गया: भाकपा-माले कार्यकर्ताओं ने विभिन्न मांगों को लेकर शहर में विरोध जुलूस निकाला. भाकपा कार्यकर्ताओं ने बैनर और तख्ती लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. उन्होंने असम के डिटेंशन कैंप में हो रही मौतों के खिलाफ की नारेबाजी करते हुए एनआरसी वापस लेने की बात कही है.
भारत में एनआरसी वापस लेने, नागरिक संशोधन बिल वापस लेने एवं डिटेंशन कैंप बंद करने की मांगों को लेकर भाकपा-माले के कार्यकर्ताओं ने विरोध जुलूस निकाला. यह जुलूस शहर के अंबेडकर पार्क से निकलकर प्रमुख चौक-चौराहों से होते हुए टॉवर चौक पर आकर समाप्त किया गया.
जुलूस में शामिल भाकपा माले के जिला सचिव निरंजन कुमार ने बताया कि असम के डिटेंशन कैंप एनआरसी के फाइनल सूची से पहले 25 लोगों की मौत एवं उसके बाद 2 लोग दलाल चंद्र बाबू और फल्गु दास की मौतें हो चुकी हैं. पीड़ित परिवार ने शव लेने से इंकार कर दिया है और कहा है कि अगर ये बांग्लादेशी थे तो बांग्लादेश में इनके परिवार को तलाशें और शव को बांग्लादेश भेजें.
विरोध जुलूस निकालते भाकपा-माले कार्यकर्ता डिटेंशन कैंप में हुई हत्या
निरंजन ने कहा कि अगर ऐसा नहीं है तो यह माना जाए कि वे लोग भारत के नागरिक हैं. जिनकी हत्या सरकार के डिटेंशन कैंप में हुई है. उस कैंप में भेड़ बकरियों की तरह लोगों को रखा जा रहा है. अमित शाह अब देश में एनआरसी लागू करवाने की बात कर रहे हैं. जिसमें हर किसी को कागजात के जरिए यह साबित करना होगा कि 1951 में उनके पूर्वज भारत में वोटर थे.
भाकपा- माले जिला सचिव ने कहा कि अमित शाह हर राज्य में डिटेंशन कैंप खुलवा रहे हैं, जिसकी शुरुआत महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल में कर दी गई है. आज भी भारत में लाखों लोग ऐसे हैं, जिनके पास न तो वोटर कार्ड है, न ही आधार कार्ड है और न ही अन्य कोई कागजात. ऐसे में ये लोग कैसे साबित करेंगे की वे भारतीय हैं?