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दो डॉक्टरों के सहारे रेंग रहा गया का ये सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, चपरासी करते हैं मरीजों की ड्रेसिंग - bad ambulance service

एक साथ दो से ज्यादा मरीज गंभीर हालत में आ जाएं तो उनका सही से इलाज नहीं हो सकता. वजह है डॉक्टरों की कमी. अस्पताल में पांच साल से ड्रेसर नहीं है. अस्पताल के परिवार नियोजन कर्मी और चपरासी मरीज को घाव में टांका लगाता हैं और काटते हैं.

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Published : Jul 1, 2019, 11:33 AM IST

गयाःगया के नक्सल प्रभावित क्षेत्र बाराचट्टी प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों के इलाज के नाम पर खानापूर्ति होती है. डेढ़ लाख की आबादी को स्वास्थ्य सेवा देने वाले इस अस्पताल में महज दो ही डॉक्टर कार्यरत हैं और ड्रेसर का काम परिवार नियोजन कर्मी और चपरासी करते हैं. इस स्वास्थ्य केंद्र में आपात स्थिति से निपटने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है.

डॉक्टर्स और स्वास्थ्य कर्मियों का अभाव
नक्स्ल प्रभावित क्षेत्र और जीटी रोड के पास स्थित बाराचट्टी में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को उत्क्रमित कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कर दिया गया. लेकिन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लायक व्यवस्था नहीं की गई. यहां चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मियों का अभाव है. एक साथ दो से ज्यादा मरीज गंभीर हालत में आ जाएं तो उनका सही से इलाज नहीं हो सकता. वजह है डॉक्टरों की कमी. अस्पताल में पांच साल से ड्रेसर नहीं है. अस्पताल के परिवार नियोजन कर्मी और चपरासी मरीज को घाव में टांका लगाता हैं और काटते हैं.

बदहाल समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र

13 पंचायत के लोगों का होता है इलाज
इस स्वास्थ्य केंद्र से डेढ़ लाख की आबादी यानी 13 पंचायत के लोग स्वास्थ्य सेवा लेते हैं. जीटी रोड पर घटना-दुर्घटना के शिकार लोग प्राथमिक उपचार के लिए इसी अस्पताल में आते हैं. यहां स्वास्थ्य सेवा के नाम पर भवन, बेड, ऑक्सिजन के अलावा कुछ नहीं है. ओटीए की स्थिति भी ठीक नहीं है. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ज्यादातर प्रसव के लिए मरीज आते हैं. लेकिन इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 20 वर्षो से महिला डॉक्टर नहीं है. एएनएम के सहारे मरीजों का प्रसव कराया जाता है.

ऐंबुलेंस चालक का इंतजार करते मरीज

एम्बुलेंस से ढुलवाए जाते हैं सामान
अस्पताल को दो एम्बुलेंस पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने अपने विधायक कोष दिया था. दोनों चालू हालत में हैं. लेकिन चालक एक ही है. एक एम्बुलेंस 102 अस्पताल में रहता है. अस्पताल में कुल तीन एम्बुलेंस रहता है. लेकिन मरीज के जरूरत पड़ने पर बहाना कर दिया जाता है. एम्बुलेंस से अस्पताल प्रबंधक अस्पताल की अलमारी ढुलवाते हैं.

ऐंबुलेंस में सामान

सांसद और विधायक ने नहीं ली सूध
पूर्व सांसद भगवती देवी भी इसी क्षेत्र की रहने वाली थीं. उनके पुत्र विजय मांझी गया संसदीय क्षेत्र के सांसद हैं और इसी क्षेत्र में निवास स्थान है. पुत्री समता देवी बाराचट्टी की विधायक हैं. पूरा परिवार मिलकर भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की चिकित्सा व्यवस्था ठीक नहीं कर सका.

क्या बोले प्रभारी डॉक्टर
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉक्टर शिवशंकर झा ने बताया हमारे अस्पताल में डॉक्टर की समस्या है. जीटी रोड होने से अस्पताल हमेशा मरीज आते रहते हैं। दो डॉक्टर, एएनएम और आयुष डॉक्टर के भरोसे अस्पताल चलाते हैं. महिला डॉक्टर यहां नहीं है.

अस्पताल में सृजित पद- वर्तमान में संख्या

  • चिकित्सक- 13 2
  • महिला चिकित्सक- 3 0
  • ड्रेसर- 4 0
  • ए ग्रेड नर्स- 16 16
  • फार्मासिस्ट- 3 0
  • एक्सरे टेक्नीशियन- 1 0
  • लैब टेक्नीशियन- 2 0

मरीजों और कर्मियों को होती है परेशानी
डॉक्टर शिव शंकर झा ने बताया कि कई बार इस संबंध में ऊपर के अधिकारी और जनप्रतिनिधियों को जानकारी दी गई. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. ड्रेसर लगभग 5 सालों से नहीं है. जैसे-तैसे काम चल रहा है. ड्रेसर की यहां बहुत जरूरत है. पानी की घोर समस्या है. मरीजों के साथ डॉक्टर और कर्मियों को दिक्कत हो रहा है.

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