गया: ज्ञान व शांति की धरती (Land of Wisdom and Peace) पर पहली बार सात जुलाई 2013 को आतंकी हमला (Terrorist Attack) हुआ था. सात जुलाई को अहले सुबह आतंकियों ने बुद्ध (Buddha) की ज्ञान प्राप्ति स्थल बोधि वृक्ष (Bodhi tree) के पास पहला ब्लास्ट (Blast) किया था. इसके अलावा कई बम ब्लास्ट हुए जिसमें कई लोग घायल हुए थे. इस आतंकी हमले ने महाबोधि मंदिर (Mahabodhi Temple) और बोधगया (Bodhgaya) की तस्वीर बदल दी. आज महाबोधि मंदिर की सुरक्षा में BMP के 300 जवान तैनात रहते हैं.
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मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था कड़ी
मंदिर के 500 मीटर तक नो फोर व्हीलर व्हीकल्स लागू है. इतनी सुरक्षा व्यवस्था होने के बाद भी 2018 में आतंकियों ने कई स्थानों पर बम रख दिया था. हालांकि सभी बमों को समय रहते डिफ्यूज कर दिया गया था. अब महाबोधि मंदिर के पूर्व मुख्य पुजारी दो घटनाओं के बाद इसकी सुरक्षा का जिम्मा सीआईएसएफ (CISF) को सौंपने की मांग कर रहे हैं.
बताया जाता है कि पड़ोसी देश म्यांमार और रोहिंग्या के बीच उत्पन्न विवाद का नतीजा भगवान बुद्ध के ज्ञानस्थली बोधगया को भुगतना पड़ा था. बहरहाल, वजह कुछ भी हो लेकिन सात जुलाई की घटना ने पहली बार सुशासन सरकार को एहसास दिला दिया था कि वैश्विक धरोहर महाबोधि मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना होगा. 2013 के बाद सुरक्षा व्यवस्था को चाक चौबंद किया गया. लेकिन भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच 2018 में बम ब्लास्ट की कोशिश की गई थी.
आतंकी हमले के बाद महाबोधि मंदिर और बोधगया की तस्वीर बिल्कुल बदल गई है. महाबोधि मंदिर जहां पहले बेरोकटोक लोग भगवान बुद्ध (Lord Buddha) का दर्शन करते थे, लेकिन अब उन्हें सुरक्षा के कई घेरे को पार कर भगवान बुद्ध का दर्शन करना पड़ता है. बिहार पुलिस की सुरक्षा ऐसी है कि परिंदा भी पर नहीं मार सकता.
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मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था CISF को सौंपने की मांग
'महाबोधि मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था सीआईएसएफ के हाथों सौंप देना चाहिए. सात जुलाई की घटना से देश ही नहीं विदेशों में रह रहे बौद्ध धर्मावलंबियों को दुख पहुंचा था. उन्होंने कहा कि 2013 के तत्कालीन रक्षा मंत्री ने कहा था कि विश्व धरोहर मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था सीआईएसएफ करेगी लेकिन उन्होंने वादा नहीं निभाया. आज बीएमपी के 300 से अधिक जवान तैनात हैं लेकिन सभी अनट्रेंड हैं. ये आतंकियों से लोहा नहीं ले सकते हैं. मैं महाबोधि मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चितिंत रहता हूं.'-महाबोधि मंदिर के पूर्व मुख्य पुजारी भंते सत्यानंद
महाबोधि मंदिर के साथ ही बोधगया की भी तस्वीर बदल गई है, महाबोधि मंदिर 500 सौ मीटर दूर तक नो फोर व्हीलर व्हीकल्स लागू किया गया है. इसके अलावा दोनों मुख्य रास्तों पर चेक पोस्ट बनाया गया है. यही नहीं, महाबोधि मंदिर के पास लाल पत्थर से बने दुकानों को हटाकर मंदिर से काफी दूर नोड वन और टू में भेजा गया है.