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गया में दस लाख लेकर गायब हुई कंपनी, दर्जनों लोगों ने किया था निवेश - गया में 10 लाख की धोखाधड़ी

गया में दस लाख से ज्यादा की रकम लेकर कंपनी फरार हो गई. इस मामले में कंपनियों के अधिकारियों और स्थानीय वसूली कर्ताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का फैसला लिया गया है.

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गायब हुई कंपनी

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Published : Oct 22, 2020, 9:13 PM IST

गया: शेरघाटी रमना मोहल्ले में रहने वाले करीब दो दर्जन मजदूर परिवारों से बेहतर रिटर्न के नाम पर पन्ना क्रेडिट एंड कार्ड थ्रिफ्त मल्टीस्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटी नामक एक नन बैंकिंग कंपनी के कर्मियों ने दस लाख से ज्यादा की रकम ठग ली है. कर्मियों ने मजदूर परिवारों से मासिक बचत योजना और फिक्स डिपोजिट के रूप में पैसे जमा कराया.

कमिश्नर की अध्यक्षता में बैठक
परिपक्वता की अवधि पूरी होने पर कंपनी की ओर से पैसे की वसूली करने वाले लोग लापता हो गए. अब निवेशकर्ताओं के फोन भी नहीं उठा रहे हैं. ठगी और धोखाधड़ी के इस मामले को लेकर बुधवार को निवेशकर्ताओं ने रमना मोहल्ले में स्थान स्थानीय वार्ड कमिश्नर भरत चौधरी की अध्यक्षता में एक बैठक की.

कानूनी कार्रवाई का फैसला
इस दौरान कंपनियों के अधिकारियों और स्थानीय वसूली कर्ताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का फैसला लिया है. एक निवेशक सुनीता देवी के पति उमेश मांझी ने बताया कि उसने प्रतिमाह एक हजार की रकम 2 साल तक जमा कराया. लेकिन युक्ता की अवधि पूरी होने जाने के बाद भी साल भर से वह अपनी राशि वापस पाने के लिए भटक रही है.

कंपनी ने दी थी रसीद
शहर के राम मंदिर कोरी 16 इलाके की एक महिला और उसके पति ने उसे हर महीने कंपनी के नाम पर रकम वसूली थी. बदले में रसीद भी दी थी. अब यह दंपति लापता हो गये हैं. ठगी का शिकार होने वाले में सोनवा देवी-पति योगन मांझी ,बबलू पासवा, कंचन देवी-पति बबलू पासवान, सागर कुमार-पिता रामजी पासवान, सुनीता देवी-पति संतोष चौधरी, मंजू देवी-पति सुनील यादव के नाम शामिल हैं.

इन लोगों ने किया निवेश
इसके अलावे नगिया देवी-पति बासुदेव चौधरी, बिट्टू रजक-पिता महावीर रजक, सुनीता देवी-पति बिट्टू रजत, सत्येंद्र महतो, पार्वती देवी-पति सतेंद्र प्रसाद, किरण देवी-पति बिट्टू रजत, सुषमा देवी-पति विकास चौधरी सुनीता देवी-पति सुदर्शन यादव, मुनिया देवी-पति नरेश पासवान, सावित्री देवी-पति पून यादव और प्रमिला देवी-पति तुलसी चौधरी आदि भी शामिल हैं.

निवेशकर्ताओं का कहना है कि फिक्स डिपोजिट और मासिक निवेश के रूप में 10 से लेकर 30 से 40 हजार प्रति परिवार जमा किया गया था.

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