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गया के अस्पताल में पहुंचे कोविड मरीज के बेटे ने कहा- यहां इलाज नहीं, मृत्युदंड मिलता है!

गया में अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल पर एक कोविड मरीज के परिजनों ने लापरवाही का आरोप लगाया है. परिजनों का कहना है कि अस्पताल में इलाज नहीं होता है, मृत्युदंड दिया जाता है.

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अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल

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Published : Apr 20, 2021, 3:02 AM IST

Updated : Apr 20, 2021, 6:20 AM IST

गयाःगया में स्थित अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल को मगध क्षेत्र के पांच जिलों के लिए कोविड अस्पताल बनाया गया है. लेकिन इस अस्पताल में जो भी कोरोना पीड़ित भर्ती होता है उसकी मौत चंद घंटों में हो जाती है. इस अस्पताल की यही हकीकत है. दरअसल, 56 वर्षीय रामचंद्र राम को सोमवार की दोपहर भर्ती करवाया गया था. भर्ती करवाने के चंद घंटों के बाद ही उनकी मौत हो गई.

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परिजन बोले- इस अस्पताल में इलाज नहीं होता है, मृत्युदंड दिया जाता है
जानकारी के अनुसार, गया शहर के छोटकी नवादा गांधी मोड़ के रहने वाले रामचंद्र राम को सोमवार की दोपहर को मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पहले तल्ले पर बने कोविड वार्ड में भर्ती कराया गया था. उन्हें सांस लेने में और लंग्स में तकलीफ थी. भर्ती करवाने के बाद रैपिड एंटीजन किट से कोरोना की जांच की गई. जिसमें रिपोर्ट निगेटिव आई. इसके बाद आरटीपीसीआरजांच का सेम्पल भी लिया गया. इस रिपोर्ट काेई अता-पती नहीं है. खैर किसी तरह उन्हें भर्ती किया गया. इसके बाद रामचंद्र राम के पुत्र और बाकी के परिजन घर चले गए.

राम चंद्र राम के पुत्र रोहित ने बताया कि उसे फोन करके पिता ने जानकरी दी कि वार्ड में इलाज नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि यहां कोई देखने-सुनने वाला नहीं है. पिता से फोन पर मिली जानकारी के बाद परिजन अस्पताल पहुंचे. परिजनों को अस्पताल में रिसेप्शन काउंटर पर ही बैठा दिया गया. काफी देर इंतजार करने के बाद रोहित ने वार्ड में जाने के लिए गार्ड को 100 रुपये दिए. रोहित ने बताया कि जब वो वार्ड के अंदर पहुंचा तो देखा कि उसके पिता की मौत हो गई थी और उनकी डेड बाॅडी बेड से नीचे गिरी पड़ी थी.

डिस्चार्ज कराने के लिए घंटों तक गुहार लगानी पड़ी
राम चंद्र राम के पुत्र रोहित का आरोप है कि अगर उसके पिता का इलाज सही से किया जाता तो उनकी मौत नहीं होती. उसने कहा कि यहां इलाज नहीं होता. मृत्युदंड दिया जाता है. बताते चलें कि अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल की मरीज के प्रति बेरुखी यहीं तक नहीं खत्म हुई. रोहित को अपने पिती की डेड बाॅडी को डिस्चार्ज कराने के लिए भी अस्पताल प्रशासन से घंटों तक गुहार लगानी पड़ी.

Last Updated : Apr 20, 2021, 6:20 AM IST

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