गयाः देश के सबसे प्राचीन शहरों में गया का नाम भी आता है. इस शहर की पहचान मोक्षनगरी से होती है. इस शहर से मोक्षदायिनी फल्गु नदी गुजरती है. लोग इसे कभी जीवनदायिनी भी कहते थे. गया शहर की वर्तमान आबादी 5 लाख से अधिक है. पांच लाख की आबादी वाले शहर से पांच बड़े नाले का पानी बिना किसी ट्रीटमेंट प्लांट के फल्गु नदी में प्रवाहित हो रहा है. जिससे फल्गु नदी का पानी इतना दूषित हो गया है कि इसका पानी पीने के लिए उपयुक्त नहीं माना जा रहा है.
हाईकोर्ट ने दिया था आदेश
प्रतिज्ञा संस्था के संस्थापक बृजनंदन पाठक बताते हैं, फल्गु का पानी काफी दूषित हो गया है. कोई पीए तो बीमार पड़ जाए. मानपुर क्षेत्र के एक किलोमीटर के दायरे में पानी जैसे जहरीला सा हो गया है. मेरी संस्था प्रतिज्ञा ने बिहार प्रदूषण बोर्ड को पत्र लिखकर इसकी जानकारी दी है. प्रतिज्ञा संस्था की अपील पर ही हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि फल्गु नदी में नाले की पानी प्रवाहित नहीं किया जाए. इसके बावजूद कई नालियों का पानी अब भी फल्गु नदी में गिर रहा है.
गंगा से भी ज्यादा दूषित हो गई फल्गु
बृजनंदन पाठक बताते हैं, फल्गु नदी एक बरसाती नदी है इस नदी के नीचे का स्थल पथरीला है. जहां पानी का ठहराव होता है. पानी नीचे भूमिगत जल स्त्रोत तक नहीं जाता है. यही कारण था कि दशकों पहले फल्गु के तटीय इलाकों में पीने युक्त पानी 30 से 40 फिट पर मिल जाता था. फल्गु का सतह पथरीला होने से नाली का पानी फल्गु के पानी में घुलकर इसे दूषित कर चुका है. गंगा नदी की पानी जितना दूषित नहीं है, उससे अत्यधिक दूषित फल्गु नदी की पानी होगा. क्योंकि गंगा का सतह मैदानी है. गंदे पानी को प्राकृतिक तरीके से साफ कर देता है.