गया: बिहार के मैनचेस्टर के नाम से प्रसिद्ध मानपुर का कपड़ा उद्योग इन दिनों कोरोना के कहर से कराह रहा है. मानपुर प्रखंड का पटवाटोली गमछा निर्माण के लिए देश भर में विख्यात है. कोरोना काल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मास्क उपलब्ध नहीं होने पर गमछा के उपयोग की सलाह के बाद ये चर्चा में आ गया. वहीं, लॉकडाउन के चलते पटवा टोली का गमछा उद्योग बंद पड़ा है, जिससे कारोबारियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
पटवाटोली के हर घर में होता है गमछा निर्माण
गौरतलब है कि उद्योग नगरी में साढ़े नौ हजार विद्युत पावरलूम और हस्तकरघा औद्योगिक इकाई संचालित है. पटवाटोली के हर पावरलूम में गमछा का निर्माण होता है. यहां पक्के रंग का सूती और हल्का गमछा लोगों को खूब भाता है. गया के मानपुर पटवाटोली से गमछा बनकर बिहार के सभी जिलों में, झारखंड, उड़ीसा, असम और पश्चिम बंगाल जाता है. गमछा बनाने के लिए दक्षिण भारत और पंजाब से सूत मंगाया जाता है. सूत बुनकर अपने खपत के अनुसार कारोबारी बांट लेते हैं.
गमछा निर्माण करते कारोबारी 'पूरे देश में प्रसिद्ध है गया का गमछा'
फिर सूत में माड़ी मिलाने के बाद बीम बनाया जाता है. इसके बाद बुनाई के लिए पावर लूम और हस्तकरघा से विभिन्न तरीकों के गमछे बनाए जाते हैं. अब रंगीन सूत आते हैं. जिससे बुनकरों को बहुत राहत मिलती है. पहले गमछा बनाकर रंगा जाता था, जिससे काफी दिक्कत होती थी. गमछा का रंग भी पक्का नहीं रहता था. पटवाटोली निवासी गोपाल पटवा ने बताया यहां गर्मी के मौसम में हर रोज एक लाख से अधिक गमछा तैयार किया जाता था. यहां शगुन से लेकर फैशनेबल गमछा तक बनाया जाता है. पूरे देश में गया का गमछा प्रसिद्ध है.
'उद्योग चालू करवाने का करूंगा प्रयास'
लॉकडाउन के दौरान काम बंद होने पर मायूसी से उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने लोगों को गमछा उपयोग करने की सलाह दी है. ऐसे में मानपुर का लघु उद्योग चालू करना चाहिए, जिससे कोरोना के बचाव लिए हम लोग अधिक से अधिक संख्या गमछा बनाकर लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकें. वहीं, इस संबंध में बिहार सरकार के कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने कहा है कि मानपुर कपड़ा उद्योग इकाई लॉकडाउन के कारण बंद हैं. इसे चालू करवाने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार से बात करेंगे. मुझसे जहां तक संभव होगा, मैं लॉकडाउन की अवधि में इसे चालू करवाने का प्रयास करूंगा.
पावरलूम और हस्तकरघा उद्योग