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कभी बिहार की थी सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी, अब चल रहा है संक्रमण का दौर

जिस बिहार को अतीत में शिक्षा के लिए जाना जाता था. यहां राजकुमार सिद्धार्थ को ज्ञान प्राप्त हुआ था. उसी बिहार में शैक्षणिक व्यवस्था चरमरा गयी है. ज्ञानभूमि बोधगया में स्थित मगध विश्वविद्यालय में स्नातक कोर्स 3 साल के बजाय 5 साल में पूरा हो रहा है.

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Published : Jul 21, 2019, 9:07 PM IST

गया: ज्ञान भूमि बोधगया के गया-डोभी रोड पर स्थित मगध विश्वविद्यालय की स्थापना 1 मार्च 1962 को हुई थी. स्थापना काल से लेकर कई दशक तक बिहार के सबसे बड़े विश्वविद्यालय का दर्जा मगध विश्वविद्यालय को प्राप्त था. लेकिन इस समय मगध विश्वविद्यालय शैक्षणिक और बुनियादी व्यवस्थाओ का घोर अभाव है. छात्र कल्याण पदाधिकारी कहते हैं कि विश्वविद्यालय संक्रमण काल से गुजर रहा है. वहींं, छात्र नेताओं की माने तो विश्वविद्यालय को किसी की नजर लग गई है.

जिस बिहार को अतीत में शिक्षा के लिए जाना जाता था, जहां राजकुमार सिद्धार्थ को ज्ञान प्राप्त हुआ था. उसी बिहार में शैक्षणिक व्यवस्था चरमरा गयी है. ज्ञानभूमि बोधगया में स्थित मगध विश्वविद्यालय में स्नातक कोर्स 3 साल के बजाय 5 साल में पूरा हो रहा है. इन पांच वर्षों में स्नातक पूरा करने के लिए छात्रों को धरना-प्रदर्शन करना पड़ता हैं. मगध विश्वविद्यालय शैक्षणिक कैलेंडर पूरी तरह से फेल है. आलम ये है विश्विद्यालय के ज्यादा से ज्यादा काम कोर्ट और राजभवन के आदेश पर होते हैं.

खाली पड़ा है विवि

दो हिस्सों में बंट गया विवि...
मगध विश्वविद्यालय कई दशक तक बिहार का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय हुआ करता था. छात्रों की समस्याओं को देखते हुए वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय और हाल के वर्ष में पाटलिपुत्रा विश्वविद्यालय बनाया गया हैं. मगध विश्वविद्यालय में 44 कॉलेज से अब 19 कॉलेज बचे हैं. इसके बाद कम महाविद्यालय होने पर भी सत्र नियमित नही हैं.

कुलपति पूरा नहीं कर पाते कार्यकाल
मगध विश्वविद्यालय में स्थायी रूप से कुलपति का कार्यकाल का पूरा नहीं हो रहा है. पूर्व के कुलपति इश्तेयाक अहमद ,कमर अहसन और प्रभारी कुलपति बने केएन पासवान को राजभवन निलंबित किया था. पूर्व में कई कुलपतियों के साथ ऐसा हुआ. बेसमय कुलपति के जाने से विश्वविद्यालय की प्रशासनिक व्यवस्था चरमरा जाती है. इस बार प्रभारी कुलपति के साथ कई अधिकारियों को हटा दिया गया है.

छात्रावास के हाल

वर्तमान में विवि में कोर्स की स्थिति
मगध विश्वविद्यालय में 18 यूजीसी के तहत कोर्स चल रहे हैं. 7 अन्य कोर्स सेल्फ फाइनेंस से चलते हैं. इनमें ज्यादातर व्यवसायिक कोर्स शामिल हैं. एक समय 30 से ज्यादा कोर्स चलते थे. विश्वविद्यालय से वित्तिय राशि और सहायता नहीं मिलने के बाद कई कोर्स बंद कर दिए गए.

इन सुविधाओं की कमी

  • मगध विश्वविद्यालय में बुनियादी सुविधाओं के नाम पर दो वाटर कूलर मशीन लगी हुई है.
  • पूरे विश्वविद्यालय कैंपस में एक शौचालय है.
  • लाखों से बना बुद्ध पार्क जंगलमय हो गया है.
  • विश्वविद्यालय में तीन कैंटीन हैं.
  • छात्र- छात्राओं के बैठने के वेटिंग हॉल नहीं है.
    क्या कहते हैं छात्र और अधिकारी

सुरक्षा व्यवस्था पर एक नजर
विश्वविद्यालय बड़े भूखंड पर फैला हुआ है. 500 से ज्यादा एकड़ जमीन पर विश्वविद्यालय स्थापित है. लगभग 200 एकड़ जमीन आईआईएम को दे दी गई है. सुरक्षा के नाम पर गिने चुने सुरक्षा गार्ड हैं. सीसीटीवी कैमरा लगे तो हैं पर काम नहीं करते.

आंदोलन का अड्डा
मगध विश्वविद्यालय आंदोलन का अड्डा बन गया है. नामांकन से लेकर, वर्ग नियमित चलाने और रिजल्ट प्रकाशन को लेकर आंदोलन करना पड़ता हैं. 2018 स्नातक तृतीय वर्ष की परीक्षा लेने और 2019 में स्नातक तृतीय वर्ष का रिजल्ट प्रकाशन के लिए छात्रों ने दो सरकारी बसों को आग के हवाले कर दिया था. विश्वविद्यालय में सभी प्रमुख राजनीतिक दलों की छात्र इकाई सक्रिय रहती है.

'संक्रमण काल की वजह विवि का बंटवारा'
छात्र कल्याण पदाधिकारी एसआर सिंह बताते हैं कि विश्वविद्यालय संक्रमण काल से गुजर रहा है. अधिकारियों के कमी के वजह से विश्वविद्यालय और छात्रों के विकास के कार्य रुके हुए हैं. शैक्षणिक कैलेंडर के पीछे होना और सत्र में अनियमित होने की वजह विश्वविद्यालय का बंटवारा होना है. कैंपस में छात्रावास का घोर कमी है. छात्रावास जो था उसे भी आईआईएम को दे दिया गया हैं. विश्वविद्यालय में छात्रों के लिए बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध है.

शिक्षकों की कमी- सीडीसी
विश्वविद्यालय के सीडीसी संजय तिवारी बताते हैं कि कैंपस में संचालित कोर्स में शिक्षकों की कमी है. गेस्ट फैकल्टी से इस कमी को कुछ हद तक पूरा किया जाता है. विश्वविद्यालय में सबसे अच्छी बात है कि यहां बिहार के सभी विश्वविद्यालयों से ज्यादा विदेशी छात्र पढ़ते हैं. उनके लिए छात्रावास भी है. सभी विषयों के छात्र हैं.

हमारे विवि को किसी की नजर लग गई है- छात्र
छात्र नेता अमन मिश्रा कहते है कि विश्वविद्यालय को किसी की नजर लग गयी है. विश्वविद्यालय में सत्र नियमित नहीं है. 3 वर्ष का स्नातक 5 वर्ष में पूरा हो रहा है. बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. विश्वविद्यालय में कैंपस में सिर्फ एक शौचालय है. यहां कुलपति स्थायी रूप से नहीं रहते हैं. वहीं दूसरी ओर 2013 के बाद से यहां छात्र संघ चुनाव नहीं हुए हैं.

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