गया: कृषि व पशुपालन मंत्री प्रेम कुमार ने जिला कृषि पदाधिकारी अशोक कुमार सिन्हा से मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार योजना और एकीकृत बीज ग्राम योजना की उपलब्धि को लेकर समीक्षा की. इस दौरान उन्होंने खरीफ 2020 की कार्ययोजना की जानकारी भी ली. बैठक के बाद मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार किसानों को उच्च गुणवत्ता के बीज उपलब्ध कराने के लिए कार्यक्रम संचालित कर रही है.
मंत्री प्रेम कुमार ने कहा कि बीज के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिये बिहार राज्य बीज निगम की देखरेख में बीज गुणन प्रक्षेत्रों पर बीज उत्पादन कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं. गया में 14 बीज गुणन प्रक्षेत्रों पर बीज उत्पादन कार्यक्रम आयोजित होता है. इसके अतिरिक्त शेरघाटी में बीज प्रसंस्करण ईकाई स्थापित की गई है. जहां धान, गेहूं और दलहन फसलों के बीज का प्रसंस्करण और भंडारण किया जाता है.
किसानों के लिए तत्पर है बिहार सरकार
प्रेम कुमार ने बताया कि अधिक से अधिक किसानों तकऔर सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों तक उच्च गुणवत्ता का बीज पहुंचे, इसके लिए मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार योजना प्रभावी ढंग से क्रियान्वित की जा रही है. इस कार्यक्रम के तहत धान के लिए प्रत्येक राजस्व गांव के 5 किसान और गेहूं, अरहर, चना और मसूर के लिए प्रत्येक राजस्व गांव के 2 किसानों के खेत पर बीज उत्पादन किया जाता है.
प्रेम कुमार, कृषि मंत्री, बिहार सरकार की ओर से मिलती है मदद
जानकारी के मुताबिक धान और गेहूं के बीज उत्पादन के लिए चयनित प्रत्येक किसान को आधा एकड़ खेत के लिए 06 कि.ग्रा. और 20 कि.ग्रा. आधार बीज या प्रमाणित बीज(स्टजे-1) को 90 प्रतिषत अनुदान पर दिया जाता है. वहीं अरहर, चना और मसूर के लिए चैथाई एकड़ पर बीज उत्पादन कार्यक्रम आयोजित किया जाता है. जिसमें चयनित किसानों को 02 कि.ग्रा., 08 कि.ग्रा. और 04 कि.ग्रा. बीज 90 प्रतिशत अनुदान पर मुहैया कराया जाता है. इस योजना के लाभ के लिए लाभुक किसानों को बीज के मूल्य का मात्र 10 प्रतिशत ही भुगतान करना पड़ता है.
किसानों की जागरुकता के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रम
जिला कृषि पदाधिकारी अशोक कुमार सिन्हा ने कहा कि मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार योजना को और अधिक प्रभावी बनाने के लिये कृषि समन्वयकों और किसान सलाहकार के माध्यम से बीज उत्पादन के लिए लगायी गई फसल को विभिन्न स्टेजों पर निरीक्षण कर किसानों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए जा रहे हैं. फसल कटाई के बाद किसान उपज को अनाज के रुप में उपयोग नहीं करें बल्कि अन्य किसानों को बीज के रुप में उपलब्ध कराये इसके लिये जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है.