गया: शहर के विष्णु मसान घाट पर सामान्य दिनों में 15 से 20 शव अंंत्येष्टि के लिए पहुंचते थे, लेकिन इस कोरोना महामारी की वजह से एक दिन में 100 से अधिक शव पहुंच रहे हैं. लॉकडाउन लगने के बावजूद सामान्य दिनों से अधिक शव श्मशान घाट पहुंच रहे हैं.
ये भी पढ़ें-रोजगार सृजन और कम्युनिटी किचन को लेकर CM की समीक्षा बैठक, कहा- जो काम मांगेगा उसे रोजगार देंगे
लकड़ियों के वसूल रहे मनमाने दाम
ईटीवी भारत ने ऑपरेशन मसान के तहत जानकारी इकट्ठा की तो पता चला कि सामान्य दिनों में 5 हजार में शव जल जाता था, लेकिन इन दिनों 10 हजार से लेकर 20 हजार तक एक शव जलाने के लिए राशि खर्च करना पड़ रही है. इस लूट पर गया नगर निगम भी जुटा हुआ है. गया नगर निगम ने एक शव के अंतिम संस्कार के लिए 9 हजार रुपए तय किए हैं.
कोरोना काल में जुटाई जा रही लकड़ी
दरअसल, कोरोना महामारी की वजह से दो दिन पहले विष्णु श्मशान घाट में शवदाह के लिए जगह नहीं थी. श्मशान घाट के सामने फाल्गु नदी में हर तरफ शव जल रहे थे. दो दिन पहले एक दिन में औसतन 70 शव आते थे, जिसमें से 35 से 40 कोरोना से मृत्यु वाले शव रहते थे. इतनी संख्या में शव आने से गया श्मशान घाट में लकड़ियों की किल्लत हो गई थी. लकड़ी झारखंड और लोकल जंगलों से जुटाई गई.
''दो दिन पहले तक शव की संख्या सामान्य दिनों से चार गुना अधिक आ रहा थी. ऐसे में श्मशान घाट पर लकड़ी घट गई थी. हम लोगों ने मिलकर एक दिन में 100 से अधिक शवदाह करने के लिए लकड़ी उपलब्ध कराई थी. वैसे तो लकड़ी बंगाल से आती है, लेकिन लकड़ी संकट को देखते हुए गया के जंगल और झारखंड से लकड़ी मंगवाई गई. इतनी संख्या में शव आने के बावजूद भी हम लोगों ने किसी से एक पैसा लकड़ी में ज्यादा नहीं लिया. अब विष्णु मसान घाट पर लकड़ी मौजूद है''-रंजीत सिंह, लकड़ी विक्रेता