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'दशरथ मांझी को मिले भारत रत्न, इनके कष्ट के सामने मेरी परेशानी कुछ नहीं' : मनीष कश्यप - Gaya News

गया पहुंचने पर यू ट्यूबर मनीष कश्यप ने कहा कि 9 महीने जेल में रहा तो मुझे लगा कि दुनियाभर का कष्ट मैंने झेला है. आज जब बाबा दशरथ मांझी के गहलोर घाटी पहुंचा तो लगा कि उन्होंने जो 22 साल कष्ट झेला उसके सामने कुछ भी नहीं है. इनको भारत रत्न मिलना चाहिए. मनीष ने सरकार से दशरथ मांझी को भारत रत्न देने की मांग की. पढ़ें पूरी खबर..

मनीष कश्यप
मनीष कश्यप

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 23, 2023, 11:01 PM IST

गया में मनीष कश्यप

गया :यू ट्यूबरमनीष कश्यपजेल से रिहा होने के बाद बिहार के गया स्थित गहलौर घाटी पहुंचे. इन्होंने अपना दर्द बांटा. युवाओं से कहा कि कभी परेशान नहीं होना है और कभी हार भी नहीं मानना है. उसने कहा कि मैं 9 महीने जेल में रहा तो मुझे लगा कि दुनिया का बड़ा कष्ट मुझे हुआ. किंतु गहलोर घाटी में बाबा दशरथ मांझी की समाधि स्थल पर पहुंचकर पाया कि बाबा के 22 साल के कष्ट के सामने मेरा कष्ट कुछ भी नहीं था.

'मैं अपने कष्ट को समझने गहलोर घाटी आया हूं ': मनीष कश्यप ने गया में आने के बाद सबसे पहले बाबा दशरथ मांझी के समाधि स्थल पर पुष्प अर्पित की. इसके बाद कहा कि जब वह 9 महीने जेल में थे, तो उन्हें लगा था, कि दुनिया का बड़ा कष्ट उन्हे हुआ है. किंतु अपने कष्ट को समझने गया के गहलोर घाटी पहुंचा. गहलोर घाटी पहुंचने के बाद मुझे अहसास हुआ कि मेरा कष्ट कुछ भी नहीं. बाबा दशरथ मांझी ने 22 साल कष्ट झेले. छेनी हथौड़ी से पहाड़ का सीना काटकर सड़क बना दी.

दशरथ मांझी को भारत रत्न देने की मांग : मनीष कश्यप ने बाबा दशरथ मांझी के पुत्र भागीरथ मांझी को सामने लाते हुए कहा कि यह देखिए यह बाबा दशरथ मांझी के पुत्र हैं. इनका यह हाल है. इनकी पीड़ा समझने वाला कोई नहीं है. मैंने बिहार सरकार से कई बार बाबा दशरथ मांझी को भारत रत्न दिए जाने की मांग की, लेकिन बिहार सरकार ने पहल नहीं की है. गहलोर घाटी पहुंचकर मैं अपने कष्ट को समझने आया हूं, यहां पता चला कि मेरा कष्ट बाबा दशरथ मांझी के सामने कुछ भी नहीं है. मनीष कश्यप के साथ युवाओं की काफी संख्या में भीड़ साथ-साथ चल रही थी.

'दशरथ मांझी को मिले भारत रत्न या कह दे वह उसके लायक नहीं ': मनीष कश्यप ने कहा कि बाबा दशरथ मांझी जी को भारत रत्न नहीं मिला. उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस संबंध में कहा था, लेकिन पहल नहीं की गई. अब सरकार या तो भारत रत्न दे या कह दे कि बाबा दशरथ मांझी उस लायक नहीं थे. यूट्यूबर मनीष कश्यप जेल से निकलने के बाद गया के गहलोर घाटी को पहुंचे थे.

'कभी आत्महत्या की सोचना मत' :युवाओं से कहा कि जीवन में क्यों न समस्या पहाड़ जैसी हो, उससे घबराना मत, छेनी हथौड़ी मार के समस्या को दूर कर देना. बिहार के युवा आज आत्महत्या करते हैं. गलत रास्ते पर चले जाते हैं, बंदूक उठा लेते हैं, ऐसा नहीं करना है. कभी परेशानी हो तो उसे घबराना नहीं है. हार नहीं मानना है. समस्या से निपटना है.

"मैं अपने कष्ट को समझने यहां आया हूं. यहां आकर पता चला कि मेरा कष्ट कुछ नहीं है बाबा दशरथ मांझी के 22 साल के कष्ट के सामने. सरकार दशरथ मांझी को भारत रत्न दें या फिर कह दे कि उन्हें भारत रत्न नहीं मिलेगा, क्योंकि उन्होंने ऐसा कोई काम नहीं किया है."-मनीष कश्यप, यू ट्यूबर

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