गया: कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. इसके लिए बिहार सरकार बाहर से आने वाले प्रवासियों के लिए लिए प्रखंड के विभिन्न पंचायत और शहर के विभिन्न स्कूलों में क्वंरटीन सेंटर बनाया है. लेकिन सेंटर में सुविधाओं के कारण चर्चा में कम और कुव्यवस्थाओं की वजह से ज्यादा सुर्खियों में रह रहा है.
'पुलिस कर्मियों ने मिन्नत कर मजदूरों को बुलाया वापस'
दरअसल, स्थित शेरघाटी प्रखण्ड के टीचर ट्रेनिंग सेंटर में बनाये गए क्वंरटीन सेंटर में रहने वाले मजदूर खराब व्यवस्था को देख सेंटर छोड़कर भागने लगे. मजदूरों को भागते देख पुलिसकर्मियों ने उन्हें शेरघाटी शहर में रोका और उनके सामने आरजू-मिन्नतें कर उन्हें मनाकर वापस लाई.
'कई दिनों से नहीं मिला है खाना'
शेरघाटी शहर के टीचर ट्रेनिंग सेंटर में बनाये गए क्वंरटीन सेंटर में रहने वाले मजदूरों का कहना है की दो दिनों से हम लोगों को खाना नहीं दिया गया है. यहां पर न तो शौचालय की सुविधा है और न ही पेयजल और लाइट की सुविधा है. यहां पर हमलोगों के साथ पशुवत व्यवहार हो रहा है. यहां पर जानवर भी नहीं रहे, हम तो फिर भी मजदूर हैं.
पुलिस कर्मियों ने माना केंद्र पर है असुविधा
वहीं, मजदूरों को समझाने आये सिपाही ने भी माना क्वंरटीन सेंटर में सुविधाएं नहीं हैं. एक सिपाही ने बताया जिस जगह क्वरटीन सेंटर है. वहां रहने वालों के लिए कुछ भी व्यवस्था नहीं हैं. मजदूरों को जमीन पर सोना पड़ता है. जिससे मच्छर ज्यादा लगता है. लाइट भी नहीं है. जनरेटर तो है, लेकिन चलता ही नहीं है. जिस वजह से पानी भी नहीं मिलता है.
मजदूरों की शिकायत दूर की गई- प्रशिक्षु आईपीएस
इस मामले पर शेरघाटी थानाध्यक्ष सह प्रशिक्षु आईपीएस सागर कुमार ने बताया कि सूचना के बाद मजदूरों को क्वरटीन सेंटर भेजा गया है. सभी मजदूर प्रखंड के बेला, कचौड़ी, पेचाड़ी गांव के रहने वाले है. ये सभी दिल्ली से वापस आए हुए थे. उनको गांव से लाकर क्वंरटीन किया गया था. केंद्र पर असुविधा की शिकायत कर ये सभी लोग केंद्र से भाग रहे थे. फिलहाल सभी को समझाबुझा कर एम्बुलेंस के माध्यम से क्वारंटीन सेंटर में वापस लाया गया है. इस संबंध में उन्होंने स्थानीय बीडीओ को सूचना देकर मजदूरों की शिकायत को दूर किया गया.
गौरतलब है कि क्वारंटीन सेंटर में सरकार ने रहने-खाने की सुविधा के साथ थाली, ग्लास, लुंगी, गंजी, गमछी, साबुन-तेल, कंघी आदि की सुविधा मुहैया कराने के लिए स्थानीय अधिकारियों को आदेश दे दिया गया है. बावजूद इसके अधिकारियों की लापरवाही के कारण बिहार सरकार के प्रयासों पर पानी फिर रहा है.