गया: अंतर्राष्ट्रीय स्थली बोधगया महाबोधि मंदिर में कठिन चीवरदान का कार्यक्रम शुरू हो गया है. कठिन चीवरदान को लेकर सारी तैयारियां पूरी कर ली गई है. वहीं महाबोधि मंदिर में वार्षिक पूजन का आगाज पिछले सप्ताह से ही शुरू हो गया है. नवंबर महीने की बात करें, तो विश्व धरोहर महाबोधि मंदिर एवं बोधगया में पर्यटन सीजन शुरू होते ही बौद्ध श्रद्धालुओं का बड़ी संख्या में आना शुरू हो जाता है. ऐसे में मंगलवार को इस मौके पर कठिन चीवर दान समारोह का आयोजन किया गया.
"भगवान बुद्ध के समय से ही कठिन चीवर दान की परंपरा चली आ रही है. बरसात के दिनों में बौद्ध भिक्षु वर्षावास करते हैं और एक ही जगह पर रहकर साधना करते हैं. वर्षावास के उपरांत श्रद्धालुओं द्वारा भिक्षुओं को चीवर दान किया जाता है. बौद्ध भिक्षुओं के वस्त्र को चीवर कहा जाता है. वर्षावास के कठिन साधना के उपरांत श्रद्धालुओं द्वारा जीवन में उपयोग में आने वाले अन्य वस्तुएं भी बौद्ध भिक्षुओं को दान की जाती है. इसी परंपरा के निर्वहन के लिए आज यहां कठिन चीवर दान समारोह का आयोजन किया गया है. इस दौरान यहां उपस्थित बौद्ध भिक्षुओं के द्वारा विश्व शांति के लिए विशेष प्रार्थना भी की गई है. साथ ही देश दुनिया में जो देश एक दूसरे के साथ लड़ रहे हैं, उनका युद्ध समाप्त हो, इसके लिए भी हमलोगों ने भगवान बुद्ध से प्रार्थना की है."- भंते साईसाना, भिखु इंचार्ज, बट लाओस मोनेस्ट्री, बोधगया.