गया: बिहार के कई जिलों में दीपावली के बाद मौसम ने करवट बदल ली है. ऐसा ही कुछ हाल गया जिले में देखने को मिल रहा है. जहां सोमवार सुबह को अंतर्राष्ट्रीय स्थली बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर घने कुहासे की चपेट में आ गया, जिससे दूर से ही दिखने वाला महाबोधि मंदिर का गुंबद भी नजर नहीं आ रहा था. कुहासे इस कदर था कि लाइटिंग भी फीकी हो गई थी. बता दें कि दीपावली और वार्षिक पूजा संंघ दान की के बीच महाबोधि मंदिर को पूरी तरह से सजाया गया है. महाबोधि मंदिर के अंदर और बाहरी परिसर में आकर्षक लाइटिंग की गई है. किंतु कुुहासे के कारण लाइटों की रोशनी फीकी पड़ गई.
Gaya News : गया में दीपावली के बाद मौसम ने बदली करवट, घने कुहासे से घिरा विश्व धरोहर महाबोधि मंदिर - बिहार न्यूज
Dense Fog In Gaya: गया में दीपावली के अगले ही दिन से मौसम ने करवट बदल ली है. पूरा जिला कुहासे की चपेट में आ गया है. आलम यह है कि दूर से ही दिखने वाला महाबोधि मंदिर का गुंबद अब नजर भी नहीं आ रहा है.
Published : Nov 13, 2023, 2:56 PM IST
रविवार को हुआ कठिन चीवरदान: रविवार को विभिन्न देशों से आए लोगों ने कठिन चीवरदान में हिस्सा लिया. अंतर्राष्ट्रीय धरोहर महाबोधि मंदिर में कठिन चीवरदान का आयोजन हुआ था. तीन महीने के वर्षावास के बाद बौद्ध भिक्षु अपने साधन से बाहर निकलते हैं, जिसे संघदान से संबोधित किया जाता है. चीवरदान में महाबोधि मंदिर में पूजा अर्चना के बाद विभिन्न देशों के बौद्ध मठ में संघ दान की शुरुआत होती है. रविवार को महाबोधि मंदिर में संघ दान की शुरुआत की गई.
आने वाले कई दिनों तक चलेगा कठिन चीवरदान: बता दें कि आने वाले कई दिनों तक कठिन चीवरदान चलेगा. बोधगया स्थित विभिन्न बौद्ध मठों में इसका आयोजन है. जानकारी हो, कि बोधगया में पर्यटन सीजन प्रारंभ हो चुका है. यहां अब तक विभिन्न देशों से एक लाख के करीब बौद्ध श्रद्धालु भ्रमण कर चुके हैं. इस साल बौद्ध श्रद्धालुओं का बड़ी संख्या में आगमन हो रहा है. यह पर्यटन सीजन ठंड के दिनों में चलता है, जो जनवरी-फरवरी माह तक विशेष तौर पर चलता है.
कुहासे को देख पर्यटक हो रहे रोमांचित:वहीं, मौसम बदलने के साथ महाबोधि मंदिर के कुहासे की चपेट में आ रहा है, हालांकि इसके बीच पर्यटक कुहासे को देख रोमांचित भी हो रहे हैं. बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर विश्व भर के बौद्ध श्रद्धालुओं की आस्था का मुख्य केंद्र है. ऐसे में सालों भर विश्व भर से बौद्ध श्रद्धालुओं का आना लगा रहता है. हालांकि पर्यटन सीजन में बड़ी तादाद में बौद्ध श्रद्धालुओं का आगमन होता है.
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