आनंद पब्लिक स्कूल के प्रधानाचार्य सूरज कुमार गया:बिहार के गया में दो ऐसे विद्यालय संचालित हो रहे हैं, जो बच्चों को हर तरह की एक्टिविटी सीखाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. डिहुरी मध्य विद्यालय सरकारी है लेकिन यहां चिल्ड्रन बैंक, बुक हॉस्पिटल है. वहीं, आनंद पब्लिक स्कूल प्राइवेट है और यहां अभी से ही नौनिहालों को वोटिंग के प्रति जागरूक किया जा रहा है.
डिहुरी मध्य विद्यालय को मिल चुका है अवार्ड: गया डिहुरी मध्य विद्यालय को बिहार स्वच्छ विद्यालय का पुरस्कार मिल चुका है. यहां की पढ़ाई और वातावरण इसे निजी स्कूलों से कहीं आगे दिखा रहे हैं. इस स्कूल में बच्चों के लिए सब कुछ है. यहां ऐसे संसाधनों को विकसित किया गया है, जो किसी भी बच्चों के शैक्षणिक व्यवधान में आने वाली आर्थिक बाधा को दूर भगा देंगे.
डिहुरी मध्य विद्यालय का चिल्ड्रन बैंक सालों से संचालित हो रहा चिल्ड्रन बैंक:इस विद्यालय में चिल्ड्रन बैंक है जिसका नाम रखा गया है चिल्ड्रन बैंक ऑफ डिहुरी. सचमुच में किसी विद्यालय में चिल्ड्रेन बैंक का होना एक बड़ी बात है, लेकिन डिहुरी मध्य विद्यालय में ऐसा हो रहा है और यह सालों से संचालित है.
क्या है चिल्ड्रन बैंक?: गया के मध्य विद्यालय डिहुरी के बच्चे जो भी सेविंग करते हैं, वह चिल्ड्रन बैंक ऑफ डिहुरी में जमा कर देते हैं. बच्चे चाहे दो रुपए-चार रुपए या दस रुपए की बचत करे, उसें चिल्ड्रन बैंक में जमा करते हैं. यह पैसे उन्हें वक्त पर काम आते हैं.
फटे किताबों को किया जा रहा दुरुस्त चिल्ड्रन बैंक की राशि बच्चों के आती है काम: जब बच्चों को कॉपी पेंसिल समेत अन्य शिक्षण प्रयोग में आने वाली वस्तु की खरीदारी करनी होती है और उनके पास पैसे नहीं होते हैं तब यह बैंक उनकी मदद करता है. इस बैंक से बच्चे पैसे निकालते हैं और उससे खरीदारी करते हैं. अभी इस विद्यालय के इस चिल्ड्रन बैंक में अच्छी खासी राशि उपलब्ध है.
राष्ट्रीय बैंक प्रणाली के तहत यह सिस्टम: वहीं, इस संबंध में प्रधानाध्यापक वीरेंद्र कुमार की मानें, तो राष्ट्रीय बैंक प्रणाली के तहत यह सिस्टम संचालित होता है. चिल्ड्रन बैंक आफ डिहुरी में जमा और निकासी दोनों का फॉर्म छपा हुआ है. इन दोनों फार्म से ही रुपए निकाले और जमा किए जा सकते हैं. हजारों रुपए यहां जमा है. स्कूल के बच्चे को जो छोटी-छोटी जरूरत पड़ती है, समय पर रुपए निकाल अपनी जरूरत को पूरी करते है. यह चिल्ड्रन बैंक इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां अधिकांश बच्चे गरीब घर से ताल्लुक हाथ रखते हैं.
मैनेजर से लेकर कैशियर तक बच्चे:गया का डिहुरी मध्य विद्यालय अपने आप में एक खास विद्यालय है. यहां चल रहे चिल्ड्रन बैंक के मैनेजर कैशियर सब छात्र ही होते हैं. सारे काम बच्चे ही करते हैं. हालांकि सीनियर मैनेजर के तौर पर एक शिक्षक को रखा गया है, लेकिन उनकी जरूरत नहीं पड़ती है.
अच्छी खासी रकम बैंक में जमा: बच्चे ही चिल्ड्रन बैंक को संचालित करते हैं. बच्चे पैसे कुछ इस तरह बचाते हैं कि किसी को चॉकलेट खाने के लिए घर से पैसे मिलते हैं, तो वह उसे बचा लेता है और यहां आकर सीधे जमा कर देता है. ऐसे में बूंद- बूंद से तालाब भरने की तरह चिल्ड्रन बैंक में भी बच्चे कुछ-कुछ पैसे जमा करते हैं. यही वजह है कि सैकड़ों बच्चों ने मिलकर यहां हजारों रुपए जमा कर लिए हैं और अब यह रुपए यहां के विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को समय-समय पर काम आ जाता है.
बुक हॉस्पिटल भी होता है संचालित:डिहुरी मध्य विद्यालय को बिहार स्वच्छ विद्यालय का पुरस्कार भी मिल चुका है. इस विद्यालय की एक और खासियत की बात करें, तो यहां बुक हॉस्पिटल भी संचालित है. इस बुक हॉस्पिटल में बच्चों की किताबों को संवारा जाता है और यह किताबें बच्चों के लिए उपयोगी साबित होती है.
बुक हॉस्पिटल में किताबों को संवारतीं छात्राएं बुक हॉस्पिटल ऐसे करता है काम: फटे किताबों को कारीगरी कर सुरक्षित करने को लेकर ही इसे बुक हॉस्पिटल का नाम दिया गया है. इस तरह शिक्षा के लक्ष्य की ओर बढ़ते कदम में गया का मध्य विद्यालय डिहुरी चिल्ड्रन बैंक और बुक हॉस्पिटल खोलकर निश्चित तौर पर बच्चों के मनोबल को बढ़ा रहा है. साथ ही अनुशासन में इस तरह पिरो दिया है कि यहां के बच्चे निजी स्कूलों के बच्चों की तरह अनुशासित रहते हैं.
निजी विद्यालय ने भी बनाई अलग पहचान: डिहुरी मध्य विद्यालय की कई खासियत उसे दूसरे स्कूलों से अलग बनाती है. ठीक वैसे ही गया का आनंद पब्लिक स्कूल भी चर्चा में रहता है. दरअसल इस प्राइवेट स्कूल में सभी चुनाव की ट्रेनिंग बच्चों को दी जाती है.
इस स्कूल में दी जाती है चुनाव की ट्रेनिंग: यह निजी विद्यालय बांके बाजार के चौगाई में संचालित हो रहा है. इस विद्यालय की खासियत यह है, कि यहां छोटे-छोटे बच्चों को अभी से ही चुनाव की ट्रेनिंग दी जाती है. यहां मतदान के जरिए स्कूल कैप्टन, हेड गर्ल, स्पोर्ट्स कैप्टन का चुनाव होता है. जिस तरह से विधानसभा और लोकसभा के लिए वोटिंग होती है, ठीक उसी तरह से इस विद्यालय में कतार लगकर बच्चे वोट करते हैं.
स्कूल में वोटिंग की ट्रेनिंग स्कूल में बताया जाता है वोट का महत्व: इस विद्यालय की छात्रा सोनाली कुमारी बताती है कि हमारे विद्यालय में वोटिंग के तरीके सिखाए जाते हैं. वहीं मत किसको देना चाहिए, यह बताया जाता है. अभी से ही वोटिंग के बारे में जानकारी मिल रही है. यह काफी अच्छी बात है.
"जिस तरह डॉक्टर इंजीनियर अच्छे मिलते हैं तो हमें बेहतर नेता क्यों नहीं मिल सकता. इसीलिए अभी से ही हम लोग विद्यालय में किसी भी चीज के चुनाव में वोट का प्रयोग करते हैं. विद्यालय प्रबंधन अपने तरीके से चुनाव करवाते हैं और उस चुनाव में चयनित छात्र ही स्कूल कैप्टन स्पोर्ट्स कैप्टन समेत अन्य पदों पर जाते हैं. इससे हमें वोट देने और अच्छा नेता चुनने की सीख मिली है."-सोनाली कुमारी,छात्रा, आनंद पब्लिक स्कूल
बच्चे भूल जाते थे तो आया यह आइडिया:वहीं, इस संबंध में आनंद पब्लिक स्कूल के प्रधानाचार्य सूरज कुमारबताते हैं कि समाज में अच्छे डॉक्टर अच्छे इंजीनियर मिलते हैं तो हमें ऐसे अच्छे नेता क्यों नहीं मिल सकते. ऐसे स्वच्छ नेता चुनने के लिए इस तरह की तालीम दी जा रही है और बच्चों को अभी से ही वोटिंग देने के प्रति आइडिया भी मिल रहा है.
"जब मैं नागरिक शास्त्र की क्लास ले रहा था तो कई बच्चे बार-बार बताए जाने के बावजूद भी भूल जा रहे थे. उसमें राजनीति, वोटिंग आदि पर विषय था. इसे लेकर हमने प्रैक्टिकल करने की सोची और फिर प्रैक्टिकल से इस तरीके से स्कूल में कैप्टन हेड स्पोर्ट्स कैप्टन स्कूल रिप्रेजेंटेटिव आदि पदों के लिए चुनाव कराया जो की वोटिंग से हुआ है."- सूरज कुमार, प्रधानाचार्य,आनंद पब्लिक स्कूल
नामांकन स्कूटनी सब कुछ: यहां बच्चों को पंचायत चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव तक की जानकारी दी जाती है. इसमें नामांकन, स्कूटनी, चुनाव चिन्ह, प्रचार, वोटिंग, पीठासीन पदाधिकारी मतगणना सब कुछ होता है और सारे चीजों की जानकारी बच्चों को दी जाती है. फिलहाल में आनंद पब्लिक स्कूल के बच्चे विद्यालय के विभिन्न पदों के लिए मतदान कर वोट सही जगह देने की ट्रेनिंग ले रहे हैं.
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