गयाजी डैम में घट रहा है पानी गया:बिहार के गया में मिनी पितृपक्ष मेला (Mini Pitrupaksha Mela 2022) शुरु हो गया है. जिसमें करीब ढ़ाई लाख से भी ज्यादा पिंडदानियों के आने की उम्मीद है. मिनी पितृपक्ष मेले में आने वाले पिंंडदानियों की सुविधा को लेकर श्रापित अंत: सलिला फल्गु में गयाजी डैम बनाया गया है. बताया जा रहा है कि यह डैम 3 अरब रुपये की लागत से बना है. लेकिन पानी घटने और गंदगी होने के कारण पिंडदानी डैम से दूरी बना रहे हैं. गौरतलब है कि पौष मास में मिनी पितृपक्ष मेला एक माह तक चलता है. इस मास में गयाजी में पिंडदान का अलग महत्व शास्त्रों में दर्शाया गया है.
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मिनी पितृपक्ष मेला में पहुंचते हैं देश भर से पिंंडदानी:गया में पौष मास का पितृपक्ष मेला काफी प्रसिद्ध है. इसी कारण देश भर के अलग-अलग राज्यों से पिंडदानी यहां आकर अपने पितरों के लिए मोक्ष की कामना करते हैं. इस साल करीब 2.5 लाख से भी अधिक तीर्थयात्री पिंडदान के लिए गया आएंगे. मिनी पितृपक्ष मेले में एक और तीन दिन का पिंडदान का कर्मकांड करने को अधिकांश पिंडदानी आते हैं.
पिंडदान के लिए 53 वेदियां मौजूद;गया में वर्तमान समय में पिंडदान के लिए 53 वेदियां मौजूद हैं. जो कि गयाजी के पंचकोशी क्षेत्र में स्थित हैं. जिसमें विष्णुपद, देवघाट, प्रेतशिला, अक्षयवट, रामशिला और सीता कुंड जेसी वेदियां प्रमुख है. इससे पहले फल्गु नदी में पिंडदान-तर्पण का कर्मकांड पूरा कराया जाता था. लेकिन अब गयाजी डैम बनने के बाद फल्गु नदी में पानी ही पानी है.
गयाजी डैम का पानी नहीं है बेहतर:वर्तमान समय में गयाजी डैम का पानी पिंंडदानियों के लिए बेहतर नहीं बताया जा रहा है. गयाजी डैम में दलदल वाली स्थिति बनी है. वहीं पानी स्नान के लायक भी नहीं है. इसका मुख्य कारण है, पानी का बहाव नहीं होना और पिंडदान तर्पण में उपयोग होने वाली सामग्रियों का पूरी तरह से बाहर नहीं निकाला जाना है. हालांकि प्रशासन का दावा है कि गयाजी डैम को स्वच्छ रखने के लिए कई कदम उठाए गए हैं.
फल्गु में गंगा स्नान का है अलग महत्व:माता फल्गु में गंगा स्नान का अपना अलग महत्व है. गंगा स्नान करने देश के विभिन्न राज्यों से श्रद्धालु यहां आते हैं. वहीं इस वर्ष पौष माह में होने वाली मिनी पितृपक्ष मेले में फिलहाल कोई ठोस व्यवस्था नहीं दिख रही है. जिससे पिंंडदानियों को थोड़ी मुश्किल होगी.
"गया जी डैम में सालों भर पानी रखने की सरकार की योजना है. किंतु देखें तो गया जी डैम का पानी लगातार कम होता जा रहा है. वहीं इसमें गंदगी भी ज्यादा हो गई है. यदि गयाजी डैम में जलस्तर इसी तरह से कम होता रहा तो यह जिस मकसद के लिए बनाया गया था. उसके हिसाब से आस्था पर चोट होगी और फिर इसका कोई औचित्य नहीं रह जाएगा".- शंभूलाल बिट्ठल, विष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति के अध्यक्ष.
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