गया:4 दिनों तक चलने वाला लोक आस्था कामहापर्व छठवर्ष में दो बार चैत और कार्तिक माह में मनाया जाता है. सूर्य को घर में बने तालाब या पवित्र गंगा के किनारे शाम और सुबह अर्घ्य दिया जाता है. आज चैती छठ के तीसरे दिन संध्या में लोगों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया.
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कोरोना से देश को मुक्त करने की प्रार्थना
आज के दिन व्रतियों ने गया शहर के प्रसिद्ध सूर्यकुंड में भगवान भास्कर को अर्ध्य दिया. इस दौरान प्राचीन सूर्य मंदिर को बन्द रखा गया था. शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रो में तालाब एवं नदियों में ढलते सूर्य को अर्ध्य दिया एवं कोरोना से देश को मुक्त करने का वरदान मांगा.
क्या है सूर्यकुंड का महत्व
विष्णुपद मंदिर और देवघाट के निकट गया जी मे एक सूर्यकुंड है. इस सूर्यकुंड में छठव्रती भगवान भास्कर को अर्ध्य देती हैं. इस सूर्यकुंड का महत्व अर्ध्य देने मात्र तक नहीं है. अगर कोई व्यक्ति चर्म रोग व कुष्ठ रोग से ग्रसित है तो इस सूर्यकुंड में स्नान करने से चर्म रोग खत्म हो जाता है. वहीं, इस सूर्यकुंड में पांच पिंडवेदी है. जहां पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
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