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गया: पटवाटोली कपड़े की बढ़ी मांग, प्रतिदिन 12 हजार मीटर कॉटन कपड़ा का हो रहा उत्पादन

गया में पटवाटोली कपड़े की मांग बढ़ गई है. यहां प्रतिदिन 12 हजार मीटर कॉटन कपड़ा का उत्पादन हो रहा है.

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Published : Jun 7, 2020, 4:19 PM IST

Updated : Jun 11, 2020, 3:07 PM IST

गया: जिले के मानपुर प्रखंड में स्थित पटवाटोली में 12 हजार पावरलूम है. कोरोना वायरस से बचाव को लेकर लागू लॉकडाउन के बाद अनलॉक 1 में 12 हजार पावरलूम को शुरू कर दिया गया है. इन दिनों पटवाटोली के सभी पावरलूम और हस्तकरघा पर मास्क बनाने के लिए कॉटन कपड़ा की बुनाई की जा रही है. पटवाटोली के कपड़े की मांग इधर के दिनों में अधिक हो गयी है.

पटवाटोली कपड़े की डिमांड
जीविका दीदी ने बताया कि मास्क बनाने के लिए पटवाटोली का कपड़ा आ गया है. साथ ही बाजारों में भी पटवाटोली के कपड़ों की ही खूब डिमांड है. पटवाटोली के कपड़े से मास्क बनाने वाले पारस बताते हैं कि पटवाटोली का कॉटन कपड़ा बिल्कुल अलग है. यह कपड़ा सॉफ्ट है, टिकाऊ है और इसका रंग नहीं जाता है.

गमछा बनाते स्टॉफ

शुरुआत में जब यहां के कपड़ों का बना मास्क बाजारों में भेजा गया, तो लोगों ने खूब पसंद किया. जिसके बाद हमलोग पटवाटोली के कपड़े से ही मास्क बनाते हैं. उन्होंने बताया कि मेरा परिवार मिलकर हर दिन पांच हजार मास्क निर्माण कर बाजार में भेजता है.

कॉटन कपड़ा का उत्पादन
बुनकर कल्याण समिति के अध्यक्ष प्रेम नारायण पटवा ने कहा कि पटवाटोली में 12 हजार पावरलूम और एक हजार इकाई काम करती है. इन पावरलूम से अनलॉक में सिर्फ मास्क बनाने वाले कॉटन कपड़ा और गमछा का निर्माण किया जाता रहा है. पटवाटोली में हर दिन 12 हजार मीटर कॉटन कपड़ा का उत्पादन किया जा रहा है. हर दिन 6 लाख 60 हजार के कॉटन कपड़े की बिक्री हो रही है. वहीं हर दिन पावरलूम से 10 से 15 हजार गमछा बनाया जा रहा है. जिसकी बिक्री 35 हजार रुपये तक में हो रही है.

देखें पूरी रिपोर्ट

सरकार से लगायी गुहार
प्रेम नारायण पटवा ने कहा कि अभी मंडी, बुनकर और कपड़ा उधोग को मास्क बनाने वाले कपड़ा और गमछा ने ही जीवित रखा है. बता दें पटवाटोली के बुनकरों ने सरकार से गुहार लगायी है कि पावरलूम में कपड़े को बनाने के लिए सूत नहीं मिल रहा है. इसलिए सूरत और साउथ राज्य के सूत बाजारों को खोला जाए. अभी हमलोग बिहार के जिलों में कपड़ा और मास्क पहुंचा रहे हैं. सरकार से मांग है कि सरकार इसमें पहल करते हुए पहले की तरह बंगाल और असम में यहां के कपड़ों के जाने की व्यवस्था करे. जिससे हमारी आर्थिक स्थिति ठीक हो जाये.

Last Updated : Jun 11, 2020, 3:07 PM IST

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