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'मोर बबुआ के नजरिया ना लागे..', 100 के नोट से मां ने अफसर बेटे की उतारी नजर - Gaya Officer Training Academy

गया ओटीए में 22वें पासिंग आउट परेड (22nd Passing Out Parade at Gaya OTA)के अवसर पर कई भावुक कर देने वाले पल देखने को मिले. तमगा लगाए जब बेटा अधिकारी बन मां के गले लगा तो सहसा खुशी के धार आंखों से बहने लगे. वहीं कुछ मां अपने बेटों की नजर उतारती भी दिखी. कुछ तो आर्मी में जाने से नाखुश रहा करती थी, वह भी आज बेटे को अफसर बना देख खुशी से फूली नहीं समा रही थीं. पढ़ें पूरी खबर..

गया ओटीए में 22वीं पासिंग आउट परेड
गया ओटीए में 22वीं पासिंग आउट परेड

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Published : Dec 10, 2022, 9:41 PM IST

गयाःगया ओटीए में सौ रुपये के नोट से अपने ऑफिसर बेटे की नजर उतारती मां ने देखने वालों की आंखों को खुशी से नम कर दिया. मौका था गया ऑफिसर ट्रेनिंग एकेडमी के 22वें पासिंग आउट परेडका. इस अवसर पर कई सपने पूरे होते देखे गए. वहीं माता-पिता के साथ अफसर बेटों की आंखों से भी खुशी के आंसू छलक गए. इस बार गया ओटीए से देश को 69 नए सैन्य ऑफिसर मिले (Country got 69 army officers from Gaya OTA ) हैं. इनमें आठ कैडेट मित्रदेशों के भी हैं.

गया ओटीए में 22वीं पासिंग आउट परेड

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अधिकारी बेटों को चूमती दिखी मांः पासिंग आउट परेड के बाद अपने अधिकारी बेटों को उनकी मां गले लगाकर चूमती दिखी. किसी ने अपने बेटे की सौ ने नोट से नजर उतारी तो किसी ने गले से लगा लिया. 69 सैन्य अधिकारी में बिहार के तीन कैडेट शामिल हैं. इनमें एक गया के सुधीर कुमार तिवारी भी हैं। वहीं देश के विभिन्न राज्यों के रहे प्रशिक्षण लेने वाले जेंटलमैन कैडेट्स आज सेना के अधिकारी बने.



'मम्मी नहीं चाहती थी आर्मी में जाऊं, अब खुश है':लखनऊ के अनुग्रह बताते हैं कि वह आर्मी में ही जाना चाहता था. इसलिए मम्मी नाखुश रहती थी. किंतु अब सफलता मिलने के बाद वह खुश है. वहीं पिता ने भी खुशी जताई. गया के सुधीर कुमार तिवारी बताते हैं कि शुरू से ही एक ही लक्ष्य रहा आर्मी में जाऊं. अब पूरे परिवार को खुशी है. वही गोल्ड मेडलिस्ट गितेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि सेना का अफसर बनने की बहुत खुशी है. यह भी है कि गोल्ड मेडलिस्ट भी बना हूं.

गया ओटीए में 22वीं पासिंग आउट परेड

मासूम बच्चा बना रहा आकर्षण का केंद्रः पीओपी के बीच एक मासूम बच्चा आकर्षण का केंद्र बना रहा. सेना की वेशभूषा से मिलते ड्रेस बच्चे को पहनाया गया था. पीओपी के बाद जब जैंटलमैन कैडेट झूमने लगे तो वह बच्चा भी ग्राउंड पर उतर कर झूमने लगा. इस तरह वह आकर्षण का एक केंद्र भी बना रहा.

''मुझे इस बात की खुशी है कि मैंने प्रशिक्षण पूरा कर लिया और अब फौज का हिस्सा हूं. मैं शुरू से फौज में आना चाहता था और आज मेरा सपना पूरा हो गया. आज मैं बहुत खुश हूं''- सुधीर कुमार तिवारी, गया, बिहार

गया ओटीए में 22वीं पासिंग आउट परेड

गया ओटीए में हुआ पीओपीःअफसर प्रशिक्षण अकादमी गया में 22वीं पासिंग आउट परेड शनिवार की सुबह को शुरू हुई. पीओपी समारोह शाम तक चला. इसमें 40वीं टेक्निकल एंट्री स्कीम कोर्स के 61 जैंटलमैन कैडेट और 49 वें स्पेशल कमीशन ऑफिसर एससीओ कोर्स के आठ जैंटलमैन कैडेट कमीशन प्राप्त कर अधिकारी बने. पासिंग आउट परेड के मौके पर समीक्षा अधिकारी के रूप में लेफ्टिनेंट जनरल सुरिंद्र सिंह महल अति विशिष्ट सेवा मेडल विशिष्ट सेवा मेडल, सेना प्रशिक्षण कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ रहे. वहीं, लेफ्टिनेंट जनरल गया उठिए कमांडेंट पीएस मन्हास के अलावे सेना के अन्य पदाधिकारी की मौजूदगी थी.

पासिंग आउट परेड के बाद बैज लगते ही झूमे कैडेट्सः पासिंग आउट परेड और शपथ ग्रहण के बाद समीक्षा अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल सुरिंद्र सिंह महल अति विशिष्ट सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल, सेना प्रशिक्षण कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ के द्वारा बैज लगाने के साथ ही सभी 69 जेंटलमैन कैडेट्स झूम उठे. इनके चेहरे पर सेना का अधिकारी बनने की खुशी थी.

विश्व स्तरीय सैनिक प्रशिक्षण संस्थान है गया ओटीएःगया ओटीए विश्वस्तरीय सैन्य प्रशिक्षण संस्थान के अनुरूप विकसित हुआ है. इसके लिए विभिन्न गतिविधियों की योजना बनाकर क्रियान्वित किया गया. शनिवार को 69 जैंटलमैन कैडेटों का पासिंग आउट परेड और पीपिंग समारोह आयोजित है. इस अवसर पर जेंटलमैन केडेटों के माता-पिता और गणमान्य व्यक्ति समारोह के गवाह बनेंगे.

2011 में शुरू हुआ था देश का तीसरा ओटीएः वर्ष 2011 में सेना द्वारा देश के तीसरे प्री कमिश्निंग प्रशिक्षण अकादमी के रूप में गया अफसर प्रशिक्षण अकादमी की स्थापना की गई. अफसर प्रशिक्षण अकादमी गया के प्रतीक चिन्ह में दो रंगों की पृष्ठभूमि है. ऊपरी आधा फ्रेंच ग्रे संकेतिक शक्ति और लचीलापन है और निचला आधा क्रिसमस लाल है, जो परम बलिदान को दर्शाता है. इस प्रीमीयर अकादमी की दो प्रशिक्षण बटालियन का नाम सेकंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल और कैप्टन विक्रम बत्रा के नाम पर रखा गया है.



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