गया : शराबबंदी वाले बिहार (Bihar Liquor Ban) में अगर कोई पहली बार शराब पीते पकड़ा गया तो जुर्माना देकर छूट जाएगा, लेकिन उसके घर पर चेतावनी का पोस्टर लगाया जा रहा (pasting posters on homes of drunker in gaya) है. इसकी शुरुआत बिहार के गया जिले से की गई है. इस पोस्टर में शराबी का नाम, पिता का नाम साथ ही जुर्माने की राशि का भी जिक्र है. इसकी जरूरत क्यों पड़ी इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि शराबबंदी के बाद सिर्फ गया जिले की बात करें, तो यहां 23 हजार लोगों की गिरफ्तारियां की जा चुकी है.
ये भी पढ़ें - सावधान: शराब पीने वालों के घरों पर उत्पाद विभाग चिपका रहा है पोस्टर, दे रहा है ये सख्त संदेश
शराबियों के घर पर चस्पा पोस्टर :बिहार के गया जिले में कई शराबियों के घर पोस्टर चिपकाया गया (Excise department is pasting posters on homes) है. उत्पाद विभाग के द्वारा चिपकाया गया यह पोस्टर अब चर्चा का विषय बन गया है. जानकारी के मुताबिक ऐसे व्यक्ति के घरों में जाकर उत्पाद विभाग की टीम ब्रेथ एनेलाइजर से दोबारा उस व्यक्ति की जांच कर रही है. ऐसे में यदि व्यक्ति नशे में पाया जाता है तो उसे गिरफ्तार कर जेल भेज देगी.
पोस्टर में क्या लिखा हुआ है?:पोस्टर में लिखा हुआ है कि दूसरी बार शराब पीते पकड़े जाने पर एक साल की सजा मिलनी निश्चित है. लखीबाग में बबलू यादव के घर पर पोस्टर चिपकाया गया. जिसमें शराबी का नाम, पिता का नाम और विस्तृत पते के साथ तमाम जानकारी है. साथ ही यह भी लिखा है कि पहली बार शराब पीने के अपराध में जुर्माना देकर अभियुक्त को रिहा किया गया है. अगर यह दूसरी बार शराब पीते हुए पकड़े जाते हैं, तो इस बार निश्चित रूप से एक वर्ष के लिए जेल जाना होगा.
क्या बोले शराबी:पहली बार शराब पीने वाले मोहम्मद तैय्यब ने बताया कि वो पहली बार शराब पीया है, उसने कहा कि अब वो कभी शराब नहीं पीएगा. वहीं पहली बार शराब पीकर छूटने वाले दीपक कुमार ने बताया कि पहली बार पकड़े जाने पर उसे जुर्माना देकर छोड़ा गया और दूसरी बार पकड़े जाने पर एक वर्ष की सजा मिलेगी. उसने बताया कि अब वो जीवन में कभी भी शराब नहीं पीएगा.
बबलू ने पहली बार पी थी शराब, जुर्माना देकर छूटे थे:बिहार के गया जिले के बबलू यादव 7 मई 2022 को पहली बार शराब पीने के आरोप में पकड़े गए थे. पकड़े जाने के उपरांत जुर्माना देकर वे रिहा हुए हैं. अगर वह दूसरी बार पीते हुए नशे में पकड़े जाते हैं, तो उनको 1 वर्ष की सजा हो सकती है. इस पोस्टर में नशा मुक्त बिहार का स्लोगन देते हुए सख्त हिदायत के तौर पर सचेत रहने की बात कही गई है. शराबी के घर पोस्टर चिपकाए जाने के बाद उत्पाद विभाग के अधिकारी व कर्मचारी शराबी को भविष्य में सचेत रहने की हिदायत भी दी जा रही है. अभियुक्त के साथ उनके घरवालों को भी शराब से होने वाले नुकसान के बारे में बताया जा रहा है और कानून की जानकारी दी जा रही है.
क्या कहना है मद्य निषेध विभाग का? : मद्य निषेध विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, पोस्टर चिपकाने का उद्देश्य चेतावनी देना है. विभागीय अधिकारी ऐसे लोगों की जांच भी करेंगे तथा संदेह होने पर ब्रेथ एनलाइजर से उसकी जांच भी कर सकेंगे. बिहार के तमाम एक्साइज इंस्पेक्टरों को निर्देश जारी किया गया है. उन्हें कहा गया है कि वे सरकारी रिकार्ड देखें कि कौन-कौन से लोग पहली बार शराब पीकर पकड़े जाने के बाद जुर्माना देकर छूटे हैं. एक्साइज इंस्पेक्टर वैसे तमाम लोगों के घर बाहर पोस्टर चिपकायें. पोस्टर के जरिये न सिर्फ उन्हें चेतावनी दें, बल्कि आस-पास के लोगों को भी जानकारी दें कि वह व्यक्ति शराब पीने के जुर्म में पकड़ा जा चुका है.
"पहली दफा शराब पीने और जुर्माना देकर कोर्ट से छूटने वाले लोगों के घरों पर अब उत्पाद विभाग की टीम पहुंच रही है और उनके घरों पर पोस्टर चिपकाया जा रहा है. उनका नाम-पता और हिदायत दी जा रही है. वह उत्पाद विभाग के रडार पर है और कभी भी उसकी जांच वहां पहुंचकर विभागीय टीम कर सकती है और दूसरी बार यदि पकड़ा जाता है है तो उसे सीधा जेल भेजा जाएगा और कार्रवाई की जाएगी. दूसरी बार शराब पीने को लेकर होने वाली कार्रवाई में 1 साल की सजा का प्रावधान है. इसकी शुरुआत बिहार में पहली बार गया से हो गई है और बुधवार को ही गया जिले के मुफस्सिल थाना अंतर्गत लखीपुर में बबलू यादव के घर पर इस तरह का पोस्टर भी चिपकाया गया.". - प्रेम प्रकाश, सहायक आयुक्त, उत्पाद विभाग, गया
मद्य निषेध विभाग ने ऐसा कदम क्यों उठाया? :मद्य निषेध विभाग ने ऐसा कदम इसलिए उठाया है, क्योंकि शिकायत मिल रही है कि कई लोग पहली बार पकड़े जाने के बाद दोबारा भी शराब का सेवन कर रहे हैं. बता दें कि विपक्ष शराबबंदी के बाद भी बिहार में अवैध रूप से शराब का धंधा चलने का आरोप लगता रहा है. प्रतिदिन राज्य के किसी न किसी इलाके से शराब बरामदगी की खबरें आती रहती हैं.
आंकड़े बता रहे बिहार में शराबबंदी की हकीकत :उत्पाद विभाग के अपने ही आंकड़े बिहार में शराबबंदी की पोल होते नजर आते हैं. शराबबंदी से संबंधित विभागीय आंकड़ों को देखा जाए तो अब तक बिहार के गया में ही अकेले 17430 प्राथमिकी शराब के मामलों की दर्ज की जा चुकी है. यह आंकड़े वर्ष 2016 यानि की शराबबंदी की शुरुआत से अब तक की है. अब तक कुल गिरफ्तारियां शराब के मामलों में 23086 लोगों की है. वहीं सजा की बात करें तो सिर्फ 27 लोगों को ही सजा हो सकी है.
मुंह चिढ़ा रहा आंकड़ा :इसके अलावा बरामद शराब की बात करें तो देसी शराब 5 लाख 57 हजार लीटर बरामद की गई है. वहीं विदेशी शराब 2 लाख 81 हजार 547 लीटर बरामदगी हुई है. यानि गया जिले में 8 लाख 38 हजार 550 लीटर शराब की बरामद की जा चुकी है. वहीं अवैध जावा महुआ 6 लाख 68 हजार 391 किलोग्राम बरामद किए जा चुके हैं. यह आंकड़ों का सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है, जो बता रहा है कि बिहार में शराबबंदी में कमी आने के बजाय शराब की तस्करी और पीने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है.
मद्य निषेध कानून में संशोधनःइस साल 1 अप्रैल 2022 से संशोधित मध्य निषेध कानून लागू होने के बाद धारा 37 के तहत पहली बार शराब पीने वालों को पकड़े जाने पर जुर्माना लेकर छोड़ने का प्रावधान किया गया है. विभागीय अधिकारी के मुताबिक, पहली बार शराब पीने के मामले में पकड़े गए अभियुक्त को शपथपत्र और तीन से पांच हजार रुपये का जुर्माना देकर छोड़े जाने का प्रावधान किया गया है. प्रावधान के तहत अब तक 50 हजार से अधिक लोग जुर्माना देकर छूट चुके हैं.
बिहार में जब से यह कानून लागू हुआ है कि पहली बार शराब पीने वाले जुर्माना देकर छूट सकते हैं, तब से शराब पीने वालों की संख्या में बाढ़ सी आ गई है. पहले दहाई में लोग पकड़ाया करते थे. अब सैकड़ों की संख्या में गिरफ्तारियां हो रही है. इसमें महिलाएं भी शामिल हैं. सितंबर माह की ही बात करें तो 600 के करीब गिरफ्तारियां की गई है. इस तरह शराबबंदी का यह आंकड़ा कहीं न कहीं नीतीश सरकार की शराबबंदी को मुंह चिढ़ा रहा है.