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गया: हमले के 8 साल, घटना के बाद बदल गयी महाबोधि मंदिर और बोधगया की तस्वीर

वैश्विक धरोहर (World Heritage) महाबोधि मंदिर (Mahabodhi Temple) बौद्ध धर्म के अनुयायियों का सबसे बड़ा तीर्थस्थल है. इसे ज्ञान और शांति की धरती कहा जाता है. आतंकवादियों ने बुद्ध की नगरी को दहलाने का प्रयास पहली बार 7 जुलाई 2013 को किया था. इस हमले की जिम्मेदारी इंडियन मुजाहीद्दीन (Indian Mujahideen) और सिम्मी (SIMI) ने ली थी.

महाबोधि मंदिर पर हमले के आठ साल
महाबोधि मंदिर पर हमले के आठ साल

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Published : Jul 7, 2021, 10:10 AM IST

गया: ज्ञान व शांति की धरती (Land of Wisdom and Peace) पर पहली बार सात जुलाई 2013 को आतंकी हमला (Terrorist Attack) हुआ था. सात जुलाई को अहले सुबह आतंकियों ने बुद्ध (Buddha) की ज्ञान प्राप्ति स्थल बोधि वृक्ष (Bodhi tree) के पास पहला ब्लास्ट (Blast) किया था. इसके अलावा कई बम ब्लास्ट हुए जिसमें कई लोग घायल हुए थे. इस आतंकी हमले ने महाबोधि मंदिर (Mahabodhi Temple) और बोधगया (Bodhgaya) की तस्वीर बदल दी. आज महाबोधि मंदिर की सुरक्षा में BMP के 300 जवान तैनात रहते हैं.

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मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था कड़ी
मंदिर के 500 मीटर तक नो फोर व्हीलर व्हीकल्स लागू है. इतनी सुरक्षा व्यवस्था होने के बाद भी 2018 में आतंकियों ने कई स्थानों पर बम रख दिया था. हालांकि सभी बमों को समय रहते डिफ्यूज कर दिया गया था. अब महाबोधि मंदिर के पूर्व मुख्य पुजारी दो घटनाओं के बाद इसकी सुरक्षा का जिम्मा सीआईएसएफ (CISF) को सौंपने की मांग कर रहे हैं.

बताया जाता है कि पड़ोसी देश म्यांमार और रोहिंग्या के बीच उत्पन्न विवाद का नतीजा भगवान बुद्ध के ज्ञानस्थली बोधगया को भुगतना पड़ा था. बहरहाल, वजह कुछ भी हो लेकिन सात जुलाई की घटना ने पहली बार सुशासन सरकार को एहसास दिला दिया था कि वैश्विक धरोहर महाबोधि मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना होगा. 2013 के बाद सुरक्षा व्यवस्था को चाक चौबंद किया गया. लेकिन भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच 2018 में बम ब्लास्ट की कोशिश की गई थी.

आतंकी हमले के बाद महाबोधि मंदिर और बोधगया की तस्वीर बिल्कुल बदल गई है. महाबोधि मंदिर जहां पहले बेरोकटोक लोग भगवान बुद्ध (Lord Buddha) का दर्शन करते थे, लेकिन अब उन्हें सुरक्षा के कई घेरे को पार कर भगवान बुद्ध का दर्शन करना पड़ता है. बिहार पुलिस की सुरक्षा ऐसी है कि परिंदा भी पर नहीं मार सकता.

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मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था CISF को सौंपने की मांग

'महाबोधि मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था सीआईएसएफ के हाथों सौंप देना चाहिए. सात जुलाई की घटना से देश ही नहीं विदेशों में रह रहे बौद्ध धर्मावलंबियों को दुख पहुंचा था. उन्होंने कहा कि 2013 के तत्कालीन रक्षा मंत्री ने कहा था कि विश्व धरोहर मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था सीआईएसएफ करेगी लेकिन उन्होंने वादा नहीं निभाया. आज बीएमपी के 300 से अधिक जवान तैनात हैं लेकिन सभी अनट्रेंड हैं. ये आतंकियों से लोहा नहीं ले सकते हैं. मैं महाबोधि मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चितिंत रहता हूं.'-महाबोधि मंदिर के पूर्व मुख्य पुजारी भंते सत्यानंद

महाबोधि मंदिर के साथ ही बोधगया की भी तस्वीर बदल गई है, महाबोधि मंदिर 500 सौ मीटर दूर तक नो फोर व्हीलर व्हीकल्स लागू किया गया है. इसके अलावा दोनों मुख्य रास्तों पर चेक पोस्ट बनाया गया है. यही नहीं, महाबोधि मंदिर के पास लाल पत्थर से बने दुकानों को हटाकर मंदिर से काफी दूर नोड वन और टू में भेजा गया है.

दुकानदार सुधीर यादव बताते हैं कि आतंकवादी हमले के बाद महाबोधि मंदिर और बोधगया में सुरक्षा व्यवस्था तो बढ़ाई गई है लेकिन हम लोगों के रोजगार पर असर पड़ा है. मंदिर के पास हमेशा हजारों की भीड़ होती थी जिससे लोग दुकानों से खरीदारी करते थे. आतंकी हमले के बाद इन दुकानों को यहां से हटाकर एक किलोमीटर दूर एक कॉम्प्लेक्स में भेजा गया है. जहां टूरिस्ट ना के बराबर आते हैं. जिसकी वजह से अधिकांश दुकानें बंद हो गई हैं. अब तो मंदिर जाने में भी लोग काफी सोचते हैं क्योंकि कई बंदिशें और सुरक्षा लेयर पार करके जाना पड़ता है.

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ब्लास्ट मामले में 4 साल बाद आया फैसला
गौरतलब है कि बोधगया सीरियल बम ब्लास्ट मामले में 4 साल बाद फैसला आया था. एनआईए (NIA) ने 90 गवाहों को कोर्ट में पेश किया था. 4 साल बाद पांच आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी. यह आतंकी घटना सिर्फ महाबोधि मंदिर के लिए नहीं बल्कि पूरे बिहार के लिए पहली घटना थी.

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क्या था पूरा मामला
आतंकियों ने सिर्फ महाबोधि मंदिर को ही नहीं पूरे बोधगया को दहलाने की कोशिश की थी. 7 जुलाई 2013 के सुबह 5:30 से 6:00 के बीच महाबोधि मंदिर में एक के बाद एक नौ धमाके हुए थे. आतंकियों ने बोधि वृक्ष के नीचे भी दो बम लगाए थे. सिलेंडर बम (Cylinder Bomb) रखा गया था. इसमें टाइमर लगा हुआ था. महाबोधि मंदिर के अलावा 80 फुट बुद्ध मूर्ति पर भी दो बम रखे थे जिसमें से एक विस्फोट भी हुआ था. सुजाता बाईपास रोड स्थित तेरेगर मोनेस्ट्री में भी बम रखे गए थे. यहां भी विस्फोट हुआ था.

एक पर्यटन बस के नीचे और एक ट्रांसफार्मर के नीचे भी बम रखे गए थे. आतंकी ने महाबोधि मंदिर में बौद्ध भिक्षु बनकर प्रवेश किया था. 5 साल बाद दोबारा अपने मंसूबे को अंजाम देने के लिए फिर से बोधगया में बम ब्लास्ट की योजना बनाई गयी थी. 19 जनवरी 2018 को बोधगया में बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा का प्रवचन चल रहा था.

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आतंकियों ने कई स्थानों पर प्लांट किए थे बम
विभिन्न देशों से दो लाख से ज्यादा बौद्ध श्रद्धालु और दलाई लामा के अनुयायी बोधगया में मौजूद थे. उसी वक्त महाबोधि मंदिर क्षेत्र में कई स्थानों पर बम प्लांट (Bomb Plant) कर दिया था. एक बम कालचक्र मैदान के पास ब्लास्ट हो गया. उसके बाद जब जांच में कई जिंदा बम मिले थे. जिन्हें डिफ्यूज किया गया था. दलाईलामा (Dalai Lama) भी आतंकियों के निशाने पर रहे हैं. पहला आतंकी हमला सात जुलाई को हुआ था. दूसरी घटना 19 जनवरी 2018 को हुई थी जब दलाईलामा बोधगया में मौजूद थे. 2018 में बम की सूचना मिलने पर दलाईलामा अपनी यात्रा को स्थगित कर बोधगया से फौरन लौट गए थे.

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