गया:कोरोना वायरस के कारण भारत सरकार ने पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा कर दी. लेकिन इससे गरीब और बेसहारा लोगों को खाने के लाले पड़ गए. ऐसे लोगों की मदद करने के लिए कुछ लोग सरकार और स्थानीय प्रशासन की पैसे और सूखे अनाज देकर मदद कर रहे है. लेकिन भगवान बुद्ध के सिद्धांत पर चलने वाले बौद्ध मठ गरीबों की मदद के लिए आगे नहीं बढ़ रहा है. यही नहीं यहां चलने वाले बड़े-बड़े होटल भी इस लॉकडाउन के समय गरीब लोगों की मदद के लिए सरकारी सहायात कोष में कुछ भी दान नहीं किया.
बता दें अंतराष्ट्रीय स्थल होने के कारण सैकड़ों बड़े-बड़े होटल हैं जो इस स्थान के महत्व होने के कारण लाखों-करोड़ों कमाते हैं लेकिन ऐसे समय में मदद के लिए आगे नहीं आ रहे. वहीं, बोधगया में लगभग 200 बौद्ध मठ और मन्दिर हैं. सरकार विदेशी बौद्ध मठों को टैक्स में रियायत भी देती है. साथ ही उनके सुरक्षा और सुविधा का पूरा ख्याल रखती है. फिर भी बौद्ध मठ विषम परिस्थिति में सरकार और गरीब की मदद नहीं कर रही है.
लोगों की मदद के लिए बौद्ध मठ नहीं दिया कोई दान कल्याण परिवार ने की जिला प्रशासन की मदद
इसके ठीक विपरीत बोधगया में कल्याण परिवार ने गरीबों के मदद करने के लिए जिला प्रशासन को 500 पैकेट खाद्द समाग्री सौंपा. इस बारे में कल्याण परिवार के सदस्य विवेक कल्याण ने बताया हमलोग का परिवार समाज सेवा का भाव रखता है. गरीबो के मदद के लिए कल्याण परिवार 500 पैकेट खाद्यान्न देगा. जिसमें 200 पैकेट सौंप दिया गया है. इन पैकेटों मे एक परिवार लिए एक सप्ताह का राशन सामग्री है.
जिला प्रशासन की ओर से किया जा रहा गरीब लोगों की मदद विदेशी पर्यटक से मिलता है करोड़ों का सलाना दान
लॉकडाउन में भी मदद के लिए आगे नहीं आने पर बौद्ध मठों को लेकर आम लोग सवाल उठाने लगे हैं. स्थानीय मुरारी सिंह ने बताया कि मैं ने खुद होटल एसोसिएशन को कहा आपलोग मदद कीजिए. लेकिन किसी ने मदद नहीं की. यहां विदेशी पर्यटक बौद्ध मठों और मंदिरों को सालाना करोड़ों का दान देते हैं. फिर ये लोग मदद करने के लिए आगे नहीं बढ़ रहे हैं.
बीटीएमसी ने दिया एक करोड़ का दान
बता दे कि अभी तक बीटीएमसी के तरफ से मुख्यमंत्री राहत कोष में एक करोड़ का दान दिया गया है. वहीं. निगमा मोनोस्ट्ररी में जिला आपदा राहत केंद्र बनाया गया है.