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वेलेंटाइन डे विशेषः अपने प्यार के लिए 22 साल तक पहाड़ तोड़ते रहे थे दशरथ मांझी - Gaya

दशरथ मांझी ने अपने प्यार को खोकर 22 वर्ष में पहाड़ काटकर सड़क बना दिया. लोग दशरथ मांझी के प्यार को मिसाल मानते हैं और उस रास्ते को प्रेम पथ कहते हैं.

पहाड़ काट कर बना रास्ता

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Published : Feb 14, 2019, 10:24 AM IST

गयाः वेलेंटाइन डे प्यार करने वाले लोगों का दिन है, इस विशेष दिवस पर जब पर्वत पुरूष दशरथ मांझी का जिक्र आता है तो प्यार में संघर्ष जुनून और पागलपन भी दिखता है. इसी प्यार के दम पर 22 सालों के अथक प्रयास के बाद दशरथ मांझी ने पहाड़ को काटकर रास्ता बना डाला.

लोग अपने प्यार को खोकर क्या नहीं करते, यहां तक कि आत्महत्या कर लेते हैं. लेकिन गया के वजीरगंज प्रखंड के गेहलौर घाटी के दशरथ मांझी ने अपने प्यार के खोने पर ना आत्महत्या की ना ही शायरों के शायरी पढ़कर गम को भुलाया. मांझी ने अपने प्यार को खोकर 22 वर्ष में पहाड़ काटकर सड़क बना दिया. लोग दशरथ मांझी के प्यार को मिसाल मानते हैं और उस रास्ते को प्रेम पथ कहते हैं. गेहलौर की घाटी में आज सड़क बिजली दिख रही है. 4 दशक पहले सिर्फ जंगल ही जंगल था.

दशरथ मांझी द्वारा काटा गया पहाड़ और गांव का दृश्य

कैसे गिरी पहाड़ से पत्नी

बताया जाता है कि दशरथ मांझी का बाल विवाह हुआ था. वह गांव के बड़े व्यक्ति के यहां हल चलाते थे और उसी से उनका परिवार चलता था. बड़े होने पर गवना हुआ उनकी पत्नी फुगिनिया घर आ गई. फुगिनिया हर रोज मांझी को खाना पहुचाने जाती थी. एक रोज फुगिनिया पहाड़ पर खाना लेकर चढ़ रही थी. उसी क्रम में उसका पैर फिसला और वो गिर गई. कुछ दिन बाद फुगिनिया देवी का निधन हो गया.

स्टैच्यू ऑफ दशरथ मांझी

लोग कहते थे पागल
तब उनके बड़े बेटे भागरथी मांझी दस वर्ष के थे. दशरथ मांझी काफी दिनों तक काम पर नहीं गए वो विचार में लगे रहते थे अगर सड़क रहती तो मेरी पत्नी उस पार मुझे आसानी से आकर खाना पहुंचा देती और कोई हादसा भी नहीं होता. उन्होंने अपने पत्नी के प्यार में पहाड़ को तोड़ने की ठानी और 22 सालों की कड़ी मेहनत से पहाड़ को तोड़ कर रास्ता बना दिया. लोग उस क्रम में दशरथ मांझी को पागल कहते थे.

दशरथ मांझी के नाम पर गांव

पैदल पहुंचे दिल्ली
पर्वत पुरुष दशरथ मांझी 1972 में पैदल ही रेलवे ट्रैक के किनारे-किनारे चलकर 2 महीने में दिल्ली पहुंच गए थे. उन्होंने बिहार के नेता राम सुंदर दास से मुलाकात की थी और पीएम से मिलने दिल्ली गए थे. दशरथ मांझी दिल्ली दिल्ली ये बताने के लिए गए थे कि आने जाने के लिए रास्ता तो बन गया. लेकिन पक्की सड़क निर्माण हो जाने के बाद कई कस्बों और गांव को फायदा होगा. पहली बार बिहार की कुर्सी संभालने के बाद मांझी के काम की बदौलत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें अपनी कुर्सी पर बिठाया था. बाद में सीएम के प्रयास से दशरथ मांझी के नाम पर उनका गांव, समाधि स्थल, अस्पताल और सड़क बना दिए गए.

दशरथ मांझी का गांव

प्रेम कहानी पर बनी फिल्म
दशरथ मांझी की सच्ची प्रेम कहानी पर 2015 में फिल्म डायरेक्टर केतन मेहता ने 'मांझी द माउंटेन मैन' के नाम से लव स्टोरी फिल्म बनाई. इस फिल्म में अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्धकी है. माउंटेन मैन के काम को सलामी देने राजनेता से लेकर अभिनेता तक उनके गांव के गेहलौर घाटी आते रहते हैं. आज वेलेंटाइन डे पर इस जुनूनी व्यक्ति को एक बार जरूर याद करना चाहिए.

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