्गु

बृजनंदन पाठक बताते हैं, फल्गु नदी एक बरसाती नदी है इस नदी के नीचे का स्थल पथरीला है. जहां पानी का ठहराव होता है. पानी नीचे भूमिगत जल स्त्रोत तक नहीं जाता है. यही कारण था कि दशकों पहले फल्गु के तटीय इलाकों में पीने युक्त पानी 30 से 40 फिट पर मिल जाता था. फल्गु का सतह पथरीला होने से नाली का पानी फल्गु के पानी में घुलकर इसे दूषित कर चुका है. गंगा नदी की पानी जितना दूषित नहीं है, उससे अत्यधिक दूषित फल्गु नदी की पानी होगा. क्योंकि गंगा का सतह मैदानी है. गंदे पानी को प्राकृतिक तरीके से साफ कर देता है.

फल्गु नदी में कचरा

सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का भेजा प्रस्ताव

फल्गु नदी के तटीय क्षेत्र में बसे मोहल्ले से होकर सैकड़ों छोटी व बड़ी नाली बहती हैं. ऐसे 24 छोटी नालियां और पांच बड़ी नालियों को चिन्हित किया गया है. इन सभी नालों में सीवरेज सिस्टम नहीं लगा है. इस संबंध में गया नगर निगम के नगर आयुक्त सावन कुमार बताते हैं कि गया में अभी तक एक भी सीवरेज सिस्टम नहीं लगा है. बिहार में नमामि गंगे के तहत आनेवाले शहर में ये प्रोजेक्ट लगाया जा रहा है. गया नगर निगम पूर्वी व पश्चिमी छोर के तरफ सीवरेज ट्रीटमेंट लगाने का प्रस्ताव नगर विकास मंत्रालय को भेजा गया है. इसमें 400 करोड़ की लागत आएगी.

फल्गु नदी में कचरा

पटना में लंबित है प्रस्ताव

इतनी बड़ी राशि निगम के पास नहीं है. इसलिए इसका प्रस्ताव विभाग को भेजा गया है. ये प्रस्ताव पटना में लंबित है. जैसे प्रस्ताव पर मुहर लगेगा, यहां की नालियों का पानी सीवरेज सिस्टम से ट्रीटमेंट कर के खेतों में भेजा जाएगा. गौरतलब है कि फल्गु नदी को सिर्फ नाली का पानी ही दूषित नहीं कर रहा. विष्णुपद के निकट स्थित विष्णु श्मशान घाट के कारण भी फल्गु दूषित हो रही है. गया नगर निगम के आदेश के बावजूद भी आम लोग फल्गु नदी के समीप हर दिन दर्जनों शव को जलाते हैं.

फल्गु नदी में कचरा

सीएम ने भी जतायी थी चिंता

2019 में पितृपक्ष मेले के पूर्व तैयारी की समीक्षा करने आए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी फल्गु नदी में दूषित पानी के प्रवाह को लेकर काफी चिंतित थे. उन्होंने तुरंत छोटा डैम बना कर मनसरवा नाले के पानी को एक नाली के माध्यम से शहर से दूर गिराने का आदेश दिया था. जिसका पालन कुछ महीनों तक हुआ लेकिन अब वह भी छोटा डैम और नाला पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है.

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