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यू ट्यूब से सीखकर बिहार के आशीष उगा रहे अमेरिका का ₹400/किलो बिकने वाला 'काला आलू' - Black potato cultivation for first time in Bihar

अमेरिका का 'काला आलू' अब बिहार में भी उपलब्ध होगा. गया के किसान आशीष ने इसकी शुरुआत की है. उन्हें इसका आईडिया यूट्यूब से मिला. इसके बाद अमेरिका से 14 किलो बीज मंगवाकर (Black potato seeds imported from America) फसल लगाई है. यह सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है.

गया में अमेरिका के काले आलू की खेती
गया में अमेरिका के काले आलू की खेती

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Published : Nov 10, 2022, 9:56 AM IST

Updated : Nov 10, 2022, 11:13 PM IST

गया: बिहार केगयामें अमेरिका का 'काला आलू' उपजाया (American Black Potato Cultivation in Gaya) जा रहा है. अब बिहार में भी अमेरिका के 'काला आलू' का जलवा दिखेगा. गया के किसान आशीष कुमार सिंह ने इसकी पहली दफा शुरुआत बिहार में की है. वैसे बताया जाता है कि देश में इक्के दुक्के स्थानों पर ही इसकी खेती की जाती है. काला आलू बाजार में 300 से ₹400 किलो बेची जाएगी. आशीष को यूट्यूब से इसका आईडिया मिला था. उन्होंने महज 14 किलो बीज से फसल लगाई. काला आलू के बीज अमेरिका से मंगाए गए हैं. यह पौष्टिक होने के साथ डायबिटीज मरीजों के लिए कम नुकसानदेह है.

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सफेद आलू की तरह ही होती है खेतीःबिहार में पहली दफा इसकी फसल लगाने वाले आशीष कुमार सिंह बताते हैं, कि उन्होंने काला आलू की खेती शुरू की है. जैसे सफेद आलू की खेती की जाती है, उसी प्रकार की विधि से इसकी खेती की जाती है. गया जिले के टिकारी प्रखंड अंतर्गत गुलरिया चक में फिलहाल ब्लैक पोटैटो की खेती की शुरुआत की गई है. फिलहाल में काला आलू का खाने में उपयोग गिने चुने लोग और जानकार ही करते हैं.

अमेरिका से मंगवाई काला आलू के बीजः काले आलू का बीज अमेरिका से मंगाया गया है. किसान आशीष कुमार सिंह ने कुरियर के माध्यम से 14 किलो बीज मंगाए हैं. 14 किलो बीज की खरीदारी में 15 सौ रुपए खर्च हुए. यह बताते हैं, कि फसल लगा दी गई है और जनवरी- फरवरी तक पूरी तरह से तैयार हो जाएगी. वह बताते हैं कि 10 ग्राम के बीज में आधा किलो काले आलू की उपज होती है.

300 रुपए किलो बिकेगा काला आलूः आशीष बताते हैं कि वह हमेशा आर्टिकल पढ़ते हैं और यूट्यूब पर भी विभिन्न चीजों को देखते रहते हैं. इसी क्रम में उन्होंने काला आलू की खेती देखी थी. इसमें बताया गया था कि काले आलू की खेती भारत में नहीं के बराबर होती है. हिमाचल प्रदेश में इक्के दुक्के स्थानों पर इसकी खेती होती है. यूट्यूब में काला आलू की पौष्टिकता और उसके फायदे बताए गए थे. इसके बाद उनके दिमाग में काला आलू की खेती करने का आइडिया आया और उन्हें इसके बारे में पूरी जानकारी हासिल की. इसके बाद दक्षिण अमेरिका से 14 किलो काला आलू के बीज मंगाए और उसकी फसल खेत में लगा दी गई है.

भविष्य में बढ़ेगी इसकी मांगःबिहार में पहली बार काला आलू की खेती की शुरुआत करने वाले आशीष कुमार सिंह बताते हैं कि भविष्य में काला आलू की काफी डिमांड होगी, जिस तरह बीमारियां बढ़ रही है, उसके बीच काला आलू मील का पत्थर साबित होगा. क्योंकि हर घरों में आलू का खाने में उपयोग होता है. किंतु डायबिटीज मरीज काफी संभलकर सफेद आलू को खाते हैं. किंतु अब उन्हें उतनी सावधानी और समझने की जरूरत नहीं पड़ेगी. वे पौष्टिक माने जाने वाले काला आलू को आराम से खा सकते हैं, क्योंकि इसमें शुगर की मात्रा बेहद ही नाम मात्र होती है. इस तरह डायबिटीज मरीजों के लिए यह कम हानिकारक है.

खेती में महज 21 हजार आए खर्चः किसान आशीष कुमार सिंह बताते हैं कि इसकी खेती में कोई अलग से मेहनत नहीं है. करीब-करीब हर तरह की मिट्टी इसकी खेती के लिए उपयुक्त है. उन्होंने अपने गांव टिकारी स्थित गुलेरिया चक में काला आलू की खेती की शुरुआत कर दी है. महज 21 हजार खर्च आए हैं. 14 किलोग्राम बीज की खेती लगाई गई है.

आयुर्वेदिक गुणों से भरपूरः किसान आशीष कुमार सिंह बताते हैं कि काला आलू आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर है. बताते हैं कि कच्चा आलू मूल रूप से दक्षिण अमेरिका के एंडीज पर्वत क्षेत्र में उगाए जाते हैं. इसे फिलहाल प्रयोग के तौर पर 14 किलोग्राम बीज अमेरिका से मंगाया गया है और इसकी खेती की शुरुआत की गई है. काला आलू का ऊपरी स्थित है काला होता है और आंतरिक भाग गहरे बैगनी रंग का होता है. गुणों से भरपूर होने का कारण सफेद आलू की तुलना में अधिक स्वास्थ्य लाभ इससे लिया जा सकता है.

एंथोसाइएनिन नामक पॉलीफेनॉल एंटी ऑक्सीडेंट से है भरपूरः आशीष का दावा है कि काला आलू विशेष रूप से एंथोसायनिन नामक पॉलीफेनॉल एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है. उच्च एंथोसाइन का सेवन स्वस्थ कोलेस्ट्रोल के स्तर, हड्डी और हृदय रोग के अलावा कुछ कैंसर और मधुमेह के जोखिम को कम करता है और कई लाभों से जुड़ा रहता है. काला आलू खाने से रक्त वाहिका और रक्तचाप स्वास्थ्य को फायदा मिलता है. यह आंशिक रूप से उच्च पोटेशियम सामग्री पाए जाने के कारण होता है. काला आलू का पोषक तत्व रक्तचाप को कम करने में मदद करता है. इसे काला बैगनी आलू भी कह सकते हैं. किसान आशीष का दावा है कि सफेद आलू से अत्याधिक पोष्टिक और ब्लड शुगर के लिए यह काफी बेहतर है. बड़ी बात यह है कि किसी व्यक्ति के फाइबर गैप को भरने में यह मददगार साबित होता है.

"कुरियर के माध्यम से 14 किलो बीज मंगाए हैं. 14 किलो बीज की खरीदारी में 15 सौ रुपए खर्च हुए. यूट्यूब से इसका आईडिया मिला था. फसल लगा दी गई है और जनवरी- फरवरी तक पूरी तरह से तैयार हो जाएगी. काला आलू बाजार में 300 से ₹400 किलो बेची जाएगी"- आशीष कुमार सिंह, काला आलू की फसल लगाने वाले किसान

Last Updated : Nov 10, 2022, 11:13 PM IST

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