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दलाई लामा ने 50 हजार अनुयायियों को दी दीक्षा, कहा..'सेवा भाव से होती है बुद्धत्व की प्राप्ति '

बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा ने बोधगया में 50 हजार बौद्ध श्रद्धालुओं को बोधचित की दीक्षा (Dalai Lama Give Diksha to Buddhist devotees) दी. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि इससे ज्ञान और सेवा भाव से बुद्धत्व की प्राप्ति होती है. आत्मा नाम की वस्तु सत्य नहीं है.

दलाई लामा ने किया बोधगया में बौद्ध अनुष्ठान
दलाई लामा ने किया बोधगया में बौद्ध अनुष्ठान

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Published : Dec 29, 2022, 3:32 PM IST

दलाई लामा ने किया बोधगया में बौद्ध अनुष्ठान

गयाः बिहार के बोधगया में गुरुवार से बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा (Buddhist Guru Dalai Lama) का टीचिंग कार्यक्रम शुरू हो गया. इस अवसर पर बौद्ध धर्म गुरु ने पहले दिन 50 हजार अनुयायियों को बोधचित की दीक्षा दी. यह कार्यक्रम अगले दो दिन 30 और 31 दिसंबर को भी चलेगा. टीचिंग कार्यक्रम के पहले दिन देश और विदेश के 50 हजार से अधिक बौद्ध श्रद्धालु शामिल हुए. इसमें 40 हजार के करीब विदेशी बौद्ध श्रद्धालु शामिल थे.

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दलाई लामा ने की विश्व शांति की कामनाःटीचिंग से पहले बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने बौद्ध अनुयायियों के साथ मिलकर विश्व शांति की कामना की. बौद्ध धर्म गुरु ने टीचिंग में कहा कि बोधचित से जहां ज्ञान की प्राप्ति होती है. वहीं दूसरों की सेवा से ही बुद्धत्व की प्राप्ति होती है. बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा ने कहा कि आत्मा नाम की वस्तु सत्य नहीं है. धर्मों की सता का विचार-विमर्श होता है. आत्मा स्वभाव से उत्पन्न नहीं होता है.


"बोधचित से ज्ञान और सेवा भाव से बुद्धत्व की प्राप्ति होती है.आत्मा नाम की कोई वस्तु सत्य नहीं है. हम सभी भगवान बुद्ध के शासन में पैदा हुए हैं. चाहे भारत हो या तिब्बत. ऐसा विचार करें कि भगवान बुद्ध बैठे हुए हैं. आज हम पुण्यों के संचय से विराजमान हैं"- दलाई लामा, बौद्ध धर्म गुरु

50 हजार से अधिक बौद्ध श्रद्धालुओं ने ली दीक्षाः घुटने जमीन पर टेककर 50 हजार से अधिक बौद्ध श्रद्धालुओं ने दीक्षा ली. बोधचित प्राप्त होने के 36 मंत्रोच्चार ज्ञान को ग्रहण किया. बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा ने बौद्ध अनुयायियों को 36 प्रकार बताए, जिससे बोधचित्त की प्राप्ति होती है. बोधचित प्राप्त होने के बाद संबल प्राप्त कर चिंतन करने की शक्ति समाहित होती है. दूसरों का और खुद का लाभ प्राप्त करने के लिए यह जरूरी है और वह बोधचित प्राप्त के बाद संभव है

बोधगया पुण्य व आशीर्वाद की धरतीःबौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा ने कहा कि आज हम ऐसे स्थल पर हैं, जो पुण्य और आशीर्वाद से भरा है. जिस तरह भगवान बुद्ध ने करुणा बोधचित की. उसी तरह आप सभी को भी बोधचित निर्माण कर एक भी क्षण बर्बाद नहीं करनी चाहिए. हर दिन वह चित का अभ्यास करें. संकल्प लें, कि आकाश समान अनंत जीव धारियों के लिए बोधचित करूंगा. उन्होंने कहा कि हम सभी भगवान बुध के शासन में पैदा हुए हैं. चाहे भारत हो या तिब्बत. ऐसा विचार करें कि भगवान बुद्ध बैठे हुए हैं. आज हम पुण्यों के संचय से विराजमान हैं.


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